हर नागरिक निभाए अपना कर्तव्य, तभी बनेगा विकसित भारत

संविधान दिवस पर प्रधानमंत्री का संदेश

 हर नागरिक निभाए अपना कर्तव्य, तभी बनेगा विकसित भारत

नई दिल्ली, 26 नवंबर, (एजेंसियां)। संविधान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नागरिकों के नाम लिखा गया पत्र इस वर्ष एक विशेष संदेश लेकर सामने आया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत का आधार केवल अधिकारों पर नहीं, बल्कि नागरिकों द्वारा निभाए जाने वाले कर्तव्यों पर टिका है। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे अनुच्छेद 51(ए) में निहित अपने संवैधानिक कर्तव्यों को प्राथमिकता दें, क्योंकि यही वह शक्ति है जो भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को वास्तविकता प्रदान कर सकती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का संविधान सिर्फ एक दस्तावेज नहीं, बल्कि देश की आत्मा है जिसने दशकों से राष्ट्र की दिशा तय की है। उन्होंने याद किया कि 2014 में उन्होंने पहली बार संसद भवन की सीढ़ियों को नमन किया था और 2019 में संविधान की प्रति को माथे से लगाया था। उनके अनुसार, संविधान ने ही एक साधारण परिवार में जन्मे व्यक्ति को देश की सेवा करने का अवसर दिया और यही इसकी विशिष्टता है। उन्होंने कहा कि यह वही ग्रंथ है जिसने समानता, न्याय और अवसरों को प्रत्येक नागरिक तक पहुँचाया और भारत को लोकतंत्र की मजबूत नींव प्रदान की।

प्रधानमंत्री ने इस वर्ष के संविधान दिवस को खास बताते हुए कहा कि यह कई ऐतिहासिक मील के पत्थरों से जुड़ा हुआ है। इस वर्ष लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती है। पटेल के साहस और दृढ़ इच्छाशक्ति ने भारत के एकीकरण को संभव बनाया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका वही दृष्टिकोण आने वाले वर्षों में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A को हटाने का मार्ग तैयार करने वाला साबित हुआ। इसी तरह बिरसा मुंडा का संघर्ष आदिवासी समाज के अधिकार, सम्मान और न्याय के लिए आज भी प्रेरणा देता है और भारत की सांस्कृतिक विविधता को नई शक्ति प्रदान करता है।

प्रधानमंत्री ने यह भी याद दिलाया कि यह वर्ष वंदे मातरम् की रचना के 150 वर्षों और गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत वर्षगांठ का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् ने स्वतंत्रता आंदोलन में जो ऊर्जा प्रदान की, वह अतुलनीय है। वहीं गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान धार्मिक स्वतंत्रता और मानव मूल्यों के लिए सर्वोच्च उदाहरण है। प्रधानमंत्री के अनुसार, ऐसे ऐतिहासिक अवसर हमें यह याद दिलाते हैं कि कर्तव्य और राष्ट्रभक्ति एक-दूसरे के पूरक हैं और इनसे ही मजबूत राष्ट्र का निर्माण होता है।

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अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा संविधान 1949 में अंगीकृत हुआ था और 2049 में इसके 100 वर्ष पूरे होंगे। उन्होंने कहा कि आज देश जिन नीतियों और संकल्पों पर आगे बढ़ रहा है, वे आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को तय करेंगे। इसलिए प्रत्येक नागरिक को चाहिए कि वह अपने व्यक्तिगत, सामाजिक और राष्ट्रीय दायित्वों को समझते हुए कार्य करे, क्योंकि व्यक्तिगत जिम्मेदारी ही सामूहिक विकास का आधार बनती है।

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प्रधानमंत्री ने मतदान के महत्व पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि युवाओं में लोकतंत्र की समझ और जिम्मेदारी की भावना विकसित करना राष्ट्रहित में आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि संविधान दिवस पर स्कूलों और कॉलेजों में 18 वर्ष के नए मतदाताओं को सम्मानित किया जाना चाहिए। इससे युवा पीढ़ी में मतदान के प्रति उत्साह और कर्तव्यबोध दोनों बढ़ेंगे। प्रधानमंत्री के अनुसार, युवाओं को यह महसूस कराना समय की आवश्यकता है कि वे केवल देश का भविष्य ही नहीं, बल्कि वर्तमान भी हैं, और उनकी सक्रिय भागीदारी से ही लोकतंत्र मजबूत होता है।

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उन्होंने कहा कि विकसित भारत का मार्ग नागरिकों की जिम्मेदारियों से होकर गुजरता है। देश तभी सशक्त बनेगा जब नागरिक कानूनों का पालन करेंगे, राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखेंगे, पर्यावरण और संस्कृति की रक्षा करेंगे और समाज में सकारात्मक योगदान देंगे। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि कर्तव्य को केंद्र में रखकर आगे बढ़ना किसी आदेश का पालन नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति भावनात्मक जुड़ाव की अभिव्यक्ति है।

प्रधानमंत्री के इस संदेश में संविधान की मूल भावना, इतिहास की प्रेरणाएं और भविष्य की दिशा — तीनों का संतुलन दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि जब नागरिक अपने कर्तव्यों को समझते और निभाते हैं, तभी भारत अपने सपनों को साकार कर सकता है। यही वह भावना है जो देश को 2047 तक विकसित भारत बनाने के संकल्प की ओर ले जाएगी।