हरिद्वार में धर्मेंद्र की अस्थियों का गंगा में विसर्जन

देओल परिवार की नम आँखें—सनी, बॉबी और करण ने निभाई अंतिम रस्में

हरिद्वार में धर्मेंद्र की अस्थियों का गंगा में विसर्जन

कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच हरकी पौड़ी पर संपन्न हुआ संस्कार, भीड़ से बचाने के लिए करण देओल ने की मुख्य विधि

बॉलीवुड के महान अभिनेता धर्मेंद्र को उनके परिवार ने हरिद्वार में अंतिम विदाई दी। बुधवार सुबह हरकी पौड़ी पर उनकी अस्थियों का गंगा में विसर्जन किया गया। इस दौरान अभिनेता के बेटे सनी देओल, बॉबी देओल और पोते करण देओल भावुक नजर आए। देओल परिवार ने पूरी रस्में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में, शांति और गोपनीयता के साथ पूरी कीं। मीडिया और आम लोगों को पूरी तरह दूर रखा गया था, ताकि अनावश्यक भीड़ की वजह से कोई व्यवधान न हो।

24 नवंबर को 89 वर्ष की आयु में धर्मेंद्र का निधन हुआ था। मुंबई में उनका अंतिम संस्कार किया गया था। उसके बाद धार्मिक रीति के अनुसार अस्थि विसर्जन के लिए देओल परिवार हरिद्वार पहुंचा। परिवार मंगलवार को ही पहुंच चुका था, लेकिन एक महत्वपूर्ण परिजन के समय पर न पहुंच पाने के कारण बुधवार सुबह अस्थि विसर्जन किया गया।

हरिद्वार के पारिवारिक पुरोहित पंडित संदीप पाराशर श्रोत्रिय ने बताया कि पूरी प्रक्रिया बेहद सादगी और शांति से पूरी की गई। विसर्जन से पहले की विधियों को एक निजी होटल में संपन्न कराया गया ताकि भीड़ न लगे। इसके बाद करण देओल और परिवार के कुछ सदस्य दोपहिया वाहन से हरकी पौड़ी पहुंचे और वहां अस्थि विसर्जन की अंतिम रस्में पूरी कीं।

पंडित संदीप ने यह भी बताया कि अस्थि विसर्जन की अंतिम विधि सनी देओल स्वयं करना चाहते थे, लेकिन भीड़ इकट्ठा होने की आशंका के चलते यह निर्णय लिया गया कि परिवार के युवा सदस्य करण देओल इसे संपन्न करेंगे। पूरे कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा बल तैनात रहे और आम लोगों को गंगा तट के उस हिस्से पर प्रवेश नहीं दिया गया जहाँ संस्कार किया जा रहा था।

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इस अवसर पर धर्मेंद्र की पत्नी हेमा मालिनी और उनकी ओर से कोई सदस्य उपस्थित नहीं था। देओल परिवार ने सभी संस्कार अत्यंत निजी वातावरण में पूरे किए और तुरंत हरिद्वार से रवाना हो गया। सनी, बॉबी और करण—सफेद पारंपरिक वस्त्रों में बेहद भावुक और शांत दिखाई दिए। अपने "ही-मैन" पिता और दादा को अंतिम विदाई देते उनके चेहरे पर गहरी पीड़ा साफ झलक रही थी।

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धर्मेंद्र के निधन ने बॉलीवुड और देशभर में उनके लाखों प्रशंसकों को स्तब्ध कर दिया था। उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे, लेकिन अस्थि विसर्जन को सार्वजनिक भीड़ और मीडिया की हलचल से दूर रखकर पूरी गरिमा के साथ संपन्न किया गया।

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धर्मेंद्र को भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने अपनी दमदार अभिनय शैली, सादगी और विनम्र स्वभाव से दर्शकों के दिल में एक अमिट स्थान बनाया। उनके जाने से भारतीय फिल्म जगत में जो खालीपन आया है, उसे भर पाना मुश्किल होगा। देओल परिवार ने परंपराओं के अनुरूप अंतिम संस्कार और अस्थि विसर्जन कर उन्हें अपने संस्कारों और आस्था के बीच अंतिम विदाई दी।

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