नई नस्लों को पंगु करने का अंतरराष्ट्रीय कुचक्र
बच्चों को नशीले उत्पादन बेचने की गहरी साजिश
शोभा शुक्ला
जो उद्योग बच्चों को मुनाफा कमाने के लिए नशीले उत्पादनों की लत लगवा रहे हैं, वे सब एक सी ही धूर्त चालें और भ्रामक कूटनीति अपनाते हैं। इन उत्पादनों में शामिल हैं: तंबाकू और निकोटीन, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड (अति-प्रसंस्कृत) खाद्य उत्पाद, और अत्यधिक मीठे पेय पदार्थ। विश्व स्वास्थ्य संगठन और कॉर्पोरेट अकाउंटेबिलिटी के विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारों को जनहित सर्वोपरि रखते हुए बच्चों को इन उत्पादनों से बचाना चाहिए और ऐसे उद्योग को जवाबदेह ठहराना चाहिए जो मात्र मुनाफा कमाने के लिए बच्चों को ऐसी नशीली लत लगा रहा है और उनको अनेक जानलेवा बीमारियों की ओर झोंक रहा है।
कृत्रिम स्वाद (फ्लेवर), अत्यधिक मीठापन, रंग-बिरंगी पैकिंग, ब्रांडिंग, ऑनलाइन, या फिर डिजिटल, विज्ञापन और प्रचार आदि के जरिए यह उत्पाद बच्चों की विकसित होती हुई संवेदनाओं को भ्रमित कर इन उत्पादनों के सेवन को सामान्य बना देते हैं। इनके निरंतर बढ़ते उपयोग से,इन बच्चों के लिए अनेक जानलेवा बीमारियों का ख़तरा अनेक गुना बढ़ जाता है। एक ओर उन रोगों का अनुपात बढ़ रहा है जिनसे पूर्णत: बचाव मुमकिन है (और जो इन उत्पादनों के कारण होते हैं) और दूसरी ओर इन उद्योगों के मुनाफे भी आसमान छू रहे हैं।
कॉर्पोरेट एकाउंटेबिलिटी की मुख्य शोध अधिकारी अश्का नाइक का कहना है कि जो उद्योग बच्चों को अपने उत्पाद की लत लगा के मुनाफा कमा रहे हैं - जैसे कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य उत्पाद, अत्यधिक मीठे पेय पदार्थ, तंबाकू और निकोटीन उत्पाद बनाने वाले उद्योग। इन उद्योगों ने यह उत्पाद इस कूटनीति से निर्मित, प्रचारित और विक्रय किए हैं जिससे कि बच्चे और युवा इनकी गिरफ्त में आसानी से फंस जाएं। ऐसे उद्योग को जवाबदेह ठहराने के लिए सरकारों की नीतियाँ जब कमजोर होती हैं तो फिर उन्हें किसका डर? हम सब को एकजुट हो कर सख्त नीतियों की मांग करनी होगी जिससे कि इन उद्योगों को जवाबदेह ठहराया जा सके और भावी पीढ़ियों को इन नशीले उत्पादनों से बचाया जा सके।
यह सिर्फ इत्तेफाक नहीं है बल्कि योजनाबद्ध तरीके से धूर्तता के साथ किए गए व्यापार और प्रचार का नतीजा है कि बच्चे नशीले उत्पादनों की जकड़ में हैं। उद्योग मुनाफा कमाने के लिए किसी भी हद तक जा रहा है। वैज्ञानिक प्रमाण देखें तो तंबाकू और निकोटीन, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड (अति-प्रसंस्कृत) खाद्य उत्पाद, और अत्यधिक मीठे पेय पदार्थ के कारण गंभीर रोग और असामयिक मृत्यु होती है परंतु उद्योग के दबाव के चलते इन सभी उत्पादनों को सामाजिक लाइसेंस मिला हुआ है। यह सरकारों की असफलता ही है कि वैज्ञानिक प्रमाण को दरकिनार कर इन उद्योगों को मुनाफा कमाने की खुली छूट दे रखी है, भले ही इन उत्पादनों के कारण लोग रोग और मृत्यु का शिकार हो रहे हों।
डेनियल डोराडो टोरेस, जो कॉर्पोरेट एकाउंटेबिलिटी में तंबाकू मुक्त दुनिया अभियान के निदेशक हैं, ने कहा कि इन उद्योगों ने जानबूझ कर सरकारों पर दबाव बना कर नीतियां कमजोर कर रखी हैं जिससे कि इनको जवाबदेह न ठहराया जा सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मत साफ है। इन नशीले उत्पादनों जिनमें तंबाकू और निकोटीन, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड (अति-प्रसंस्कृत) खाद्य उत्पाद, अत्यधिक मीठे पेय पदार्थ आदि शामिल हैं, इनके हर प्रकार के प्रचार पर रोक लगे और यह बच्चों की पहुंच से बाहर रखे जाएं। हायमी आर्सिला जो कोलंबिया स्थित कॉर्पोरेट एकाउंटेबिलिटी के वरिष्ठ शोधकर्ता हैं, ने बताया कि यदि हम इन उद्योगों के व्यापार, प्रचार और प्रसार करने के तरीके का अध्ययन करें तो पाएंगे कि यह सभी एक-सी चालें इस्तेमाल करते हैं। हायमी ने बताया कि 20 सालों तक कोलंबिया में लोकप्रिय खेल फुटबॉल सॉकर को तंबाकू उद्योग प्रायोजित करता रहा। 2009 में कोलंबिया ने तंबाकू उद्योग के इस प्रायोजन पर कानूनी प्रतिबंध लगा दिया तब बिना विलंब अल्ट्रा-प्रोसेस्ड (अति-प्रसंस्कृत) खाद्य उत्पाद उद्योग ने पूरी प्रायोजित राशि जमा करवा दी। क्योंकि तंबाकू हो या अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य उद्योग, इनको पता है कि फुटबॉल सॉकर के खेल के साथ अपना ब्रांड जोड़ लेने से बच्चों और युवाओं तक वे सरलता से जुड़ सकेंगे और उनको अपने उत्पाद की लत लगवा सकेंगे। 2009 से फुटबॉल सॉकर को कोलंबिया में प्रायोजन करने वाले उद्योगों में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य उद्योग, अत्यधिक मीठे उत्पाद उद्योग (सॉफ्ट ड्रिंक आदि), शराब उद्योग, आदि शामिल हैं। तंबाकू उद्योग के प्रायोजन पर 2009 से कानूनी प्रतिबंध है।
एल पोदर डेल कंज्यूमर मैक्सिको के जेवियर झुनिगा ने कहा कि मेक्सिको में भी यही हाल है अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य और अत्यधिक मीठे पेय पदार्थ उद्योग के व्यापार, प्रचार और प्रसार का तरीका चालाकी पूर्ण और धूर्त है। बच्चों को आकर्षित करने के आशय से इन उत्पादनों की पैकिंग होती है, दुकानों में विशेष स्थानों पर उनको रखा जाता है, भावनात्मक अपील होती है जिससे कि उत्पादनों का सेवन बच्चों और युवाओं से जुड़ सके, और इन उत्पादनों के नशीले और काले सच पर पर्दा डाल सके।
हायमी ने कहा कि तंबाकू सेवन कोई सांस्कृतिक परंपरा नहीं है। उद्योग ने जानलेवा तंबाकू और निकोटीन उत्पाद को ऐसे बनाया है कि इनके जरा से इस्तेमाल से ही लत लग जाए, नशा हो जाए और छोड़ना अत्यंत मुश्किल हो जाए। 14 देशों को छोड़ दें तो पूरी दुनिया ने कानूनी रूप से बाध्य वैश्विक तंबाकू नियंत्रण संधि को पारित कर रखा है। इस संधि का आर्टिकल 5.3 इन देशों को शक्ति देता है कि वह तंबाकू उद्योग के जन स्वास्थ्य नीति में हस्तक्षेप पर अंकुश लगा सकें और आर्टिकल 19 ताकत देता है कि तंबाकू उद्योग को तंबाकू और निकोटीन उत्पाद से हो रही जान-माल की क्षति और पर्यावरण के नुकसान के लिए आर्थिक और कानूनी रूप से जवाबदेह ठहराया जा सके।
इस वैश्विक तंबाकू नियंत्रण संधि को औपचारिक रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (एफटीसी) कहते हैं। इसको लागू हुए 20 साल हो गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की डॉ कर्स्टीन स्कॉटे ने कहा कि हर 4 सेकंड में विश्व में एक व्यक्ति तंबाकू या परोक्ष धूम्रपान के कारण के कारण मृत होता है। हर साल 80 लाख से अधिक लोग तंबाकू के कारण मृत होते हैं जिनमें से 10 लाख लोग परोक्ष धूम्रपान से मृत होते हैं। डॉ. कर्स्टीन ने कहा कि 13-15 साल के 3.7 करोड़ बच्चे, तंबाकू के नशे में जकड़े हुए हैं। एक नहीं बल्कि 80 लाख कारण हर साल हैं तंबाकू उद्योग को जवाबदेह ठहराने के लिए। वरिष्ठ जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. तारा सिंह बाम ने कहा कि तंबाकू से होने वाले हर रोग और हर असामयिक मृत्यु से बचाव मुमकिन है। यदि सरकारें ईमानदारी से पूरी तरह से वैश्विक तंबाकू नियंत्रण संधि और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम को लागू करेंगी तो हर साल 80 लाख लोग मृत होने से बच सकते हैं। जब हमें यह पता है कि तंबाकू सेवन न करने से और परोक्ष धूम्रपान न करने से कोई भी तंबाकू जनित रोग और मृत्यु का शिकार नहीं होगा, तो तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम पूरी ईमानदारी से लागू क्यों नहीं हो रहा है?
तंबाकू उद्योग के उत्पाद के सबसे पुराने 80 लाख से अधिक ग्राहक हर साल जब मृत होते हैं, तो जाहिर है कि मुनाफा बढ़ाने के लिए तंबाकू उद्योग धूर्तता के साथ नए बच्चों और युवाओं को गुमराह कर नशेड़ी बनाता है जिससे कि धंधा चलता रहे, मुनाफा आता रहे, मुनाफा बढ़ता रहे, भले ही बच्चों के जीवन का सत्यानाश हो जाए। सवाल तो सरकारों से पूछना चाहिए कि इतने वैज्ञानिक प्रमाण होने के बाद भी जानलेवा उत्पाद क्यों सरलता से बच्चों और युवाओं तक पहुंच रहे हैं?
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य उत्पाद, अत्यधिक मीठे पेय पदार्थ (जैसे कि सॉफ्ट ड्रिंक्स), तंबाकू और निकोटीन उत्पाद में एक बात समान है: इनमें फ्लेवर होते हैं (कृत्रिम स्वाद)। विश्व स्वास्थ्य संगठन मुख्यालय की विशेषज्ञ डॉ करस्टीन ने कहा कि यह इसलिए है क्योंकि बच्चे और युवा सबसे अधिक इन्हीं फ्लेवर के कारण इनके जाल में फस जाते हैं। जब मैसाचुसेट्स अमरीका में फ्लेवर पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो इन तम्बाकू उत्पाद के सेवन में 80 प्रतिशत गिरावट आ गई। डॉ. कर्स्टीन ने कहा कि फ्लेवर से तंबाकू उत्पाद हमारे गले या श्वास तंत्र को कम कड़वा तो लगता है पर उतना ही घातक रहता है। फिल्टर, तंबाकू को कम जानलेवा नहीं करता बल्कि उपयोगकर्ता सरलता से लतेड़ी बन जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन मुख्यालय की विशेषज्ञ डॉ. कर्स्टीन ने बताया कि एक झूठ जो तंबाकू उद्योग ने फैला रखा है वह यह है कि फिल्टर सिगरेट, बिना फिल्टर वाली सिगरेट के मुकाबले अधिक सुरक्षित हैं। परंतु सत्य यह है कि दोनों, फिल्टर या बिना-फिल्टर की सिगरेट बराबर की जानलेवा और खतरनाक हैं। फर्क यह है कि फिल्टर सिगरेट पीने वालों को तंबाकू या निकोटीन उतनी कड़वी या कठोर नहीं लगती। फिल्टर से जानलेवा सिगरेट पीना सिर्फ आसान हो जाता है, पर तंबाकू के जानलेवा कुप्रभावों का खतरा बरकरार रहता है।
डॉ. कर्स्टीन ने बताया कि फिल्टर के कारण सिगरेट छोड़ना भी अत्यंत मुश्किल हो जाता है। फिल्टर के कारण एक अत्यंत गंभीर किस्म के फेफड़े के कैंसर में भी वृद्धि हुई है जो फेफड़े के गहरे क्षेत्र में पनपते हैं। इसीलिए विश्व स्वाथ्य संगठन का मानना है कि फिल्टर पर प्रतिबंध लगना चाहिए। जब तंबाकू से हर रोग या असामयिक मृत्यु से बचाव मुमकिन है तो यह सवाल तो सीधा सरकारों से होना चाहिए (जो सतत विकास का वायदा करती हैं) कि तंबाकू सेवन का पूर्ण समापन करने में अभी कितने और साल लगेंगे?
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