जातिगत जनगणना का इस्तेमाल दिखावे के लिए कर रही कांग्रेस : केटीआर

जातिगत जनगणना का इस्तेमाल दिखावे के लिए कर रही कांग्रेस : केटीआर

हैदराबाद, 26 नवंबर (एजेंसियां)। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अध्यक्ष के. टी. रामा राव (केटीआर) ने तेलंगाना की कांग्रेस सरकार पर तीखा राजनीतिक हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि राज्य सरकार जातिगत जनगणना का इस्तेमाल महज दिखावा करने और राजनीतिक लाभ उठाने के लिए कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पिछड़ी जातियों की भलाई के नाम पर बड़े-बड़े वादे तो किए, लेकिन वास्तविकता यह है कि वह पिछड़े वर्गों के हितों की रक्षा करने में असफल साबित हुई है।

केटीआर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक विस्तृत पोस्ट साझा करते हुए कहा कि तेलंगाना सरकार ने जातिगत जनगणना के लिए 160 करोड़ रुपये खर्च किए, लेकिन इस बड़े निवेश का कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया। इसके विपरीत उन्होंने आरोप लगाया कि जनगणना के तुरंत बाद कांग्रेस ने पिछड़ी जातियों के आरक्षण में भारी कटौती कर दी, जिससे इन समुदायों को गंभीर नुकसान पहुंचा है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान पिछड़े वर्गों को 42 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था। चुनावी अभियान में इस घोषणा को एक बड़े बदलाव और सामाजिक न्याय के मॉडल के रूप में पेश किया गया था। लेकिन वास्तविकता में सरकार ने केवल 17 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया, जबकि इससे पूर्व पिछड़े वर्गों को 24 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध था। इस प्रकार कांग्रेस न केवल अपने वादे से पीछे हट गई, बल्कि आरक्षण में कमी करके पिछड़े समुदायों के अधिकारों का हनन भी किया।

केटीआर ने इसे ‘गरीबों की पीठ में छुरा घोंपने जैसा काम’ बताया और कहा कि कांग्रेस सरकार ने जातिगत जनगणना जैसे संवेदनशील मुद्दे पर लोगों की भावनाओं का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि जनगणना प्रक्रिया के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर एक भव्य प्रदर्शन किया गया, परंतु जब वास्तविक नीतिगत फैसलों की बात आई तो सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट गई। उन्होंने सवाल किया कि आखिर सरकार ने इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद, पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व कम करके किस तरह का ज्ञान और दूरदृष्टि दिखाने की कोशिश की है?

Read More राष्ट्रपति द्रौपदी हैदराबाद से नयी दिल्ली के लिए रवाना हुईं

उन्होंने आगे यह भी कहा कि आरक्षण में कटौती का निर्णय न केवल सामाजिक न्याय की दृष्टि से अनुचित है, बल्कि इससे जमीनी स्तर के लोकतांत्रिक संस्थानों में पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। केटीआर के अनुसार, कांग्रेस का यह कदम पिछड़े समुदायों के साथ सीधा अन्याय है और इसका दूरगामी प्रभाव राज्य की सामाजिक संरचना पर पड़ेगा।

Read More चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयुष्मान भारत कार्ड शिविर 23 को

बीआरएस नेता ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से भी प्रतिक्रिया की मांग की है। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्गों के साथ हुए इस ‘विश्वासघात’ पर कांग्रेस नेतृत्व को स्पष्ट रूप से जवाब देना चाहिए। केटीआर का कहना है कि राहुल गांधी स्वयं सामाजिक न्याय और समानता के मुद्दों को प्रमुखता देने की बात करते रहे हैं, इसलिए तेलंगाना में आरक्षण में की गई कटौती पर उनकी प्रतिक्रिया अत्यंत आवश्यक है।

Read More राधे राधे ग्रुप द्वारा अन्नदान किया गया

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस न केवल जनगणना पर खर्च किए गए करोड़ों रुपये को उचित ठहराने में विफल रही है, बल्कि इस निर्णय ने यह भी साबित कर दिया है कि पार्टी सामाजिक न्याय की बातें केवल राजनीतिक स्वार्थ के लिए करती है। केटीआर ने कहा कि अगर कांग्रेस जातिगत जनगणना को वाकई में प्रभावी मानती है, तो उसे उसके आधार पर नीतिगत निर्णय भी लेने चाहिए थे, न कि पिछड़े वर्गों के आरक्षण को कम करके उन्हें और अधिक हाशिये पर धकेलने का प्रयास करना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि बीआरएस हमेशा से राज्य के पिछड़े एवं वंचित समुदायों के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध रही है, और कांग्रेस की इस नीति का कड़ा विरोध किया जाएगा। केटीआर का मानना है कि जातिगत जनगणना तभी सार्थक बन सकती है, जब उसका उद्देश्य सामाजिक न्याय को सुदृढ़ करना हो, न कि राजनीति में दिखावा करना।

तेलंगाना में यह मुद्दा तेज़ी से राजनीतिक रंग ले रहा है और स्थानीय निकायों में आरक्षण को लेकर विभिन्न संगठन भी सरकार के निर्णय का विरोध कर रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में यह विवाद राज्य की राजनीति में एक बड़ा विषय बन सकता है।