बुनियादी शिक्षा में योगी सरकार की बड़ी छलांग
बच्चों की पढ़ाई और गणना क्षमता में अभूतपूर्व सुधार
लखनऊ, 30 जनवरी (एजेंसियां)। वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में राष्ट्रीय औसत से नीचे रहने वाली बच्चों की पढ़ाई और गणना क्षमता में जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया है। हालांकि, निपुण भारत मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन और सतत प्रयासों के चलते 2024 की एएसईआर रिपोर्ट में चौंकाने वाले सकारात्मक बदलाव दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कक्षा तीन के बच्चों के पढ़ने के स्तर में 8.3 प्रतिशत अंक और गणितीय दक्षता में 7 प्रतिशत अंक का सुधार हुआ है।
देशभर में प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता को मापने और छात्रों की बुनियादी पढ़ने एवं गणना करने की क्षमताओं का आकलन करने वाला स्वतंत्र सर्वेक्षण एएसईआर 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 में जहां परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में छात्रों की औसत उपस्थिति 59.9 प्रतिशत थी, लेकिन 2024 में यह बढ़कर 71.4 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो एक सकारात्मक संकेत है। इसी तरह, शिक्षकों की उपस्थिति भी 2018 में 85.2 प्रतिशत थी, जो 2024 में 85.5 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
बच्चों की पढ़ने-लिखने की क्षमता में भी निरंतर सुधार हो रहा है। 2018 में कक्षा तीन के केवल 12.3 प्रतिशत छात्र ही कक्षा दो का पाठ पढ़ने में सक्षम थे, लेकिन 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर 27.9 प्रतिशत हो गया है। इसी तरह, कक्षा पांच के छात्रों की पढ़ने की क्षमता भी 2018 में 36.2 प्रतिशत थी, जो 2024 में 50.5 प्रतिशत तक पहुंच गई। वहीं, कक्षा आठ के छात्रों में यह प्रतिशत 2022 में 62.6 प्रतिशत था, जो 2024 में बढ़कर 67.3 प्रतिशत हो गया।
कक्षा तीन के बच्चों के पढ़ने का स्तर 8.3 प्रतिशत अंक बढ़ा है, जबकि कक्षा तीन और पांच के बच्चों की अंकगणितीय दक्षता में 7 प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष वर्ष 2018 में कक्षा 3 के बच्चों की पढ़ने की क्षमता का स्तर 12.3 प्रतिशत था, जो 2024 में बढ़कर 24.7 प्रतिशत हो गया है, यानी कुल 15.6 प्रतिशत अंकों की वृद्धि दर्ज की गई है। इतना ही नहीं, गणितीय दक्षता के स्तर में भी बड़ी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2018 में जो क्षमता 11.2 प्रतिशत थी, वह वर्ष 2024 में बढ़कर 31.6 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। इस प्रकार, कुल 20 प्रतिशत अंकों की वृद्धि के साथ उत्तर प्रदेश अब गुजरात और तमिलनाडु जैसे शीर्ष राज्यों की श्रेणी में शामिल हो गया है।
वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2024 में शिक्षकों की उपस्थिति दर भी बढ़ी है। अब शिक्षकों की उपस्थिति 87.5 प्रतिशत और छात्रों की उपस्थिति दर 75.9 प्रतिशत तक पहुंच गयी है, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। इसके साथ ही, सरकार ने स्कूलों के बुनियादी ढांचे में बड़े सुधार किए हैं, जिनमें कार्यशील बालिका शौचालयों की संख्या में वृद्धि, पेयजल की सुविधा में सुधार और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए विशेष कदम शामिल हैं। इसके अलावा, 14 से 16 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच स्मार्टफोन एक्सेस में 15.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने कहा, पिछले छह वर्षों में हुए इन सुधारों ने उत्तर प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों की कतार में ला खड़ा किया है। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में वर्ष 2025 तक हर बच्चे को बुनियादी साक्षरता और गणना में दक्ष करने का लक्ष्य रखा गया है।
असिस्टेंट डायरेक्टर (बेसिक) और समग्र शिक्षा के गुणवत्ता यूनिट प्रभारी आनंद पांडेय का कहना है कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए निपुण भारत मिशन को अत्यधिक प्रभावी तरीके से लागू किया। प्राथमिक स्तर के बच्चों को पढ़ने, लिखने और गणना करने में बच्चों को सक्षम बनाया गया। स्कूलों में पाठ्यक्रम को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाते हुए शिक्षकों के प्रशिक्षण, डिजिटल निगरानी और बुनियादी सुविधाओं में भी व्यापक सुधार किए गए।

