हमने 23 मिनट में पाक के नौ ठिकाने मिटा दिए : डोभाल
ऑपरेशन सिंदूर के प्रसंग में विदेशी मीडिया पर बरसे एनएसए
भारत ने नौ निशाने साधे, एक भी निशाना खाली नहीं गया
चेन्नई, 11 जुलाई (एजेंसियां)। भारत सरकार के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कहा कि इस ऑपरेशन के दौरान भारत को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ। जबकि भारत ने महज 23 मिनट में पाकिस्तान में नौ ठिकानों को निशाना बनाया और इन लक्ष्यों में से एक भी निशाना खाली नहीं गया। आईआईटी मद्रास में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर के सिलसिले में विदेशी मीडिया की भ्रामक रिपोर्टिंग पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। डोभाल ने कहा कि कई विदेशी समाचार एजेंसियों ने भारत को लेकर भ्रामक और तथ्यहीन जानकारी प्रकाशित की है। डोभाल ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान विदेशी प्रेस ने बढ़ा चढ़ा कर कहना शुरू किया कि पाकिस्तान ने यह किया, वह किया। आप मुझे एक भी फोटो या सबूत दिखाइए जिसमें भारत में किसी इमारत को नुकसान हुआ हो, एक कांच तक टूटा हो। मीडिया ने बातें लिख दीं, छाप दीं और टीवी पर आकर बोल दिया। विदेशी मीडिया द्वारा जारी की गई सैटेलाइट तस्वीरों में 10 मई से पहले और बाद में पाकिस्तान के 13 एयरबेस दिखाए गए, चाहे वह सरगोधा हो, रहीम यार खान हो या चकलाला। मैं सिर्फ वही बता रहा हूं जो उन्होंने अपनी रिपोर्टिंग में छापा। हममें यह क्षमता है कि अगर हम चाहें तो पाकिस्तान के एयरबेस को सीधे नुकसान पहुंचा सकते हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने कहा, हमें अपनी स्वदेशी तकनीक विकसित करनी होगी। ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र यहां किया गया था। हमें इस बात पर गर्व है कि इसमें कितनी स्वदेशी सामग्री थी। हमने पाकिस्तान के आर-पार नौ आतंकवादी ठिकानों पर निशाना साधने का फैसला किया, ये सीमावर्ती इलाकों में नहीं थे। हम कोई भी निशाना नहीं चूके। हमने इसके अलावा कहीं और निशाना नहीं साधा। यह उस बिंदु तक सटीक था जहां हमें पता था कि कौन कहां है? पूरे ऑपरेशन में 23 मिनट लगे। आप मुझे एक भी तस्वीर बताइए जिसमें भारत की तरफ से हुआ कोई नुकसान दिखाई दे रहा हो।
डोभाल ने कहा, हम एक ऐसे देश और ऐसी सभ्यता से ताल्लुक रखते हैं, जो हजार वर्षों से संकटग्रस्त, लहूलुहान और अपमानित रही है। हमारे पूर्वजों ने बहुत कुछ सहा है। मुझे नहीं पता कि इस सभ्यता को जीवित रखने और राष्ट्र की इस धारणा को जीवित रखने के लिए उन्होंने कितने अपमान, अभाव और कष्ट सहे होंगे। राष्ट्र, राज्य से अलग होता है। भारत, एक राष्ट्र के रूप में सहस्त्राब्दियों से अस्तित्व में है। अब से 22 साल बाद जब हम अपनी आजादी के 100 साल पूरे कर रहे होंगे, तब आप अपने करियर के शीर्ष पर होंगे।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ। इस हमले में 26 हिंदुओं को चुन-चुन कर मारा गया। उनमें अधिकांश पर्यटक थे। इसके बाद भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। यही नहीं, पाकिस्तानी सेना के नौ एयरबेस भी ध्वस्त हो गए। हालांकि, बाद में पाकिस्तान सरकार का एक डोजियर लीक भी लीक हुआ, जिसमें यह खुलासा हुआ कि भारतीय सशस्त्र बलों ने इससे भी ज्यादा ठिकानों को निशाना बनाया था। यह सैन्य कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में की गई थी।
ऑपरेशन सिंदूर पर विश्व के रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है और ऑपरेशन सिंदूर इस बात का सबूत है। रक्षा विशेषज्ञ जॉन स्पेंसर ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर लेख लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ सख्त और स्पष्ट कार्रवाई करता है और इस कार्रवाई का मकसद भविष्य में इस तरह के हमले रोकना है। स्पेंसर ने लिखा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया में सैन्य सटीकता और रणनीतिक संदेश का संयोजन था। ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंक के बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया, जिसमें सीमा पार प्रशिक्षण शिविर शामिल थे। महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय नेताओं ने इस हमले की व्यापकता को समझा और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद को अब अलग-थलग कृत्यों के रूप में नहीं देखा जाएगा, और जो लोग हिंसा का समर्थन या आतंकियों की मदद करते हैं, उन्हें भी जवाबदेह ठहराया जाएगा। यह भारत के आतंकवाद-रोधी रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। स्पेंसर ने लिखा कि वर्षों तक, भारत ने बिना किसी खास रणनीति के बड़े हमलों को झेला। लेकिन उरी और पुलवामा हमलों के बाद भारत की सोच में बदलाव शुरू हुआ। भारत अब तनाव बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि भविष्य में हिंसा को रोकने के लिए तेजी से और स्पष्ट रूप से प्रतिक्रिया देता है।
जॉन स्पेंसर ने कहा कि बीते बीस से अधिक वर्षों से, भारत को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के बार-बार हमलों का सामना करना पड़ा है। ये हमले पूरी सोची समझी रणनीति के तहत किए गए। ये अक्सर संकट को भड़काने, आर्थिक प्रगति को रोकने और धार्मिक तनाव को भड़काने के लिए किए गए। प्रमुख आतंकी घटनाओं में 2001 में भारत की संसद पर हमला, 2008 के मुंबई हमला, 2016 में कश्मीर के उरी में एक सैन्य अड्डे पर हमला और 2019 में पुलवामा में भारतीय अर्धसैनिक बलों पर आत्मघाती हमला शामिल हैं। इन सभी घटनाओं में एक ही रणनीति अपनाई गई, जिसके तहत नागरिक या सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया और हमले के जिम्मेदार लोगों द्वारा इनकार या टालमटोल का रवैया अपनाया गया। पहलगाम में हुआ नरसंहार इसी पैटर्न से मेल खाता है।
रक्षा विशेषज्ञ स्पेंसर ने बताया कि पहलगाम हमले को मनोवैज्ञानिक और राजनीतिक प्रभाव के लिए डिजाइन किया गया था। यह एक सोची-समझी कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य तीन लक्ष्य हासिल करना था: सामाजिक शांति को तोड़ना, आर्थिक प्रगति को बाधित करना और एक व्यापक संकट को भड़काना। यह कश्मीर को अस्थिर करने की कार्रवाई थी, खासकर जब इस क्षेत्र में विकास हो रहा है। साल 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद यहां पिछले वर्ष 2.3 करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंचे। कश्मीर में सड़कों, स्कूलों और व्यवसायों का विस्तार हुआ है। जो कभी उग्रवाद का प्रतीक था, वह निवेश का केंद्र बन गया। इस प्रकार की स्थिरता उन चरमपंथी समूहों के लिए सीधा खतरा है जो अपने अस्तित्व को सही ठहराने के लिए अराजकता पर निर्भर हैं।
स्पेंसर ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले का उद्देश्य केवल लोगों की हत्या करना नहीं था, बल्कि सांप्रदायिक तनाव को फिर से भड़काना था। आतंकियों ने डर और अराजकता फैलाकर पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की। ये हमला दुनिया भर में आतंकवाद की कई बड़ी आतंकी घटनाओं की याद दिलाता है, जैसे यूरोप में आईएसआईएस के हमले, 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजराइल पर हमले। रणनीति वही है, डर पैदा करना, लोगों को भड़काना और प्रगति की कहानी को पटरी से उतारना।
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