नई दिल्ली, 2 दिसम्बर,(एजेंसियां)। लोकसभा में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर पिछले दो दिनों से जारी गतिरोध अब समाप्त होने की ओर बढ़ रहा है। सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच ‘वंदे मातरम’ और चुनाव सुधारों पर चर्चा के लिए आम सहमति बनने के बाद संसदीय कामकाज के पटरी पर लौटने की उम्मीद है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 8 दिसंबर को ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा होगी, जबकि 9 और 10 दिसंबर को चुनाव सुधारों पर 10 घंटे की विस्तृत बहस रखी जाएगी। यह कदम सदन में पैदा हुए पिछले गतिरोध को दूर करने की दिशा में बड़ा संकेत माना जा रहा है।
बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने एक्स पर पोस्ट कर चर्चा के कार्यक्रम की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “लोकसभा अध्यक्ष की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक में यह निर्णय हुआ कि 8 दिसंबर को दोपहर 12 बजे से ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा और 9 दिसंबर को दोपहर 12 बजे से चुनाव सुधारों पर चर्चा होगी।” इसके बाद 10 दिसंबर को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इन चर्चाओं पर सरकार की ओर से जवाब देंगे।
सत्तापक्ष और विपक्ष के प्रतिनिधियों की इस बैठक में यह भी तय किया गया कि यदि जरूरत पड़ी तो चुनाव सुधारों पर चर्चा का समय बढ़ाया जा सकता है। कांग्रेस के मुख्य सचेतक कोडिकुनिल सुरेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘वंदे मातरम’ पर होने वाली चर्चा का शुभारंभ करेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे सदन की नियमित कार्यवाही सुचारू होगी।
बीते दो दिनों से विपक्ष मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर रहा है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि एसआईआर के नाम पर मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की जा रही है। सोमवार को शीतकालीन सत्र की शुरुआत हंगामे के साथ हुई, जहां विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी करते हुए सदन की कार्यवाही बाधित कर दी। मंगलवार को भी स्थिति समान रही और लोकसभा को बार-बार स्थगित करना पड़ा।
विपक्ष की ओर से लगातार यह मांग उठ रही थी कि सरकार एसआईआर पर विस्तृत चर्चा कराए और इस मुद्दे पर पारदर्शिता सुनिश्चित करे। अंततः सरकार ने मंगलवार को एसआईआर पर चर्चा कराने के लिए सहमति व्यक्त की, जिसके बाद गतिरोध टूटने की उम्मीद बढ़ी। माना जा रहा है कि आगामी चर्चाएँ न केवल मौजूदा विवाद को शांत करेंगी बल्कि चुनावी प्रक्रिया को मजबूत बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होंगी।
‘वंदे मातरम’ पर 8 दिसंबर को होने वाली चर्चा भी खास महत्व रखती है, क्योंकि इस साल इसके रचना के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं। यह चर्चा एक सांस्कृतिक-ऐतिहासिक विमर्श का हिस्सा होगी, जिसका नेतृत्व स्वयं प्रधानमंत्री मोदी करेंगे। उम्मीद है कि इस बहस से राष्ट्रीय भावना और लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर एक व्यापक राजनीतिक संवाद स्थापित होगा।
चुनाव सुधारों पर 9 और 10 दिसंबर को होने वाली 10 घंटे की चर्चा लोकतंत्र के भविष्य को दिशा देने वाली साबित हो सकती है। इसमें मतदाता सूची के पुनरीक्षण, ई-वोटिंग, चुनावी पारदर्शिता, खर्च की सीमा और चुनाव आयोग की स्वतंत्रता जैसे विषयों पर भी विपक्ष और सत्तापक्ष आमने-सामने होंगे।
लोकसभा सचिवालय के अनुसार, यदि सभी दल सहयोग करते हैं तो शीतकालीन सत्र की कार्यवाही सामान्य रूप से चलने की पूरी संभावना है। सदन में अभी कई महत्वपूर्ण विधेयक सूचीबद्ध हैं, जिन्हें पारित कराने के लिए सुव्यवस्थित माहौल आवश्यक है।

