कार्यकर्ता तपती सड़क पर घिसटे, तेजस्वी-राहुल भाषण देकर खिसके
चुनाव आयोग के खिलाफ इंडी नेताओं ने बिहार में किया प्रदर्शन
कोई नेता चुनाव आयोग नहीं पहुंचा, अफसर इंतजार करते रह गए
पटना, 09 जुलाई (एजेंसियां)। चुनाव आयोग के खिलाफ जिन मुद्दों पर इंडी गठबंधन ने पटना में बंद का आयोजन किया था, वह मुद्दा आज हुए प्रदर्शन या नेताओं के भाषण में कहीं नहीं था। यहां तक कि चुनाव आयोग के अधिकारियों के मिलने की विपक्षी नेताओं ने जो घोषणा की थी, वह भी फर्जी ही साबित हुई। चुनाव आयोग के अधिकारी नेताओं का इंतजार करते रहे, लेकिन नेता अपना अपना भाषण देकर चंपत हो गए। भीषण गर्मी में विपक्षी दलों के कार्यकर्ता तपती सड़क पर घिसटते रहे और नेता गर्मी से राहत पाने के लिए खिसकते रहे।
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर आयोजित बंद और प्रदर्शन में विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर खूब बवाल मचाया और सड़कों पर खूब लोटे। नेताओं ने भी खूब भाषण ठेले। राजद नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पटना में खुले ट्रक पर चढ़कर भाषण दिया। लेकिन उस ट्रक पर कन्हैया कुमार को चढ़ने नहीं दिया गया। तेजस्वी ने कहा, यह भाजपा की चाल है, गरीबों-दलितों का वोट छीनने की। राहुल ने महाराष्ट्र के वोट-चोरी वाला आरोप-फार्मूला बिहार में भी जड़ा और चुनाव आयोग पर निशाना साधा। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव, दोनों ने कार्यकर्ताओं को भड़काया और मार्च की शुरुआत की, लेकिन शहीद स्मारक के पास पुलिस ने रोक लिया। वहीं नेताओं ने भाषण दिया, फोटो खिंचवाए और गायब हो गए। राहुल दिल्ली लौट गए और तेजस्वी अपने घर। गर्मी और उमस भी काफी थी। चुनाव आयोग के दफ्तर में अफसर इंतजार करते रह गए कि शायद कोई प्रतिनिधिमंडल आए, उनकी शिकायत सुने। लेकिन वहां कोई नहीं पहुंचा।
विपक्ष का कहना है कि मतदाता सूची के लिए मांगे गए 11 दस्तावेजों में आधार कार्ड जैसी चीजें शामिल नहीं, जिससे गरीबों के नाम कट सकते हैं। आयोग का कहना है कि यह काम संविधान और कानून के तहत हो रहा है। ईसी का कहना है कि किसी वैध वोटर का नाम नहीं कटेगा, सिर्फ घुसपैठियों और फर्जी नाम हटाए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर 10 जुलाई को सुनवाई है, लेकिन उससे पहले बिहार की सड़कों पर सियासत गरमा गई है।
चुनाव आयोग ने बताया कि तेजस्वी के दावे भ्रामक हैं। राष्ट्रीय जनता दल ने खुद स्पेशल इंटेसिव रिवीज़न (एसआईआर) के काम के लिए 47,504 बूथ लेवल एजेंट्स तैनात किए हैं, जो एसआईआर के लिए जमीनी स्तर पर तत्परता से कार्य कर रहे हैं। जबकि दूसरी तरफ तेजस्वी यादव चुनाव आयोग पर आरोप भी लगा रहे हैं। बिहार में वोटर लिस्ट के रिवीजन को लेकर विपक्ष का बेमानी बवाल चालू है। राजद नेता तेजस्वी यादव से लेकर टीएमसी की सागरिका घोष तक लगातार चुनाव प्रक्रिया को लेकर फर्जी दावे कर रही हैं। चुनाव आयोग ने इन नेताओं के दावों को तथ्यात्मक रूप से फर्जी बताया है।
राजद सुप्रीमो लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने दावा किया कि पुनरीक्षण प्रक्रिया में बिना दस्तावेज और सत्यापन के फर्जी फॉर्म भरवाए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि बिना पूरी जानकारी के मौखिक निर्देश दिए गए। फर्जी हस्ताक्षर और निरक्षर बताकर किसी भी कर्मचारी से अंगूठा लगावाया जा रहा है। उन्होंने वोटर लिस्ट में बिना वोटर को बताए जानकारी अपलोड करने का दावा भी किया। तेजस्वी यादव ने यह भी दावा किया कि बीएलओ से एक-एक दिन में 10 हजार फॉर्म भरवाए जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने तेजस्वी यादव के इन दावों का तथ्य निरीक्षणस किया तो वे दावे बिल्कुल फर्जी थे।
चुनाव आयोग ने बताया कि तेजस्वी के दावे भ्रामक हैं। आयोग ने बताया, राष्ट्रीय जनता दल ने स्वयं एसआईआर के काम के लिए 47,504 बूथ लेवल एजेंट्स तैनात किए हैं, जो कि एसआईआर के लिए जमीनी स्तर पर तत्परता से कार्य कर रहे हैं। एसआईआर सुचारू रूप से चल रहा है, कुल 4 करोड़ (50 प्रतिशत) के करीब फॉर्म अभी तक कलेक्ट किए जा चुके हैं। दूसरी तरफ, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद सागरिका घोष ने भी चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया पर भ्रामक जानकारी दी। सागरिका घोष ने दावा किया कि बिहार में चुनाव आयोग गरीबों का वोट छीन रहा है। उनकी पार्टी ने भी इस चुनावी प्रक्रिया का विरोध किया। टीएमसी ने मांग की कि पुनरीक्षण प्रक्रिया 2003 के बजाए 2024 के आधार पर की जाए। टीएमसी ने इसमें भाजपा को घसीटा। पार्टी ने कहा, विपक्ष शासित राज्यों की व्यवस्था में हेराफेरी करने के लिए चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं का आदतन दुरुपयोग किया जाता है। हम लोकतंत्र को भाजपा का खिलौना नहीं बनने देंगे।
टीएमसी के इस दावे को भी चुनाव आयोग ने सिरे से खारिज कर दिया है। चुनाव आयोग ने गरीबों से वोट छीनने के अधिकार वाले दावे को भ्रामक करार दिया। चुनाव आयोग ने फैक्ट-चेक में टीएमसी और सागरिका घोष को तथ्यों की जानकारी दी। चुनाव आयोग ने बताया कि एसआईआर निर्देशों में पहले पन्ने के दूसरे पैराग्राफ के अनुसार, किसी भी योग्य नागरिक (आरपीए-1950 की धारा 16 और 19 के साथ भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार) को नहीं छोड़ा जाएगा। 8 जुलाई 2025 तक 47 प्
राजद के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने भी चुनाव आयोग पर कई आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि आयोग उन्हें मिलने का समय नहीं दे रहा है। जबकि चुनाव आयोग ने बताया कि वह अब तक 9 पार्टियों से इस मामले में संवाद कर चुका है। उसने यह भी बताया कि राजद की तरफ से ही मनोज झा को अधिकृत नहीं किया गया है। चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 2 जुलाई 2025 को राजद ने मनोज झा को बैठक में भेजा था, जिसमें उनकी चुनाव आयोग से बातचीत भी हुई थी।
नेताओं के अलावा राजद ने भी चुनाव आयोग की प्रक्रिया को लेकर एक ट्वीट किया था, जिसमें एक जिलाधिकारी की वॉयस रिकॉर्डिंग सुनाई गई, जिसमें कई दावे किए गए। इस रिकॉर्डिंग में चुनावी प्रक्रिया से जुड़े कुछ निर्देश दिए जा रहे थे। राजद ने दावा किया कि सारी प्रक्रिया गड़बड़ की जा रही है। राजद के इस दावे को बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भ्रामक करार दिया। बताया गया कि डीएम की कथित वॉयस रिकॉर्डिंग में जो बातें कही गई हैं, यह सारी बातें पहले से ही एसआईआर में शामिल हैं। इसके लिए कोई भी नए निर्देश नहीं दिए गए हैं।
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