8 मिनट की क्लोज-डोर बैठक: मोदी, अमित शाह और राहुल गांधी की Inside Story में क्या-क्या हुआ?

8 मिनट की क्लोज-डोर बैठक: मोदी, अमित शाह और राहुल गांधी की Inside Story में क्या-क्या हुआ?

नई दिल्ली, 11 दिसम्बर,(एजेंसियां)।संसद के शीतकालीन सत्र के बीच 10 दिसंबर का दिन राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण रहा। संसद में जब गृहमंत्री अमित शाह और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बीच तीखी नोकझोंक हो रही थी, ठीक उसी दिन प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में एक बंद कमरे की बैठक ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस सांसद तथा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी मौजूद थे। तकरीबन 88 मिनट चली इस बैठक में कई संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।

सूत्रों के मुताबिक, इस क्लोज-डोर मीटिंग में मुख्य सूचना आयुक्त (CIC), आठ सूचना आयुक्तों और एक सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया पर विस्तृत बातचीत हुई। बैठक में राहुल गांधी ने नियुक्तियों को लेकर कई सवाल उठाए और आपत्ति भी दर्ज कराई। उन्होंने अनुरोध किया कि नियुक्त होने वाले व्यक्तियों की योग्यताओं और प्रक्रिया की अधिक पारदर्शी जानकारी उन्हें उपलब्ध कराई जाए। राहुल गांधी ने खास तौर पर नियुक्ति के पैमाने और चयन के मानकों पर असहमति जताते हुए अपनी बात लिखित रूप में दर्ज कराई।

राहुल ने बैठक में एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधित्व का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने कहा कि देश की लगभग 90% आबादी इन वर्गों से आती है, इसलिए उच्च संवैधानिक पदों और प्रमुख संस्थानों में इनकी भागीदारी सुनिश्चित करना जरूरी है। बताया जाता है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री और गृह मंत्री दोनों के सामने इस सामाजिक संतुलन के विषय को प्रमुखता से लेकर आए।

पहले माना जा रहा था कि यह बैठक चुनाव आयोग या मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर है, लेकिन राहुल गांधी के PMO से बाहर निकलने के बाद स्पष्ट हो गया कि चर्चा का मुख्य विषय सूचना आयोग था। बैठक खत्म होने के बाद यह जानकारी सामने आई कि केंद्रीय सूचना आयोग में मौजूद भारी रिक्तियों और लंबित मामलों की वजह से नियुक्तियों पर तुरंत निर्णय आवश्यक था।

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सीआईसी की वेबसाइट के अनुसार आयोग के सामने वर्तमान समय में 3083 मामले लंबित हैं। 2014 के बाद यह सातवीं बार है जब देश में मुख्य सूचना आयुक्त का पद खाली पड़ा है। 2023 में नियुक्त हुए हीरालाल सामारिया ने 13 सितंबर 2025 को 65 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद पद छोड़ दिया था। इससे पहले 2014 में भी राजीव माथुर के इस्तीफे के बाद आयोग बिना मुख्य आयुक्त के रहा था।

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सूचना आयुक्त और मुख्य सूचना आयुक्त के पद खाली होने का मुद्दा 10 दिसंबर को राज्यसभा में भी गूंजा। तृणमूल कांग्रेस के सांसद मोहम्मद नदीमुल हक ने सरकार पर आरोप लगाया कि पद लंबे समय तक खाली रखकर अपीलों के निस्तारण में दो से तीन साल की देरी हो रही है, जिसका सीधा नुकसान आम नागरिकों को उठाना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार को "नो डेटा अवेलेबल" सरकार बताते हुए कहा कि केंद्र सूचना देने से बचना चाहती है।

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आरटीआई अधिनियम की धारा 12(3) के अनुसार सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए जो समिति बनाई जाती है, उसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं। इसमें नेता प्रतिपक्ष और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री भी शामिल होता है। यही समिति सूचना आयुक्तों के नामों की सिफारिश करती है।

88 मिनट लंबी इस बैठक में राहुल गांधी द्वारा दर्ज कराई गई आपत्तियों ने राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर हलचल पैदा कर दी है। अब निगाहें इस बात पर हैं कि सरकार नियुक्ति प्रक्रिया में क्या बदलाव करती है और क्या राहुल गांधी की आपत्तियों को गंभीरता से लिया जाता है।