अगली कैबिनेट बैठक में सरकारी कार्यालयों में अनिवार्य रूप से कन्नड़ झंडा फहराने का निर्णय: शिवकुमार

-कर्नाटक राज्योत्सव पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित

अगली कैबिनेट बैठक में सरकारी कार्यालयों में अनिवार्य रूप से कन्नड़ झंडा फहराने का निर्णय: शिवकुमार

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| उपमुख्यमंत्री डी.के.शिवकुमार ने कहा कि नवंबर के पूरे महीने के दौरान निजी और सरकारी कार्यालयों में कन्नड़ ध्वज फहराना अनिवार्य करने के बारे में अगली कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया जाएगा|

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कर्नाटक राज्योत्सव के मौके पर शहर के कांतिरवा स्टेडियम में आयोजित स्कूली बच्चों के जुलूस में उन्होंने सलामी ली और इससे पहले उन्होंने विधान सौधा की भुवनेश्वरी प्रतिमा के पास मीडिया से बात की| कर्नाटक सिर्फ एक राज्य नहीं है, यह संस्कृति का स्थान है| कन्नड़ सिर्फ एक भाषा नहीं है, यह हमारी अंतरतम भाषा है| कन्नड़ जीवन जीने का एक तरीका है| उन्होंने छात्रों से कहा कि हम सभी को कन्नड़ को अंग्रेजी और हिंदी भाषा के हमलों से बचाना चाहिए| कन्नड़ का इतिहास लगभग दो हजार वर्ष पुराना है| इस धरती में कुछ खास छिपा है| जो लोग यहां आते हैं वे किसी भी कारण से वापस नहीं जाते हैं| हमारा समावेशी कर्नाटक शांतिपूर्ण है| बाहर से आये लोगों को भोजन और आवास भी मिला| यह हमारी कन्नड़ माता है|

यहां का सबसे अच्छा मौसम पूरे देश में कहीं नहीं है| उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति और जल-जमीन में सभी को आकर्षित करने का गुण है| सभी कन्नडिगाओं को एकजुट होना चाहिए| हमें कन्नडिगाओं के त्याग, बलिदान और कड़ी मेहनत को नहीं भूलना चाहिए| इस भाषा, भूमि, जल और ध्वज का सम्मान कई बुजुर्गों ने कायम रखा है| देश के किसी भी राज्य का कोई ध्वज या राष्ट्रगान नहीं है| लेकिन हमारे पास दोनों हैं| विधान सौधा के परिसर में मां भुवनेश्वरी की प्रतिमा स्थापित की गई है| यह वर्ष समृद्धि से भरा है| उन्होंने कहा कि एक साल में तीन बार केआरएस बांध भर गया| जैसा कि कुवेम्पु ने कहा, कर्नाटक शांति का उद्यान है| हम सभी को जाति और धर्म छोड़कर सह-अस्तित्व में कर्नाटक की समृद्धि के लिए काम करना चाहिए| बेंगलूरु विश्व स्तर पर चमक रहा है| दुनिया के लोग हमें देख रहे हैं| हम सभी को कन्नड़ और कर्नाटक को वैश्विक स्तर पर ले जाना है|

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स्कूली बच्चों की हलचल देखकर मुझे भी अपने बचपन के दिन याद आ जाते हैं| मैंने भी वर्दी पहनी और अनुशासन के साथ चला| मैंने एक बास ड्रम वादक के रूप में शुरुआत की| उन्होंने स्कूल के दिनों को याद करते हुए कहा कि उन्हें इसी स्टेडियम में चलना याद है| कन्नड़ का गौरव सम्राट अशोक के काल से ही रहा है| कन्नड़ और कर्नाटक का इतिहास मीडिया द्वारा अच्छी तरह से रिपोर्ट किया गया है| उन्होंने कहा कि वह कर्नाटक के सभी लोगों को कर्नाटक राज्योत्सव की शुभकामनाएं देते हैं|

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