चुनाव आयोग ने सुलझाया डुप्लीकेट वोटर कार्ड का मसला
जारी किए नए मतदाता पहचान पत्र
नई दिल्ली, 13 मई (एजेंसियां)। तृणमूल कांग्रेस ने कई राज्यों में डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र नंबरों का मुद्दा उठाया था। चुनाव आयोग ने इस मुद्दे को तीन महीने में हल कर दिया है। चुनाव आयोग ने मामले में सत्यापन करने के बाद मतदाताओं को नए नंबर के साथ नए मतदाता पहचान पत्र जारी किए हैं। ऐसा करके चुनाव आयोग ने अपने वादे के मुताबिक तीन महीने में डुप्लिकेट वोटर आईडी कार्ड का मुद्दा सुलझा लिया है।
चुनाव आयोग के आला अधिकारी ने बताया कि एक जैसे मतदाता फोटो पहचान पत्र या ईपीआईसी नंबरों की संख्या काफी कम थी। यह औसतन चार मतदान केंद्रों में से एक के बराबर थी। क्षेत्र स्तरीय सत्यापन के दौरान पाया गया कि समान ईपीआईसी संख्या वाले लोग अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों और अलग-अलग मतदान केंद्रों के वास्तविक मतदाता थे। उन्होंने कहा कि हर मतदाता का नाम उस मतदान केंद्र की मतदाता सूची में होता है, जहां का वह सामान्य निवासी है। समान संख्या वाला ईपीआईसी होने से कोई भी व्यक्ति किसी अन्य मतदान केंद्र पर मतदान नहीं कर सकता। इसलिए एक जैसे ईपीआईसी नंबर जारी होने का किसी भी चुनाव के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ सकता।
यह भी बताया गया कि डुप्लिकेट वोटर आईडी कार्ड और एक जैसे ईपीआईसी नंबर का मुद्दा काफी समय से लंबित था। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों और भारत भर के सभी 4,123 विधानसभा क्षेत्रों के सभी 10.50 लाख मतदान केंद्रों के निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों ने 99 करोड़ से अधिक मतदाताओं के संपूर्ण चुनावी डेटाबेस की खोज की। बताया गया कि जब 2005 में विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रवार अलग-अलग वोटर कार्ड जारी करने के दौरान अल्फान्यूमेरिक श्रृंखला का उपयोग कर रहे थे। 2008 में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद इन श्रृंखलाओं को फिर से बदलना पड़ा। इस दौरान कुछ विधानसभाओं ने गलती से या तो पुरानी श्रृंखला का इस्तेमाल जारी रखा या टाइपोग्राफिक त्रुटियों के कारण उन्होंने कुछ अन्य निर्वाचन क्षेत्रों को आवंटित श्रृंखला का इस्तेमाल किया। इस मुद्दे को लेकर वरिष्ठ टीएमसी नेता ने कहा कि हम तभी प्रतिक्रिया देंगे जब चुनाव आयोग रिकॉर्ड पर बोलेगा, न कि सूत्रों के माध्यम से।
मार्च में पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस ने कई राज्यों में डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र नंबरों का मुद्दा उठाया और चुनाव आयोग पर कवर-अप का आरोप भी लगाया था। टीएमसी ने एक ही मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबर के बारे में अपनी शिकायतें दर्ज कराईं थीं। इसके बाद चुनाव आयोग (ईसी) ने कहा था कि वह दशकों पुरानी डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबरों की समस्या को अगले तीन महीने में हल कर लेगा। चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा कि भारत के चुनावी रजिस्टर दुनिया का सबसे बड़ा मतदाता डेटाबेस है, जिसमें 99 करोड़ से अधिक मतदाता पंजीकृत हैं।