भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को प्रतिनिधि सूट बनाने की अर्जी स्वीकार

भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को प्रतिनिधि सूट बनाने की अर्जी स्वीकार

प्रयागराज, 19 जुलाई (एजेंसियां)। इलाहाबाद हाईकोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा और शाही ईदगाह विवाद मामले में नया मोड़ आ गया है। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और अन्य (सूट नंबर 17) की ओर से दाखिल की गई प्रतिनिधि सूट की अर्जी स्वीकार कर ली।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा और शाही ईदगाह विवाद मामले में न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और अन्य (सूट नंबर 17) की ओर से दाखिल की गई प्रतिनिधि सूट की अर्जी स्वीकार कर ली। साथ ही कोर्ट ने कहा वाद में रुचि लेने वाले श्रद्धालु संशोधन अर्जी दाखिल कर सकते हैं। दूसरी ओर कोर्ट के फैसले पर अन्य वादी पक्षों ने असंतोष जताया। उनकी दलील है कि वे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के वंशज हैं और उनका वाद ही प्रतिनिधि वाद बनाया जाना चाहिए।

सुनवाई के दौरान भगवान श्रीकृष्ण लला विराजमान और चार अन्य (सूट नंबर-7) की ओर से अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह व अनिल कुमार सिंह ने दावा किया कि भगवान श्रीकृष्ण जादौन क्षत्रिय और उनके वंशज थे। इस कारण उनके वाद को प्रतिनिधि वाद बनाया जाना चाहिए। उन्होंने अपने दावे के समर्थन में एएसआई और कनिंघम की रिपोर्ट का हवाला दिया जिसके अनुसार भगवान कृष्ण के वंशज जादौन क्षत्रिय थे। इसके अलावा ठाकुर केशव देव जी महाराज विराजमान मंदिर कटरा केशवदेव (सूट नंबर 13) के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने भी प्रतिनिधि सूट बनाए जाने पर असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने दलील दी कि वे मथुरा के निवासी और भगवान श्रीकृष्ण के वंशज हैं और उन्होंने सबसे पहले वाद दाखिल किया था इसलिए उनके सूट को ही प्रतिनिधि सूट बनाया जाना चाहिए।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के अधिवक्ता हरेराम त्रिपाठी ने वाद बिंदु तय किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने दलील दी कि जो संशोधन अर्जियां वाद बिंदु तय किए जाने के रास्ते में आ रही हों सिर्फ उनको निस्तारित करते हुए जल्द से जल्द वाद बिंदु तय किया जाना चाहिए। वहीं मुस्लिम पक्ष की अधिवक्ता तस्नीम अहमदी ने कहा कि अब वाद संख्या-17 में जो आदेश पारित होवही बाध्यकारी हो। अन्य वादों की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद अगली तारीख 22 अगस्त निर्धारित की है। इस दिन वाद बिंदु तय होने की भी उम्मीद है।

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कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि हिंदू एक बड़ा समुदाय है। ये किसी एक देवीदेवता को नहीं मानते हैं। हिंदू समाज विभिन्न देवीदेवताओं में आस्था रखते हैं। कुछ मूर्ति पूजा में विश्वास रखते हैं। कुछ निराकार ईश्वर में विश्वास रखते हैं। हिंदुओं में वैष्णवशैवरामानंदइस्कान समुदाय के लोग दुनिया भर में फैले हुए हैं। नास्तिकअज्ञेयवादी भी हिंदुओं में आते हैं। कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए हिंदुओं का प्रतिनिधि मानने के बजाय सिर्फ भगवान कृष्ण के भक्तों के लाभ के लिए वादी की मुस्लिमों के विरुद्ध प्रतिनिधित्व करने को लेकर दाखिल अर्जी स्वीकार कर ली।

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