बित्रा द्वीप भारतीय सेना के हवाले
लक्षद्वीप समूह के एक द्वीप पर बनेगा सैनिक अड्डा
मिनिकॉय व अगाती द्वीपों पर बनेगी वायुसेना की हवाईपट्टी
नई दिल्ली, 19 जुलाई (एजेंसियां)। हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा के मद्देनजर भारत सरकार ने लक्षद्वीप समूह के एक द्वीप को भारतीय सेना के हवाले करने का फैसला किया है। लक्षद्वीप समूह में शामिल बित्रा द्वीप पर भारतीय सेना अपना अड्डा बनाएगी। दो अन्य द्वीपों को भी भारतीय वायुसेना की निगरानी में दिया जा रहा है। वहां वायुसेना हवाई पट्टी बनाएगी। विडंबना यह है कि देश की सुरक्षा के लिए किए जा रहे इन उपायों का भी कांग्रेस पार्टी विरोध कर रही है।
बित्रा द्वीप लक्षद्वीप द्वीप समूह के 10 बसे हुए आबादी वाले द्वीपों में से एक है। बित्रा द्वीप के अधिग्रहण को लेकर लक्षद्वीप प्रशासन ने 11 जुलाई 2025 को बाकायदा अधिसूचना (नोटिफिकेशन) जारी कर दी। जारी अधिसूचना में राजस्व विभाग द्वारा बित्रा द्वीप के पूरे भू-भाग को अपने अधीन करने का प्रस्ताव है। बताया गया कि रक्षा उद्देश्यों के लिए लक्षद्वीप प्रशासन ने बित्रा द्वीप के अधिग्रहण का निर्णय लिया है। अब बित्रा द्वीप को औपचारिक तौर पर रक्षा और सामरिक इकाइयों को हस्तांतरित किया जाएगा। अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि यह पहल द्वीप की रणनीतिक स्थिति, इसकी राष्ट्रीय सुरक्षा प्रासंगिकता तथा नागरिक आवास के कारण उत्पन्न अंतर्निहित सैन्य और प्रशासनिक चुनौतियों के तहत की जा रही है।
क्षेत्रीय प्रशासन भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार द्वीप को अपने नियंत्रण में लेगा, जिसके लिए प्रभावित क्षेत्र के लिए सामाजिक प्रभाव आकलन अध्ययन किया जाना है। जिला कलेक्टर शिवम चंद्र ने आदेश में कहा है कि सामाजिक प्रभाव आकलन के तहत ग्राम सभाओं सहित सभी हितधारकों से परामर्श किया जाएगा। छोटे से बित्रा द्वीप पर बमुश्किल सौ परिवार रहते हैं। अधिग्रहण के तहत प्रस्तावित क्षेत्र का सर्वेक्षण अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से दो महीने के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। यानि, 11 सितंबर तक प्रशासनिक औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएंगी।
बित्रा द्वीप राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण है। यह लक्षद्वीप का सबसे छोटा बसा हुआ द्वीप है। बित्रा द्वीप का कुल एरिया केवल 0.105 वर्ग किलोमीटर है। यह 0.57 किलोमीटर लंबा और सबसे चौड़े हिस्से में 0.28 किलोमीटर चौड़ा है। यह द्वीप कोच्चि से 483 किलोमीटर (261 नॉटिकल मील) दूर है। बिट्रा द्वीप 1835 तक समुद्री पक्षियों के लिए एक प्रजनन स्थल था। किलटन और चेटलाट के लोग यहां शिकार करने आते थे। आश्चर्य की बात यह है कि बित्रा द्वीप पहले वीरान और बंजर था। धीरे-धीरे लोग यहां आएं और यहां पर खास तौर पर मुसलमानों को बसाया गया। अभी यहां सौ से 105 परिवार ही रहते हैं, जिन्हें अन्यत्र पुनर्वासित किया जा रहा है।
विडंबना यह है कि देश के इस महत्वपूर्ण निर्णय का भी कांग्रेस पार्टी विरोध कर रही है। कांग्रेस सांसद हामदुल्ला सईद ने भारत सरकार के इस कदम का विरोध कर आरोप लगाया कि सरकार ने स्थानीय लोगों से कोई सलाह नहीं ली और यह इलाके में शांति भंग करने की कोशिश है। हामदुल्ला सईद का साथ देते हुए कांग्रेस पार्टी भारत सरकार के इस फैसले के खिलाफ राजनीतिक और कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कह रही है।
बहरहाल, हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर लिए जा रहे भारत सरकार के निर्णय के बहुआयामी हित हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2024 में हुई लक्षद्वीप की यात्रा कोई छुट्टियां मनाने और तफरीह करने के लिए नहीं हुई थी। उस यात्रा का खास मतलब था। उस यात्रा के बाद ही लक्षद्वीप के दो द्वीपों मिनिकॉय और अगाती में रक्षा के साथ-साथ पर्यटन के दोहरे उद्देश्य वाला एयरपोर्ट बनाने का फैसला लिया गया। भारत सरकार ने ठीक एक साल पहले 18 जुलाई 2024 को लक्षद्वीप के मिनिकॉय द्वीप पर नया एयरपोर्ट बनाने की मंजूरी दी थी। इस एयरपोर्ट का इस्तेमाल थल सेना, वायुसेना, नौसेना और कोस्ट गार्ड के साथ-साथ और आम नागरिकों के लिए भी होगा।
मिनिकॉय द्वीप मालदीव से सिर्फ 50 मील दूर है। इससे भारतीय सेना को अरब सागर और हिंद महासागर पर निगरानी रखने में मदद मिलेगी। अभी लक्षद्वीप में सिर्फ अगाती द्वीप पर ही एयरपोर्ट है, लेकिन वह पुराना है, इसलिए उसे आधुनिक और सामरिक तरीके से सुधारा जा रहा है। अगाती और मिनिकॉय आइलैंड्स पर दो नए एयरफील्ड्स बनाए जा रहे हैं। अगाती पर मौजूद पुराने रनवे को सुधारा भी जा रहा है। मिनिकॉय द्वीप पर नौसैनिक अड्डा भी होगा, जहां आईएनएस जटायु रहेगा। इस बेस की दूरी मालदीव से 524 किलोमीटर है। इस बेस और रनवे से भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना मालदीव और चीन की हरकतों पर सीधी नजर रख पाएंगे।
अगाती आइलैंड की एयरस्ट्रिप को अपग्रेड किया जा रहा है, ताकि भारतीय सेना हिंद और अरब महासागर में शांति स्थापित रख सके। इसके अलावा इंडो-पैसिफिक रीजन में समुद्री सुरक्षा बरकरार रख सके। पूर्व में अंडमान और पश्चिम में लक्षद्वीप पर मजबूत तैनाती से भारत की समुद्री सीमा सुरक्षित रहेगी। साथ ही दोनों द्वीप समूहों पर पर्यटन भी बढ़ेगा। लोग यहां घूमते समय सुरक्षित महसूस करेंगे। मिनिकॉय द्वीप पर ड्यूल परपस एयरफील्ड बनाया जा रहा है, जहां से फाइटर जेट्स का संचालन होगा और इसके अलावा यहां पर आम नागरिक विमान भी आ-जा सकेंगे। साथ ही अन्य मिलिट्री एयरक्राफ्ट की लैंडिंग और टेकऑफ हो पाएगी।
इससे पहले सिर्फ मिलिट्री इस्तेमाल के लिए एयरफील्ड बनाने का प्रस्ताव सरकार के पास गया था। लेकिन अब उसे अपग्रेड करके दोहरे उद्देश्य के एयरफील्ड के तौर पर बनाया जा रहा है जिससे भारत अरब सागर और हिंद महासागर में चारों तरफ कड़ी निगरानी रख सकेगा। समुद्री लुटेरों की गतिविधियों पर भी अंकुश लगेगा। नौसेना और वायुसेना के लिए हिंद महासागर और अरब सागर में ऑपरेट करना ज्यादा आसान हो जाएगा। साथ ही चीन की बढ़ती गतिविधियों पर रोक लगाने का मौका भी मिलेगा। मिनिकॉय आइलैंड पर एयरस्ट्रिप बनाने का सबसे पहला प्रस्ताव भारतीय तटरक्षक बल ने दिया था। वर्तमान प्रस्ताव के तहत इस नए एयरपोर्ट और एयरफील्ड का संचालन भारतीय वायुसेना करेगी। लक्षद्वीप के आसपास फिलहाल सिर्फ एक ही एयरस्ट्रिप है। यह अगाती आइलैंड पर है। यहां पर हर तरह के विमान उतर नहीं सकते। लक्षद्वीप के कावारत्ती द्वीप पर भारतीय नौसेना का आईएनएस द्वीप-रक्षक नौसैनिक बेस है। यहां पर भारतीय नौसेना पहले से मजबूत है। अब तैयारी है यहां वायुसेना की मौजूदगी और ताकत बढ़ाने की। आईएनएस द्वीप-रक्षक दक्षिणी नौसैनिक कमांड का हिस्सा है। भारतीय नौसेना कावारत्ती द्वीप पर 1980 के दशक से संचालन कर रही है।
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