बेंगलूरु में हुई भगदड़ एक रोकी जा सकने वाली त्रासदी थी: आर. अशोक

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखा पत्र

बेंगलूरु में हुई भगदड़ एक रोकी जा सकने वाली त्रासदी थी: आर. अशोक

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को पत्र लिखकर शहर के चिन्नास्वामी स्टेडियम में आरसीबी की जीत के जश्न के दौरान हुई भगदड़ में तत्काल हस्तक्षेप करने और गहन जांच की मांग की है|

एनएचआरसी के अध्यक्ष को लिखे दो पन्नों के पत्र में अशोक ने कहा कि बेंगलूरु में हुई भगदड़ एक रोकी जा सकने वाली त्रासदी थी| उन्होंने एनएचआरसी से भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा और आवश्यक सुविधाओं में स्पष्ट कमियों की गहन जांच करके जवाबदेही स्थापित करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है| पीड़ितों को न्याय दिलाना और यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और इस मामले में राज्य सरकार के असंवेदनशील और गैरजिम्मेदाराना रवैये को देखते हुए एनएचआरसी का हस्तक्षेप अपरिहार्य है|

बेंगलूरु में हुई दुखद भगदड़ और पूरी तरह से लापरवाही के कारण हुई जान-माल की हानि के संबंध में तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है| मैं कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में आपके संज्ञान में ४ जून, २०२५ को बेंगलूरु में हुई मानवाधिकार उल्लंघन की अत्यंत परेशान करने वाली घटना को लाने के लिए लिख रहा हूँ| रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरु आईपीएल जीत के जश्न के दौरान एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास एक दुखद भगदड़ मच गई| इस घटना में ११ निर्दोष लोगों की जान चली गई और ७५ अन्य घायल हो गए| उनमें से कई अभी भी अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं| यह केवल एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना नहीं है| प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों और प्रारंभिक जांच के आधार पर, यह राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों द्वारा पूरी तरह से लापरवाही, कुप्रबंधन और सार्वजनिक सुरक्षा के प्रति घोर उपेक्षा का प्रत्यक्ष परिणाम प्रतीत होता है| कई खामियां सामने आई हैं| लगभग ३५,००० की क्षमता वाले स्टेडियम में भीड़ नियंत्रण की कमी, मुफ्त पास के बारे में भ्रामक घोषणाओं को लाखों लोगों की भारी और अनियंत्रित आमद के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है| रिपोर्ट बताती है कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक सुरक्षा कर्मियों की गंभीर कमी है|

प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा है कि बुनियादी सुविधाओं और आपातकालीन सेवाओं का अभाव है| अराजकता सीधे तौर पर आरसीबी, इवेंट मैनेजमेंट फर्म डीएनए और कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) द्वारा दी गई गलत सूचना के कारण हुई| एफआईआर दर्ज की गई है और जांच आयोग की घोषणा की गई है, लेकिन सरकारी एजेंसियों द्वारा दूरदर्शिता और तैयारी की कमी गंभीर चिंता का विषय है| घटना में मारे गए और घायल हुए लोग आम नागरिक थे - युवा और बूढ़े| अशोक ने आरोप लगाया कि उनके जीवन और सुरक्षा के मौलिक अधिकार को बेरहमी से छीन लिया गया|

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जवाबदेही सुनिश्चित करें और लापरवाह पाए जाने वालों के खिलाफ आवश्यक अनुशासनात्मक या कानूनी कार्रवाई की सिफारिश करें| बड़े पैमाने पर सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान इसी तरह की घटनाओं को रोकने के लिए दिशा-निर्देश और प्रोटोकॉल जारी किए जाने चाहिए थे, जिसमें भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा मानकों और आपातकालीन तैयारियों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए था|

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उन्होंने यह भी मांग की कि इस मामले की चल रही जांच की निगरानी की जाए ताकि जान गंवाने वालों के परिवारों को पारदर्शिता, निष्पक्षता और न्याय मिल सके| इस रोके जा सकने वाली त्रासदी ने कर्नाटक के लोगों के मन में एक बहुत बड़ा खालीपन छोड़ दिया है| मानवाधिकार आयोग का हस्तक्षेप न केवल परिवारों को न्याय दिलाने के लिए बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है कि ऐसी घटना फिर कभी न हो| उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आयोग नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा करने में अपने जनादेश को कायम रखेगा|

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