शिंदे सेना में वंशवाद का विस्फोट! म्हात्रे परिवार को 6 टिकट

सहयोगी भाजपा भी बिफरी—पार्टी कार्यकर्ता खुद को ठगा हुआ मान रहे

शिंदे सेना में वंशवाद का विस्फोट! म्हात्रे परिवार को 6 टिकट

पटना, 27 नवम्बर (एजेंसियां)।महाराष्ट्र की बदलापुर नगर परिषद चुनाव में शिवसेना (शिंदे गुट) ने वंशवाद की पराकाष्ठा कर दी है। प्रभावशाली म्हात्रे परिवार के छह सदस्यों को टिकट देने के फैसले ने राजनीतिक माहौल में तूफ़ान ला दिया है। 49 सीटों में से छह सीटें एक ही परिवार के कब्ज़े में देने से न सिर्फ विपक्ष, बल्कि सत्ता साझेदार भाजपा तक नाराज़ हो गई है।

नगर प्रमुख वामन म्हात्रे ने खुद, अपनी पत्नी, बेटे, भाई, भाभी और भतीजे को चुनाव मैदान में उतारकर टिकट वितरण को परिवार-केन्द्रित बना दिया है। भाजपा ने इस फैसले को "योग्य उम्मीदवारों की कमी और खुलेआम भाई-भतीजावाद" बताते हुए शिंदे सेना पर सीधा हमला किया है।

विवाद यहीं नहीं थमा। शिंदे सेना ने पूर्व पार्षद प्रवीण राउत के परिवार को भी तीन टिकट दे डाले—प्रवीण राउत, उनकी पत्नी शीतल राउत और उनकी साली विजया राउत।
पार्टी के वर्षों से जुड़े कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष है, लेकिन शिंदे खेमे के अंदरूनी माहौल के चलते अधिकांश नेता खुलकर बोलने से बच रहे हैं।

2015 में भी म्हात्रे परिवार के चार सदस्य पार्षद बने थे, लेकिन इस बार छह टिकट देकर शिंदे सेना ने वंशवाद के आरोपों को चरम पर पहुँचा दिया है।

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सवाल यह भी है कि जब भाजपा खुले तौर पर इस निर्णय की आलोचना कर रही है, ऐसे में राज्य सरकार के भीतर समन्वय और सत्ता साझेदारी किस दिशा में जाएगी?

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उधर, भाजपा में भी पारिवारिक प्रभाव की झलक दिखी है—शहर अध्यक्ष राजेंद्र घोरपड़े स्वयं चुनाव लड़ रहे हैं और उनकी पत्नी रचिता घोरपड़े को परिषद अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया गया है। शिवसेना (यूबीटी) में भी प्रशांत और प्राची पलांडे एक ही वार्ड में अलग-अलग पैनलों से लड़ रहे हैं।

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कुल मिलाकर, बदलापुर की राजनीति में परिवारवाद बनाम कार्यकर्ता सम्मान की बहस पूरे ताप पर है और शिंदे सेना पर इसका राजनीतिक असर पड़ना तय माना जा रहा है।