संसद के पास है जजों को हटाने की तकात: कानून मंत्री
जस्टिस वर्मा के खिलाफ चलेगा महाभियोग
नई दिल्ली, 18 जुलाई,(एजेंसियाें)। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शुक्रवार को कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाना पूरी तरह से सांसदों का मामला है और सरकार इसमें कहीं भी शामिल नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की तरफ से गठित आंतरिक समिति ने अपनी रिपोर्ट पहले ही सौंप दी है।
मंत्री ने कहा कि अगर न्यायमूर्ति वर्मा रिपोर्ट से सहमत नहीं हैं और सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते जो उनका विशेषाधिकार है। उन्होंने कहा कि संसद को सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के न्यायाधीश को हटाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि किसी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के लिए लोकसभा में कम से कम 100 और राज्यसभा में 50 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है।
न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने को लेकर शुरू हुई प्रक्रिया पर अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह पूरी तरह से सांसदों का मामला है, उन्होंने कुछ प्रयास किए हैं। सरकार इसमें शामिल नहीं है। इस बीच न्यायमूर्ति वर्मा ने आंतरिक जांच समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को अमान्य ठहराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। वर्मा ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश खन्ना द्वारा उन्हें पद से हटाने की 8 मई की सिफारिश को रद्द करने की मांग की है। सरकार 21 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के लिए प्रस्ताव लाने पर जोर दे रही है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि उनकी पार्टी के सांसद भी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करेंगे।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार एक अत्यंत संवेदनशील और गंभीर मामला है, और इस पर कोई पक्षपातपूर्ण रवैया नहीं हो सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की बर्खास्तगी को लेकर सभी राजनीतिक दल एकमत हैं।
रिजिजू ने कहा कि इस मुद्दे पर संसद का एकजुट रुख सुनिश्चित करने के लिए वह एकल-सांसद दलों से भी संपर्क करेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के लिए प्रस्ताव सरकार नहीं, बल्कि संसद के सदस्य लाएंगे।
क्या है मामला, जांच रिपोर्ट में क्या?
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय की 25 पृष्ठों की जांच रिपोर्ट, जो सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड की गई है, में हिंदी में दो संक्षिप्त नोट हैं, जिनमें उल्लेख है कि 14 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास के स्टोररूम में लगी आग पर काबू पाने के बाद, नोटों से भरे चार से पांच अधजले बोरे मिले। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आग शॉर्ट-सर्किट के कारण लगी थी। हालांकि न्यायमूर्ति वर्मा ने अपने जवाब में आरोपों की कड़ी निंदा की थी और कहा था कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य की तरफ से कभी भी स्टोर रूम में कोई नकदी नहीं रखी गई थी।