डीके शिवकुमार ने मुख्यमंत्री परिवर्तन को लेकर मांगा लिखित आश्वासन

डीके शिवकुमार ने मुख्यमंत्री परिवर्तन को लेकर मांगा लिखित आश्वासन

बेंगलुरु, 24 नवंबर (एजेंसियां)। कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कथित तौर पर सरकार गठन के समय मुख्यमंत्री परिवर्तन को लेकर किये गये वादे की याद दिलाते हुए लिखित आश्वासन मांगा है। इस कथित मांग से कांग्रेस नीत सरकार को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है और राज्य की राजनीति में खलबली मच गई है।


इस कथित मांग की पुष्टि हालांकि न तो अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) और न ही राज्य नेतृत्व द्वारा की गई है, लेकिन इसने सत्तारूढ़ पार्टी के शीर्ष स्तर में बढ़ते अविश्वास के बारे में अटकलों को तेज कर दिया है।


पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, श्री शिवकुमार की यह कथित माँग सरकार गठन के समय सत्ता को साझा करने पर हुई पहले की मौखिक चर्चा से उपजी है। वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने हालांकि ऐसी किसी सहमति को लेकर कोई पुष्टि नहीं की है।


नेतृत्व परिवर्तन का यह मुद्दा उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के बीच बढ़ती दूरी की ओर इशारा करता है। कर्नाटक की राजनीति में तब इस मुद्दे ने तब और हवा पकड़ ली, जब नागा संतों के एक समूह ने श्री शिवकुमार के निवास का दौरा किया, जिसमें से काशी के एक संत ने कथित तौर पर उन्हें मुख्यमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया। यह हालांकि प्रतीकात्मक है, लेकिन इस दौरे ने कथित नेतृत्व विवाद के इर्द-गिर्द राजनीतिक चर्चाओं को तेज कर दिया है।

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वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य के ऊर्जा मंत्री केजे जॉर्ज ने रविवार को मुख्यमंत्री सिद्दारमैयाऔर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की और बाद में श्री शिवकुमार के साथ भी एक अलग बैठक की। पार्टी सूत्रों ने हालांकि इन बैठकों को नियमित मुलाकात मात्र बताया और श्री जॉर्ज की मध्यस्थता की भूमिका को खारिज कर दिया।

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इस बीच, श्री सिद्दारमैया के खेमे ने अपनी ताकत की पुष्टि करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। पिछले दो दिनों में मुख्यमंत्री के बेटे डॉ. यतींद्र सिद्दारमैया ने मुख्यमंत्री के लिए समर्थन मजबूत करने के ख्याल से उत्तर कन्नड़ जिले में व्यक्तिगत रूप से कांग्रेस विधायकों से मुलाकात की है।

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दूसरी ओर, श्री शिवकुमार के समर्थक विधायकों के समूह लगातार दिल्ली का दौरा कर रहे हैं। छह-सात विधायकों का एक और जत्था रविवार शाम को एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मिलने के लिए रवाना हुआ। कथित तौर पर महासचिव ने पिछली मौखिक सहमति पर चिंता व्यक्त की। हालांकि, पार्टी नेतृत्व ने ऐसी किसी व्यवस्था की पुष्टि करते हुए कोई बयान जारी नहीं किया है।


कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पत्रकारों के साथ संक्षिप्त बातचीत के बाद दोहराया कि इस मामले पर फैसला केवल पार्टी आलाकमान द्वारा ही लिया जाएगा। इस मुद्दे पर वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के विदेश से लौटने के बाद ही स्पष्टता आने की उम्मीद है।


मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने शनिवार रात को श्री खरगे के साथ अपनी बैठक के दौरान चिंता व्यक्त की कि अटकलों के बीच विधायकों का दिल्ली जाना पार्टी कार्यकर्ताओं को एक भ्रामक संकेत दे सकता है और पार्टी की छवि को नुकसान पहुँचा सकता है।


इसी बीच, राज्य के गृह मंत्री और वरिष्ठ दलित नेता जी. परमेश्वर ने संकेत दिया है कि यदि वर्तमान अनिश्चितता जारी रहती है, तो वह मुख्यमंत्री के पद के लिए उपलब्ध होंगे।


राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि हालाँकि कई कारक इस अशांति में योगदान दे रहे हैं, लेकिन कथित लिखित-आश्वासन विवाद भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस सरकार को विभाजित करने के लिए एक नया अवसर प्रदान कर सकता है। राहुल गांधी की वापसी और दिल्ली में बाद में होने वाले परामर्श के बाद बड़े घटनाक्रमों की उम्मीद है।

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