राफेल पर पाकिस्तानी प्रोपेगैंडा चकनाचूर: फ्रांसीसी नौसेना ने कहा—सब फेक, सब झूठ

राफेल पर पाकिस्तानी प्रोपेगैंडा चकनाचूर: फ्रांसीसी नौसेना ने कहा—सब फेक, सब झूठ

नई दिल्ली, 22 नवम्बर (एजेंसियां)।राफेल पर पाकिस्तानी मीडिया द्वारा फैलाई जा रही फर्जी खबरों का रविवार को फ्रांसीसी नौसेना ने सख़्त शब्दों में खंडन कर दिया। पाकिस्तान के प्रमुख समाचार चैनल जियो टीवी ने एक मनगढ़ंत लेख प्रकाशित किया था, जिसमें दावा किया गया था कि मई 2025 की हवाई झड़प, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया था, में पाकिस्तानी वायु सेना की कथित “हवाई श्रेष्ठता” को फ्रांस के एक कमांडर ने स्वीकार किया था। फ्रांसीसी नौसेना ने इस पूरे दावे को अस्तित्वहीन, भ्रामक और तथ्यहीन बताया और स्पष्ट किया कि इस तरह की किसी भी सूचना को कभी भी उनके किसी अधिकारी ने न तो पुष्टि की और न ही इस प्रकार की किसी बातचीत को स्वीकृति दी।

पाकिस्तानी मीडिया ने जिस मनगढ़ंत लेख के आधार पर यह दावा उछाला, उसमें कहा गया था कि फ्रांसीसी कमांडर कैप्टन जैक्विस लौने ने कथित तौर पर स्वीकार किया था कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान का पलड़ा भारी था और पाकिस्तान एयर फोर्स बेहतर तैयार थी। लेख ने यह भी कहा कि चीनी J-10C लड़ाकू विमान तकनीकी रूप से राफेल से श्रेष्ठ साबित हुआ और इसी कारण भारतीय वायु सेना का राफेल किसी संघर्ष में गिराया नहीं गया। पाकिस्तानी मीडिया ने यह दिखाने की कोशिश की कि पाकिस्तान ने हवाई संघर्ष में बढ़त हासिल की, जबकि भारत किसी तरह नुकसान से बचने में सफल हुआ। इन दावों को लेकर फ्रांस ने न सिर्फ नाराजगी जताई, बल्कि उन्हें “फेक न्यूज” का करार देते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसे बयान पूरी तरह से झूठ पर आधारित हैं।

फ्रांसीसी नौसेना ने अपने बयान में कहा कि कैप्टन लौने के नाम से जो भी बातें कही गईं, वे सभी अनुमोदन-विहीन हैं और तथ्यहीन दावों से भरी हुई हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि फ्रांसीसी नौसेना के किसी अधिकारी ने कभी भी किसी भी मीडिया संस्थान या प्रकाशन को ऐसा कोई बयान नहीं दिया, न ही फ्रांस ने किसी ऑपरेशन में पाकिस्तान की कथित श्रेष्ठता से संबंधित कोई टिप्पणी की है। फ्रांस के इस खंडन के बाद साफ हो गया कि पाकिस्तानी मीडिया का पूरा दावा एक सोची-समझी गलत सूचना अभियान का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य अपने देश में मनोवैज्ञानिक बढ़त कायम करना और भारत के खिलाफ भ्रम फैलाना था।

भारत में इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। कई उपयोगकर्ताओं ने पाकिस्तानी मीडिया पर भड़कते हुए कहा कि फर्जी दावों के सहारे वह अपने देश की जनता को झूठ परोस रहा है। इस घटना पर भाजपा नेता अमित मालवीय ने भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह पाकिस्तान की “हताश गलत सूचना मशीनरी” का ताज़ा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि जब किसी देश की सरकारी मशीनरी को अपने प्रोपेगैंडा को बचाने के लिए झूठ का सहारा लेना पड़ता है और जब विदेशी संस्थाएं उसे झूठा साबित करती हैं, तो यह स्पष्ट होता है कि वह देश किस हद तक भ्रम फैलाने के प्रयास में लगा हुआ है। मालवीय ने कहा कि पाकिस्तान अपने भीतर की असफलताओं को छिपाने और भारतीय सैन्य क्षमता को कमतर दिखाने के प्रयास में लगातार इस तरह की फर्जी खबरें फैलाता रहा है।

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मई 2025 में हुआ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इस पूरे विवाद की पृष्ठभूमि में है। यह सैन्य अभियान भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू किया था, जिसमें 26 निर्दोष लोग मारे गए थे। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने स्पष्ट किया था कि इस हमले में शामिल आतंकियों के ठिकाने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित थे। हमले के बाद भारत ने तेजी से जवाबी कार्रवाई की और पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान पहुंचाया। पाकिस्तानी रक्षा प्रतिष्ठान इस कार्रवाई से घबराया और अंततः इस्लामाबाद की ओर से युद्धविराम (सीजफायर) का अनुरोध किया गया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच कुछ समय के लिए तनाव कम हुआ। लेकिन पाकिस्तानी मीडिया ने इस पूरे परिदृश्य को अपने तरीके से पेश करने की कोशिश की, ताकि वह यह दिखा सके कि पाकिस्तान की स्थिति मजबूत रही।

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विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की मीडिया और सैन्य प्रतिष्ठान अक्सर भारत के खिलाफ मनोवैज्ञानिक युद्ध (इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर) छेड़ते हैं। इस तरह के लेख और दावे उसी रणनीति का हिस्सा होते हैं। चीन से मिले सैन्य सहयोग और उसकी तकनीक को बढ़ावा देने के लिए भी पाकिस्तान आए दिन चीनी J-10C लड़ाकू विमानों की प्रशंसा करता रहता है। जबकि स्वतंत्र विशेषज्ञों और कई अंतरराष्ट्रीय रक्षा विश्लेषकों ने स्पष्ट किया है कि राफेल की तकनीक, एवियोनिक्स, हथियार क्षमता और एयर-टू-एयर कॉम्बैट में इसकी उत्कृष्टता J-10C से कहीं आगे है। यही वजह है कि भारत के राफेल अधिग्रहण ने पाकिस्तान और चीन, दोनों की नींद उड़ाई हुई है।

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फ्रांसीसी नौसेना का यह बयान न सिर्फ पाकिस्तानी मीडिया के दावों की पोल खोलता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह भी स्पष्ट करता है कि भारत के खिलाफ गढ़ी गई कहानियाँ कितनी खोखली होती हैं। यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान ने गलत जानकारी फैलाने की कोशिश की हो, लेकिन इस बार फ्रांस की आधिकारिक प्रतिक्रिया ने उसकी विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। भारतीय विश्लेषकों का मानना है कि फ्रांस का यह स्पष्ट खंडन पाकिस्तान के लिए एक कूटनीतिक झटका है, क्योंकि इससे न केवल उसकी फौजी दावेदारी कमजोर पड़ती है, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी साख भी कमजोर होती है।

इस पूरे विवाद ने एक बार फिर साबित किया कि झूठ और प्रोपेगैंडा के दम पर पाकिस्तानी मीडिया अपनी असफलताओं को छिपाने और भारत की छवि को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करता रहता है। लेकिन फ्रांसीसी नौसेना की सच्चाई ने उसकी यह कोशिश ध्वस्त कर दी। अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने यह साफ है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत न सिर्फ निर्णायक रूप से मजबूत रहा, बल्कि पाकिस्तानी मीडिया का दावा पूरी तरह हवा-हवाई था।

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