तेजस हादसे पर देश का आक्रोश: शहीद विंग कमांडर नमांश स्याल को अश्रुपूरित विदाई

 दुश्मनों को चेतावनी—भारत अपने वीरों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देगा

तेजस हादसे पर देश का आक्रोश: शहीद विंग कमांडर नमांश स्याल को अश्रुपूरित विदाई

नई दिल्ली, 22 नवम्बर (एजेंसियां)। दुबई एयर शो के दौरान भारतीय वायु सेना के तेजस लड़ाकू विमान की दुर्घटना में शहीद हुए विंग कमांडर नमांश स्याल को रविवार को उनके पैतृक गांव पटियालकर कांगड़ा में नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। पूरे सैन्य सम्मान के साथ आयोजित अंतिम संस्कार में परिवार, गांववाले, वायु सेना के अधिकारी और सैकड़ों लोग मौजूद रहे। गांव की मिट्टी में लौटते इस वीर पायलट की अंतिम यात्रा पूरे क्षेत्र को शोक और गर्व से भर गई। नमांश स्याल वह नाम बन गए हैं, जिन्होंने देश के लिए अपनी आखिरी सांस तक कर्तव्य को सर्वोपरी रखा।

विंग कमांडर स्याल का पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचा तो पूरा माहौल “नमांश अमर रहें” और “भारत माता की जय” के नारों से गूंज उठा। भारतीय वायु सेना के जवानों ने राष्ट्रीय ध्वज में लिपटे उनके पार्थिव शरीर को कंधों पर उठाकर उस विदाई दी, जो केवल राष्ट्र के असली वीरों को नसीब होती है। शुक्रवार को हुए तेजस विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया, लेकिन उनकी शहादत ने यह भी याद दिलाया कि भारतीय आकाश की रक्षा करने वाले योद्धा किस हद तक अपने कर्तव्य को निभाते हैं।

अंतिम संस्कार के सबसे भावुक क्षणों में से एक वह था जब उनकी पत्नी विंग कमांडर अफशां स्याल ने अपने पति को अंतिम सैल्यूट दिया। स्वयं भारतीय वायु सेना की अधिकारी होने के नाते अफशां का यह विदाई सैल्यूट पूरे देश को भावुक कर गया। सामने रखे तिरंगे में लिपटे अपने पति को सलामी देते हुए वह आंसुओं को रोकने की कोशिश करती रहीं, लेकिन वह दृश्य किसी भी व्यक्ति के दिल को छू लेने वाला था। वीडियो में देखा गया कि अफशां ने पूरे सम्मान और दृढ़ता के साथ अंतिम सैल्यूट देकर अपने पति की शहादत को गर्वपूर्वक स्वीकारा। उनके साथ खड़ी पांच साल की बेटी मासूम नजरों से समझने की कोशिश कर रही थी कि उसके पिता को इतनी गंभीरता से क्यों सलामी दी जा रही है। यह दृश्य हर किसी की आंखें नम कर गया।

भारतीय वायु सेना ने विंग कमांडर नमांश स्याल की वीरता, अनुशासन और कौशल को याद करते हुए आधिकारिक श्रद्धांजलि दी। आईएएफ द्वारा जारी बयान में कहा गया कि विंग कमांडर स्याल एक असाधारण फाइटर पायलट और समर्पित अधिकारी थे, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी सेवा को सर्वोपरि रखा। वायु सेना ने कहा कि यह नुकसान केवल उनके परिवार का नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र का है, क्योंकि ऐसे योद्धा बार-बार पैदा नहीं होते।

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वायु सेना ने अपने वक्तव्य में कहा, “विंग कमांडर स्याल ने अटूट साहस, अद्भुत उड़ान कौशल और कर्तव्य के प्रति अप्रतिम निष्ठा के साथ देश की सेवा की। वायु सेना इस कठिन घड़ी में उनके परिवार के साथ खड़ी है। उनकी वीरता, अनुशासन और सम्मान की विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।”

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गांववाले भी उन्हें याद करते हुए भावुक हो उठे। नमांश बचपन से ही तेज और साहसी थे, और विमान उड़ाना उनका सपना था। बड़े होकर उन्होंने सिर्फ सपना पूरा नहीं किया, बल्कि भारत को गौरवान्वित करने वाले उत्कृष्ट पायलटों की सूची में अपना नाम दर्ज कराया। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि नमांश जब भी छुट्टी पर आते थे, बच्चों को प्रेरित करते थे कि देश की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म है। आज वही पूरा गांव अपने इस वीर बेटे को विदा कर रहा था।

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तेजस विमान हादसे को लेकर देशभर में गहरा दुख व्यक्त किया गया है और इस घटना ने यह भी सवाल खड़ा किया है कि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाएं रोकने के लिए किन कदमों की आवश्यकता है। लेकिन इस दुख के बीच पूरे देश में एक भावना बार-बार उभर रही है—कि शहीद नमांश स्याल की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें, वीडियो और उनके पराक्रम की कहानियाँ तेजी से फैल रही हैं। हर ओर लोग कह रहे हैं कि जब तक ऐसे योद्धा भारत की रक्षा करते रहेंगे, तब तक देश का आकाश अडिग और सुरक्षित रहेगा।

विंग कमांडर नमांश स्याल की शहादत ने यह भी याद दिलाया है कि भारतीय सैन्य बलों में सेवा करने वाले जवान सिर्फ वर्दीधारी कर्मचारी नहीं, बल्कि ऐसे योद्धा हैं जो हर क्षण जीवन और मृत्यु के बीच खड़े होकर देश की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। तेजस जैसे अत्याधुनिक विमान उड़ाने वाले पायलट हर पल जोखिम का सामना करते हैं, लेकिन उनके मन में राष्ट्र सर्वोपरि होता है। यही भावना नमांश के जीवन में भी थी, जो अंत तक कर्तव्यपथ पर डटे रहे।

उनका अंतिम संस्कार बंदूक सलामी, राष्ट्रध्वज की गरिमापूर्ण रस्म और श्रद्धांजलि के नारों के बीच सम्पन्न हुआ। तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर जब अग्नि को समर्पित किया गया, तो पूरा गांव, पूरा जिला और पूरा देश एक ही भावना में डूब गया—एक वीर ने अपना सबकुछ देश के नाम कर दिया।

आज नमांश स्याल भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी शहादत और साहस आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनकर हमेशा जीवित रहेगा।

कैसे हुआ हादसा?

दुबई एयर शो में तेजस का प्रदर्शन उड़ान चल रहा था। उसी दौरान टेक्निकल फॉल्ट (तकनीकी खराबी) की वजह से विमान अचानक नियंत्रण खो बैठा। विमानों की ऐसी एरोबेटिक उड़ानें बेहद जोखिमपूर्ण होती हैं और समय पर प्रतिक्रिया तथा तकनीकी स्थिति दोनों ही अहम होते हैं। जब तेजस ने नियंत्रण खोया, तब वह रनवे के नजदीक दुर्घटनाग्रस्त हो गया

पायलट विंग कमांडर नमांश स्याल ने दुर्घटना से पहले विमान को आबादी से दूर ले जाने की पूरी कोशिश की, ताकि किसी नागरिक को नुकसान न हो। लेकिन विमान की स्थिति इतनी गंभीर थी कि वे खुद को बचा नहीं पाए और हादसे में उनकी मौके पर ही शहादत हो गई।

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