“उनके हाथ कांप रहे थे… वे मानसिक दबाव में हैं”
– अमित शाह पर राहुल गांधी ने फिर साधा निशाना, लोकसभा में गरमाया माहौल
नई दिल्ली, 11 दिसम्बर,(एजेंसियां)।लोकसभा के शीतकालीन सत्र में बुधवार को सियासी टकराव अपने चरम पर पहुंच गया जब विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गृह मंत्री अमित शाह पर एक बार फिर तीखा हमला बोला। चुनाव सुधार, मतदाता सूची और चुनावी पारदर्शिता के मुद्दों पर हो रही बहस के दौरान दोनों नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप और भावनात्मक टिप्पणियों ने सदन का माहौल असामान्य रूप से गर्म कर दिया।
राहुल गांधी ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने उनके किसी भी सवाल का सीधा और तथ्यों पर आधारित जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा, “अमित शाह जी कल बहुत घबराए हुए थे। उन्होंने गलत भाषा का प्रयोग किया, उनके हाथ कांप रहे थे… वे बहुत मानसिक दबाव में हैं। यह सबने कल देखा।” राहुल ने दावा किया कि उन्होंने जो भी सवाल उठाए — मतदाता सूची में अनियमितताओं से लेकर हरियाणा की घटनाओं तक — गृह मंत्री ने न तो सबूत दिए और न ही कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया।
उन्होंने अमित शाह को सीधी चुनौती देते हुए कहा, “मैंने उनसे कहा है कि मैदान में आएं और संसद में मेरी हर प्रेस कॉन्फ्रेंस के मुद्दों पर चर्चा करें। लेकिन मुझे कोई जवाब नहीं मिला।”
राहुल गांधी के इस बयान के बाद कांग्रेस के अन्य सांसद भी उनके समर्थन में सामने आए। कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने कहा कि बहस में जिस पारदर्शिता की उम्मीद थी, वह नजर नहीं आई। उनका कहना था कि सरकार ने हरियाणा में हुई अनियमितताओं और चुनावी प्रक्रियाओं में उठ रहे सवालों का उत्तर देने के बजाय कांग्रेस पर राजनीतिक हमले किए।
दूसरी ओर भाजपा ने राहुल गांधी के आरोपों को राजनीतिक दिखावा बताते हुए पलटवार किया। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी पर “हिट एंड रन” की राजनीति का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “जब प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बोलते हैं, राहुल गांधी सदन से चले जाते हैं। उनमें सच सुनने की हिम्मत नहीं है। गृह मंत्री के भाषण से पूरा नेहरू परिवार असहज हो गया।” गिरिराज ने यह भी कहा कि राहुल गांधी सिर्फ आरोप लगाते हैं, लेकिन तथ्यों का सामना करने से बचते हैं।
लोकसभा में तनाव उस समय चरम पर पहुंच गया जब वोट चोरी और मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों पर गृह मंत्री और राहुल गांधी के बीच तीखी बहस छिड़ गई। राहुल गांधी बार-बार शाह को चुनौती देते रहे कि वे उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाए गए सवालों पर सीधी बहस करें। शाह ने जवाब में कहा कि “संसद उनकी मर्जी से नहीं चलेगी” और वे सभी सवालों का जवाब अपने क्रम और प्रक्रिया के अनुसार देंगे।
गृह मंत्री ने विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन (SIR) का बचाव करते हुए कहा कि मतदाता सूची का शुद्धिकरण लोकतांत्रिक पारदर्शिता के लिए आवश्यक है। उन्होंने विपक्ष पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया—“जब चुनाव जीतते हैं तो चुनाव आयोग की तारीफ करते हैं, और जब हारते हैं तो आयोग पर सवाल उठाते हैं।”
शाह के जवाब के दौरान विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट कर दिया, जिसके कारण लोकसभा को स्थगित करना पड़ा। इस नाटकीय घटनाक्रम ने देश की राजनीति में एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या आने वाले महीनों में चुनावी सुधारों का मुद्दा और आक्रामक राजनीतिक टकराव बढ़ने वाला है।

