यूपी में रोहिंग्या-बांग्लादेशियों की उलटी गिनती शुरू

योगीराज में घुसपैठियों पर सबसे बड़ा प्रहार

यूपी में रोहिंग्या-बांग्लादेशियों की उलटी गिनती शुरू

हर संभाग में बनेगा निरोध केंद्र, नेपाल सीमा से लेकर बड़े शहरों तक चलेगा महाअभियान

लखनऊ, 3 दिसम्बर(एजेंसियां)।  उत्तर प्रदेश में अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ योगी सरकार अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई में जुट चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यभर में ऐसे विदेशी नागरिकों की पहचान, सत्यापन और निर्वासन की प्रक्रिया को युद्धस्तर पर तेज करने का निर्देश दिया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि “अब अवैध घुसपैठ का खेल खत्म” — और इसी रणनीति के तहत प्रदेश के सभी 18 संभागों में स्थायी निरोध केंद्र बनाए जाएंगे।

17 नगर निकायों को मिली बड़ी जिम्मेदारी

सरकार ने 17 शहरी स्थानीय निकायों को आदेश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में रह रहे संदिग्ध रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों की विस्तृत सूची तैयार करें। इन सूचियों को संबंधित संभागीय आयुक्तों और पुलिस महानिरीक्षकों (IG) को सौंपा जाएगा, ताकि आगे की जांच और आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।

उच्च अधिकारी बताते हैं कि यह अभियान केवल सूची बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि कानूनी प्रक्रिया के तहत सत्यापन, हिरासत और निर्वासन—तीनों चरणों को समान गति और सख्ती से लागू किया जाएगा।

हिरासत केंद्रों के निर्माण का आदेश

मुख्यमंत्री ने सभी संभागीय आयुक्तों और पुलिस महानिरीक्षकों को निर्देश दिया है कि प्रत्येक संभाग में एक निरोध केंद्र स्थापित किया जाए। इन केंद्रों का उद्देश्य अवैध विदेशी नागरिकों को उस समय तक हिरासत में रखना है, जब तक कि उनकी नागरिकता की जांच पूरी न हो जाए और उन्हें औपचारिक रूप से देश से बाहर न भेज दिया जाए।

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इससे पहले जिलाधिकारियों को अस्थायी निरोध केंद्र बनाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अब राज्य सरकार स्थायी और व्यवस्थित संरचना की ओर बढ़ रही है। यह कदम इस बात का संदेश है कि सरकार इस मुद्दे को अस्थायी नहीं मानती, बल्कि इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दीर्घकालिक खतरे के रूप में देखती है।

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नेपाल सीमा से बड़े शहरों तक—हर जगह निगरानी कड़ी

सरकार के 23 नवंबर के आधिकारिक बयान के अनुसार नेपाल सीमा—जहाँ से कई संदिग्ध प्रवासी बिना दस्तावेज़ भारत में प्रवेश करते हैं—को विशेष निगरानी में रखा गया है। पुलिस, SSB और इंटेलिजेंस यूनिट्स मिलकर हर संदिग्ध गतिविधि पर चौकस हैं।

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इसके साथ ही लखनऊ, नोएडा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी जैसे प्रमुख शहरी इलाकों में भी व्यापक सत्यापन अभियान चल रहा है, जहाँ पर नौकरी या किराये के बहाने छिपकर रहने की आशंका ज्यादा होती है।

सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक, 22 नवंबर को सीएम के आदेश जारी होने के बाद से डीएम और एसपी/एसएसपी लगातार फील्ड में सक्रिय हैं। कई जिलों में दर्जनों किराये के मकानों की जांच, स्थानीय निकायों से रिकॉर्ड की मांग और कई अस्थायी ठिकानों पर छापेमारी पहले ही हो चुकी है।

बड़े पैमाने पर डिजिटल सत्यापन और डाटा मैपिंग

अधिकारियों का कहना है कि इस अभियान में पहली बार डिजिटल मैपिंग, फेस-रिकॉग्निशन डाटा, बायोमीट्रिक रिकॉर्ड और इंटर-एजेंसी इंटेलिजेंस शेयरिंग का उपयोग तेज गति से किया जा रहा है। इससे उन लोगों तक पहुँचना आसान हो रहा है, जिन्होंने पहचान छिपाने के लिए झूठे दस्तावेज़ बनाए या अलग-अलग जिलों में कई पहचानें इस्तेमाल की हैं।

केंद्र और राज्य की संयुक्त रणनीति

सरकार ने स्पष्ट किया कि यह अभियान केवल प्रदेश का प्रयास नहीं, बल्कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों का संयुक्त मिशन है। विशेषकर विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियाँ इस प्रक्रिया में तकनीकी और कानूनी सहयोग दे रही हैं।

सरकार का मानना है कि अवैध विदेशी नागरिक न केवल सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि वे मानव तस्करी, फर्जी दस्तावेज़, मनी लॉन्ड्रिंग, साइबर अपराध और धार्मिक-आतंकी नेटवर्कों के लिए भी एक कड़ी बनते हैं। इसलिए इस बार कार्रवाई सीमित नहीं, बल्कि “टोटल क्लीन-अप ऑपरेशन” की तरह की जा रही है।

हिरासत—सत्यापन—निर्वासन: तीन-स्तरीय प्रोटोकॉल लागू

सरकार ने इस अभियान को तीन चरणों में बाँटा है—

  1. पहचान: संदिग्ध लोगों की सूची बनाकर फील्ड में जाकर सत्यापन।

  2. हिरासत: दस्तावेज़ न मिलने पर संबंधित निरोध केंद्र में रखा जाएगा।

  3. निर्वासन: देश की कानून प्रक्रिया और अंतरराष्ट्रीय प्रावधानों के अनुसार विदेशी नागरिक को उसके मूल देश भेजा जाएगा।

अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि “कोई भी व्यक्ति भारतीय नागरिक होने का झूठा दावा करेगा तो उसके दस्तावेजों की जांच एनआईसी डाटा, पासपोर्ट कार्यालय और राष्ट्रीय डाटा बेस से की जाएगी।”

सीएम योगी का संदेश: “कानून से ऊपर कोई नहीं”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही कई मंचों पर कह चुके हैं कि यूपी में अवैध घुसपैठियों को “कानून का संरक्षण नहीं, कार्रवाई मिलेगी”। यही कारण है कि यह अभियान केवल दिखावटी नहीं, बल्कि निरंतर और सख्त कार्रवाई का हिस्सा है।

सरकार का दावा है कि यह अभियान प्रदेश को सुरक्षित, स्थिर और कानून-व्यवस्था की दृष्टि से मजबूत बनाने की दिशा में निर्णायक कदम है।