तमिलनाडु के मुरुगन मंदिर में जानवरों की कुर्बानी देने की साजिश फेल

तमिलनाडु के मुरुगन मंदिर में जानवरों की कुर्बानी देने की साजिश फेल

चेन्नई, 21 जनवरी (एजेंसियां)। तमिलनाडु के थिरुपरनकुंद्रम जिले में पवित्र मदुरै पहाड़ी पर मुस्लिमों ने पशुओं की कुर्बानी देने की कोशिश कीजिसे पुलिस ने विफल कर दिया। पुलिस ने हिंदू संगठनों की शिकायत के बाद कुर्बानी देने से रोका। मदुरै पहाड़ी पर पशुओं की कुर्बानी बैन आतंकी संगठन पीएफआई के पॉलिटिकल विंग एसडीपीआई के लोग देने वाले थे। बता दें कि पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआईको बैन करने के बाद इससे जुड़े लोगों ने सोशल डेमोक्रेटिकल पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआईबनाई है।

एसडीपीआई के सदस्यों द्वारा पवित्र मंदिर क्षेत्र में स्थित एक दरगाह पर कुर्बानी देने की प्लानिंग की गई थी। इसके बारे में इंदु मक्कल कच्ची (आईएमकेके मदुरै जिलाध्यक्ष सोलैकन्नन ने कमिश्नर लोगनाथन को सूचना दी थी और लिखित में कुर्बानी रोकने की मांग की थी। इस पवित्र पहाड़ी पर मुरुगन मंदिर स्थित हैतो मुस्लिमों के लिए कथित सिकंदर बादुशाह (बादशाह) की मजार भी है। इसी मजार पर बकरों और मुर्गियों की बलि देने की तैयारी की जा रही थी। कमिश्नर को दी गई अपनी शिकायत में सोलैकनन ने लिखामदुरै में थिरुपरनकुंद्रम सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर पहाड़ी एक प्राचीन स्थल है और हिंदुओं के लिए इसका बहुत धार्मिक महत्व है। यहां का हिंदू समुदाय हर पूर्णिमा पर पहाड़ी की पूजा और गिरिवलम (परिक्रमा) करता रहा है। ऐसे में यहां कुर्बानी जैसी चीजें रोकी जाए।

तुरंत ही सक्रिय हुई पुलिस ने इस्लामिक समूह को बकरों और मुर्गियों की कुर्बानी देने से रोक दिया। पुलिस ने कहा कि इस मजार पर सिर्फ नमाज या दुआ पढ़ी जा सकती हैकुर्बानी नहीं दी जा सकती। बीते सप्ताह इस्लामी संगठनों से जुड़े लोगों ने राजस्व अधिकारियों और जिला प्रशासन से मुलाकात की थी और सिकंदर बादुशाह दरगाह पर कुर्बानी की अनुमति मांगी थीलेकिन मदुरै जिला प्रशासन ने दरगाह पर सिर्फ नमाज अदा करने की अनुमति दी।

दरअसलइस्लामी संगठनों की कोशिश का हिंदू विरोध कर रहे हैं। हिंदुओं का कहना है कि मदुरै पहाड़ी पर स्थित मंदिर भगवान मुरुगन के 6 पवित्र निवासों में से एक है। ऐसे में यहां कुर्बानी नहीं दे सकते। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम लोग इस मंदिर को अपवित्र कर इस्लामी स्वरूप देना चाहते हैं। इस मामले में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई का भी बयान आया है। उन्होंने एक्स पर लिख कि कुछ लोग थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी को सिकंदर मलाई (पहाड़ी) कह रहे हैं। भाजपा नेता ने सत्तारूढ़ डीएमके पर मुस्लिम तुष्टिकरण में लिप्त होने का आरोप लगाया। उन्होंने धार्मिक मान्यताओं की परवाह किए बिना थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर शांति बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया।

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इस मामले में ताजा विवाद 27 दिसंबर 2024 को शुरू हुआजब कुछ मुस्लिमों ने थिरुपरनकुंड्रम मुरुगम मंदिर पहाड़ियों पर स्थिति दरगाह परिसर में कुर्बानी के लिए बकरे और मुर्गियां ले जाते की कोशिश की। इस मामले में तमिलनाडु पुलिस ने मलैयाडीपट्टी निवासी सैयद अबू दाहिर और उसके परिवार को पहाड़ी के नीचे ही रोक लियाजिसके बाद 20 से अधिक मुस्लिमों ने प्रदर्शन भी किया था। इसके बाद इस महीने की शुरुआत में सिकंदर मस्जिद समिति और ऐय्यकिया कूटामाइप्पू जमात के 100 से ज़्यादा सदस्यों को मस्जिद खोलने और वहां नमाज पढ़ने की अनुमति मांगते हुए विरोध प्रदर्शन किया थाजिन्हें पुलिस ने हिरासत में भी लिया था। प्रदर्शन कर रहे मुस्लिमों ने 5 जनवरी 2025 को दावा किया कि सुल्तान सिकंदर ने लगभग 400 साल पहले सिकंदर बादुशाह थोझुगई पल्लीवासल को बनवाया था।

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थिरुपरनकुंद्रन पहाड़ी की चोटी पर काशी विश्वनाथ मंदिरएक लैंप पोस्ट और एक पवित्र कल्लथी वृक्ष है। अंग्रेज प्रशासन ने भी फैसला दिया था कि थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी का मालिक सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर है। अंग्रेजों ने कहा था कि पहाड़ी के आसपास स्थित जैन मंदिरों और शिलालेखों की सुरक्षा के लिए इस पूरे क्षेत्र को पुरातत्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में रखा जाना चाहिए। लेकिन साल 2011 से इस्लामी संगठन एसडीपीआई थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर लैंप पोस्ट के पास झंडा लगाने का विरोध कर रहा है और अब पवित्र पहाड़ी पर कुर्बानी देने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में ये पवित्र पहाड़ी को इस्लामी मजहबी स्थल बनाने की कोशिश नहीं तो क्या है?

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स्थानीय हिंदुओं का आरोप है कि स्थानीय मुस्लिमों ने समय के साथ पहाड़ी के कुछ हिस्सों पर अतिक्रमण कर लिया। तमिलनाडु सरकार भी इस मामले में तुष्टिकरण करती है।

बता दें कि एसडीपीआई प्रतिबंधित आतंकी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की राजनीतिक शाखा है। इस संगठन से जुड़े लोग हिंदुओं के खिलाफ अपराधों में शामिल रहे हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पीएफआई के लोग मुखौटा संगठनों की आड़ में आतंकी वारदातों में शामिल रहे हैं। यही वजह है कि गृह मंत्रालय ने पीएफआई पर बैन लगाया हुआ है।

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