राम मंदिर ध्वजारोहण पर टिप्पणी करना पाकिस्तान को पड़ा भारी

भारत ने कराई बोलती बंद

राम मंदिर ध्वजारोहण पर टिप्पणी करना पाकिस्तान को पड़ा भारी

नई दिल्ली, 26 नवम्बर, (एजेंसियां)। अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पर पवित्र भगवा ध्वज फहराए जाने को लेकर पाकिस्तान द्वारा की गई टिप्पणी पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इस्लामाबाद को करारा जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पाकिस्तान के बयान को ‘‘बेबुनियाद, राजनीतिक और पूरी तरह पाखंडी’’ बताते हुए कहा कि कट्टरता, दमन और अल्पसंख्यकों के दमन के काले इतिहास वाले देश के पास भारत को उपदेश देने का कोई नैतिक हक नहीं है।

अयोध्या में हुए ध्वजारोहण कार्यक्रम पर पाकिस्तान ने अपनी आधिकारिक टिप्पणी जारी करते हुए इसे ‘‘इस्लामोफोबिया’’ और ‘‘विरासत का अपमान’’ बताया था। पाकिस्तान ने बाबरी मस्जिद का हवाला देते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचने की कोशिश की और भारत की न्यायपालिका तथा सरकार पर भी अनर्गल आरोप लगाए। इस बयान में राम मंदिर के निर्माण को पाकिस्तान ने अल्पसंख्यकों के प्रति भारत के रवैये का उदाहरण बताने की कोशिश की।

भारत ने पाकिस्तान के इस रवैये पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि अयोध्या में आयोजित धार्मिक समारोह भारत की आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक विरासत का समारोह है। इस पर टिप्पणी करना पाकिस्तान की एक और ‘‘अवांछित और बिन बुलाई’’ आदत है, जिसमें वह भारत के आंतरिक मामलों पर बिना तथ्य और बिना आधार के बयान देता रहता है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मंगलवार को कहा कि भारत ने पाकिस्तान की टिप्पणियों को देखा है और भारत उन्हें पूरी तरह खारिज करता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का अपना रिकॉर्ड इतना दागदार है कि उसे किसी भी तरह का नैतिक उपदेश देने का अधिकार ही नहीं बचता। जायसवाल ने सीधे शब्दों में कहा, ‘‘जिस देश का इतिहास कट्टरता, दमन और अल्पसंख्यकों के साथ व्यवस्थित दुर्व्यवहार से भरा हो, वह दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक और बहुलतावादी देश पर उंगली उठाने की स्थिति में नहीं है।’’

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भारत ने पाकिस्तान को यह भी याद दिलाया कि उसके यहां हिंदू, सिख, ईसाई और शिया समुदाय किस तरह दशकों से दमन का शिकार रहे हैं। भारत ने कहा कि इस्लामाबाद को सबसे पहले अपने देश मे मानवाधिकारों की हालत पर ध्यान देना चाहिए, न कि दूसरों की धार्मिक परंपराओं पर टिप्पणी करने की आदत डालनी चाहिए। प्रवक्ता ने कहा कि ‘‘पाखंडी बयानबाजी करने के बजाय पाकिस्तान को अपने घर में झाँककर देखना चाहिए कि उसके यहां अल्पसंख्यक समुदाय किस भय और असुरक्षा में जीते हैं।’’

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पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में ध्वजारोहण को “उकसाने” की कार्रवाई बताया था और दावा किया था कि इससे धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। भारत ने इस पर तंज कसते हुए कहा कि पाकिस्तान की राजनीति ही धार्मिक कट्टरता पर टिकी है और उसके नेताओं को बहुलतावाद और धार्मिक स्वतंत्रता की बुनियादी समझ तक नहीं है। भारत ने स्पष्ट कहा कि अयोध्या का कार्यक्रम एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का उत्सव था, और किसी भी संप्रभु राष्ट्र के आंतरिक धार्मिक कार्यों पर बाहरी टिप्पणी अनुचित और अस्वीकार्य है।

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इस बीच अयोध्या में 25 नवंबर को हुए भव्य ध्वजारोहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के ऊपर पवित्र भगवा ध्वज फहराया। यह कार्यक्रम मंदिर के औपचारिक पूर्ण होने का प्रतीक था और हिंदू आस्था के लंबे संघर्ष के बाद हुए ऐतिहासिक परिवर्तन का भी संकेत है। देशभर से लाखों भक्तों ने इस कार्यक्रम को देखा और इसे धर्मनिष्ठ भारत की नई सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक माना।

भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि वह भारत-विरोधी बयानबाजी बंद करे और अपने बुरे रिकॉर्ड को छिपाने के लिए दूसरों की धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल न करे। मंत्रालय ने कहा कि भारत न तो पाकिस्तान की दखलंदाजी बर्दाश्त करेगा और न ही गलत व्याख्या के माध्यम से अपने राष्ट्रीय गौरव को किसी विदेशी मंच पर बदनाम होने देगा।

भारत के इस जवाब के बाद पाकिस्तान की आलोचना पर दुनिया भर में भी सवाल उठ रहे हैं। कई अंतर्राष्ट्रीय विश्लेषकों ने पाकिस्तान की टिप्पणी को ‘‘कूटनीतिक नौटंकी’’ और ‘‘राजनीतिक ध्यान भटकाने का तरीका’’ बताया है, क्योंकि इस समय पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, आंतरिक सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता तीनों बदहाली की स्थिति में हैं।

भारत का स्पष्ट संदेश है कि अयोध्या का राम मंदिर देश की सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक आस्था का केंद्रबिंदु है। इस पर टिप्पणी करना पाकिस्तान की अपरिपक्व कूटनीति का प्रदर्शन है, जिसका जवाब भारत ने पूरी मजबूती और सटीकता से दे दिया है।