बंगलादेश में हिन्दुओं की रक्षा के लिए सेना जाए
हिन्दू समुदाय के हिंसक दमन और जनसंहार पर गहरा क्षोभ
बंगलादेश में हिंदू समुदाय की स्थिति इस समय अत्यंत भयावह है। एक अवैध और अक्षम सरकार के शासन में, कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। यह स्थिति न केवल हमारे जीवन और संपत्ति को खतरे में डाल रही है, बल्कि हमारे अस्तित्व पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रही है।
नयी दिल्ली। बंगलादेश के राष्ट्रवादी सनातनी हिन्दू संगठन ने बंगलादेश में अकारण ही हिन्दू समुदाय के हिंसक दमन और जनसंहार पर गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए मांग की है कि श्रीलंका तथा मालदीव की तर्ज पर बंगलादेश में हिन्दुओं को बचाने के लिए भारत सरकार को शांति सेना भेजनी चाहिए।
राष्ट्रवादी सनातनी हिन्दू संगठन के प्रतिनिधियों ने सोमवार को यहां भारतीय प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में बंगलादेश के जमीनी हालात पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि बंगलादेश में हिंदू समुदाय की स्थिति इस समय अत्यंत भयावह है। एक अवैध और अक्षम सरकार के शासन में, कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। यह स्थिति न केवल हमारे जीवन और संपत्ति को खतरे में डाल रही है, बल्कि हमारे अस्तित्व पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रही है।
अमेरिकी मानवाधिकार आयोग में कार्यरत प्रियतोष डे ने कहा,“हम यहाँ बंगलादेश के हिंदुओं के जीवन, सम्मान और संपत्ति की रक्षा के लिए अपील करने आए हैं। साथ ही, हम बंगलादेश के हिंदू समुदाय के नेता और अल्पसंख्यक समुदाय के सार्वभौमिक नेता प्रभु चिन्मय कृष्ण दास ब्रहाचारी की बिना शर्त रिहाई और उनके खिलाफ दर्ज झूठे मामलों की वापसी की मांग करते हैं।”
श्री अमर गोलदार ने कहा कि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने श्रीलंका में तमिलों के उत्पीड़न पर और मालदीव में भारत के मित्र की सरकार को बचाने के लिए सेना भेजी थी। बंगलादेश के मौजूदा अत्यंत भयावह हालात में हिन्दुओं को जनसंहार से बचाने के लिए भारत सरकार को बंगलादेश में सेना भेजनी चाहिए क्योंकि हिन्दू समुदाय की रक्षा करना भारत की सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है।
श्री डे ने बंगलादेश में हिन्दुओं पर हिंसक घटनाओं की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बंगलादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न और हत्या कोई नई घटना नहीं है। 1947 के विभाजन के बाद से ही बंगलादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में हिंदुओं पर अत्याचार, हत्या और उनकी संपत्ति पर कब्जा आम बात हो गई थी। लेकिन वर्तमान स्थिति ने पिछले सभी क्रूरताओं को पीछे छोड़ दिया है। बंगलादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का कारण हर सत्ता परिवर्तन के बाद सुनियोजित और निरंतर हिंसा है। हर राजनीतिक अस्थिरता के बाद हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जाता है। अल्पसंख्यकों को विपक्ष पर दबाव बनाने के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
श्री डे ने कहा कि 1947 में 'दो-राष्ट्र सिद्धांत' के आधार पर इस्लामी राष्ट्र का गठन हिंदुओं के रक्तरंजित भविष्य की नींव बन गया। विभाजन के बाद से ही हिंदू समुदाय को योजनाबद्ध ढंग से समाप्त करने का प्रयास किया गया है। वर्ष 1947 के बाद पाकिस्तान के दोनों हिस्सों में लाखों हिंदुओं की हत्या और महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ। वर्ष 1971 के मुक्ति युद्ध में हिंदू समुदाय के खिलाफ संगठित नरसंहार में लाखों हिंदुओं की हत्या और महिलाओं पर अमानवीय अत्याचार इतिहास के काले पन्नों में दर्ज हैं। वर्ष 1991, 1992, और 2001 के दंगों में मंदिरों को तोड़ा गया, घर जलाए गए, और हिंदुओं को देश छोड़ने पर मजबूर किया गया।
उन्होंने कहा कि हिंदू जनसंख्या में गिरावट आने पर चर्चा करते हुए कहा कि 1947 में पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बंगलादेश) में हिंदू जनसंख्या कुल आबादी का लगभग 29.7 प्रतिशत थी। 1971 में स्वतंत्रता के समय यह आंकड़ा घटकर 18.5 प्रतिशत रह गया। इसके बाद, हर दशक में सुनियोजित उत्पीड़न, संपत्ति हड़पने और जबरन देश छोड़ने के कारण, 2022 में यह दर मात्र 7.5 प्रतिशत रह गई। यह न केवल एक जनसंहार का उदाहरण है, बल्कि जनसांख्यिकीय परिवर्तन की एक सोची-समझी साजिश है।
वर्तमान संकट के बारे में उन्होंने कहा कि वर्तमान अंतरिम सरकार के शासन में जमात-ए-इस्लामी जैसी कट्टरपंथी ताकतें फिर से सक्रिय हो गई हैं। कानून-व्यवस्था की न्यूनतम उपस्थिति के कारण हिंदू समुदाय असुरक्षित है। इस अराजक स्थिति का लाभ उठाकर षड्यंत्रकारी लोग प्रभु चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी जैसे नेताओं के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कर हमारे नेतृत्व को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। हिंदू समुदाय सुनियोजित नरसंहार, महिलाओं पर अत्याचार, मंदिरों के विध्वंस, और संपत्तियों की लूटपाट का शिकार हो रहा है।
श्री डे ने कहा कि गणजागरण मंच द्वारा घोषित 8 सूत्रीय मांगों की उपेक्षा की जा रही है। मंच के नेता प्रभु चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को बिना किसी कारण कैद में रखा गया है। उन्होंने बताया कि हिंदू समुदाय की मांगें हैं कि हिंदू अल्पसंख्यकों के जीवन, सम्मान और संपत्ति की स्थायी सुरक्षा सुनिश्चित हो, गणजागरण मंच की 8 सूत्रीय मांगों का कार्यान्वयन किया जाए, प्रभु चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की बिना शर्त रिहाई हो तथा अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न समाप्त हो। यदि यह नहीं हो पाए तो संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हस्तक्षेप की मांग की जाएगी।
इसी क्रम में उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि बंगलादेश के अल्पसंख्यक हिंदू भारत सरकार से अपील करते हैं कि वह इस संकट से निपटने के लिए तुरंत प्रभावी कदम उठाए। बंगलादेश के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कूटनीतिक प्रयास और अंतरराष्ट्रीय दबाव डालना अत्यंत आवश्यक है। हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार इस मामले में तुरंत कार्रवाई करेगी और पड़ोसी देश के अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाएगी। यह उत्पीड़न मानवता के खिलाफ अपराध है।