राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज
उपराष्ट्रपति का नाम गलत लिखा, 14 दिन की सीमा भी पूरी नहीं
विपक्ष का इरादा देश की संवैधानिक संस्था का अपमान करना था
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (एजेंसियां)। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इसमें गंभीर खामियां हैं और यह उपराष्ट्रपति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए जल्दबाजी में लाया गया। हरिवंश ने कहा कि धनखड़ के खिलाफ महाभियोग नोटिस का मकसद देश की संवैधानिक संस्था को नुकसान पहुंचाना है। लिहाजा, इसे खारिज किया जाना चाहिए।
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने नोटिस के बारे में कई खामियां भी बताईं। नोटिस को बिल्कुल बेतरतीब तरीके से तैयार किया गया था। इसमें कई गलतियां थीं। जिनके खिलाफ नोटिस लिखी गई, उनका नाम भी गलत लिखा गया। पूरी याचिका में उपराष्ट्रपति के नाम की स्पेलिंग गलत लिखी गई है। साथ ही संबंधित दस्तावेज भी संलग्न नहीं किए गए। यह काफी हैरान करने वाला है कि इस नोटिस को केवल सभापति की छवि खराब करने के इरादे से तैयार किया गया। उपसभापति हरिवंश ने नोटिस को खारिज करते हुए यह भी कहा कि नोटिस का फॉर्मेट भी सही नहीं है। संविधान के आर्टिकल 90 (सी) के अनुसार किसी भी प्रस्ताव को लाने के लिए 14 दिन पहले ही नोटिस देना होता है। लेकिन संसद का शीतकालीन सत्र केवल 20 दिसंबर तक ही चलना है। ऐसे में दिया गया नोटिस मंजूर नहीं है।
राज्यसभा के इतिहास में पहली बार सभापति को हटाने का प्रस्ताव पेश किया गया। इंडी गठबंधन ने सभापति जगदीप धनखड़ पर पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाया। 25 नवंबर को शुरू हुए इस सत्र में विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच लगातार टकराव देखने को मिला। राज्यसभा में सभापति के बचाव में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने उन्हें किसान का बेटा बताया। उन्होंने सदन की सदन की गरिमा को बनाए रखा। विपक्षी सांसदों पर निशाना साधते हुए रिजिजू ने कहा, अगर आप आसन का सम्मान नहीं कर सकते तो आपको सदस्य बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। हमने देश की संप्रभुता की रक्षा करने की शपथ ली है।
विपक्ष ने धनखड़ पर सदन में पक्षपातपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया था। कांग्रेस नेता जयराम रमेश समेत 60 सांसदों ने इस नोटिस पर हस्ताक्षर किए थे। विपक्ष का कहना है कि उन्होंने केवल अपने अपमान के खिलाफ आवाज उठाई है। हरिवंश ने इस नोटिस को संविधान और प्रक्रियाओं के खिलाफ बताते हुए खारिज कर दिया।