भारत–रूस रक्षा साझेदारी नई ऊँचाई पर: ब्रह्मोस के ‘लॉन्ग रेंज’ संस्करण पर बड़ा मंथन, एशिया में बढ़ेगा भारतीय दबदबा

पुतिन की भारत यात्रा से पहले रक्षा सहयोग पर गहन बातचीत, हाइपरसोनिक और लंबी दूरी की मिसाइल तकनीक पर भी फोकस

भारत–रूस रक्षा साझेदारी नई ऊँचाई पर: ब्रह्मोस के ‘लॉन्ग रेंज’ संस्करण पर बड़ा मंथन, एशिया में बढ़ेगा भारतीय दबदबा

नई दिल्ली, 3 दिसम्बर,(एजेंसियां)।भारत और रूस के बीच दशकों पुराने रक्षा संबंध एक बार फिर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से पहले दोनों देशों के शीर्ष रक्षा अधिकारियों के बीच गहरे स्तर पर बातचीत हुई है। चर्चाओं का मुख्य केंद्र ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का उन्नत, लंबी दूरी वाला संस्करण है, जो भारत की सामरिक क्षमता को एशियाई क्षेत्र में और अधिक मजबूत करेगा। पुतिन दो दिवसीय भारत दौरे पर आ रहे हैं, और यह यात्रा रक्षा साझेदारी को निर्णायक मोड़ देने वाली मानी जा रही है।

रक्षा सूत्रों ने संकेत दिया है कि दोनों देश ब्रह्मोस मिसाइल के नेक्स्ट जेनरेशन (BrahMos-NG) तथा लॉन्ग रेंज वेरिएंट के विकास पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। वर्तमान मिसाइल की मारक क्षमता लगभग 400 किलोमीटर तक है, लेकिन नए संस्करण को तीन गुना से अधिक दूरी, यानी 1,200 किलोमीटर से ज्यादा रेंज देने की योजना है। यह क्षमता क्षेत्रीय संतुलन को पूरी तरह बदल सकती है। विशेषकर एशिया–प्रशांत क्षेत्र में जहां चीन और पाकिस्तान दोनों अपनी मिसाइल तकनीक को तेज गति से आगे बढ़ा रहे हैं।

भारतीय रक्षा बलों ने हाल ही में पाकिस्तान पर चार दिनों तक चले ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल का सटीक उपयोग किया था, जिसने इस हथियार प्रणाली की विश्वसनीयता और घातक क्षमता को सिद्ध कर दिया। इस ऑपरेशन के बाद भारत ने महसूस किया कि वायु सेना के सभी फाइटर जेट्स—राफेल, सुखोई-30 एमकेआई, मिग-29 और तेजस—पर तैनात किए जा सकने वाले हल्के और कॉम्पैक्ट संस्करण की आवश्यकता है। ब्रह्मोस-एनजी इसी आवश्यकता के अनुरूप विकसित किया जा रहा है।

भारत और रूस अब हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक पर भी काम आगे बढ़ाने की तैयारी में हैं। पुतिन की यात्रा से पहले हुई बैठकों में दोनों पक्षों ने ऐसी मिसाइलों पर सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की है, जिनकी गति ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक होती है। यह भविष्य की युद्धक रणनीतियों में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। इसके साथ ही लॉन्ग रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलों पर सहयोग का रास्ता भी खुल सकता है, जिससे भारतीय वायु सेना की स्ट्राइक क्षमता दूरगामी रूप से बढ़ेगी।

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सूत्रों का दावा है कि इस दौरे के दौरान रूस द्वारा भारत को S-400 सुदर्शन चक्र वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की 280 मिसाइलों के नए सौदे को मंजूरी मिलने की संभावना है। भारत पहले से ही S-400 प्रणाली का उपयोग कर रहा है जिसने पाकिस्तान से जुड़ी कई संवेदनशील परिस्थितियों में अपनी उपयोगिता साबित की है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह सौदा भारत को वायु सुरक्षा के क्षेत्र में और मजबूती देगा।

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भारत ने अपनी नौसेना, थल सेना और वायु सेना—तीनों को ब्रह्मोस से लैस करने का व्यापक कार्यक्रम शुरू कर रखा है। सिर्फ घरेलू उपयोग ही नहीं, भारत अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी ब्रह्मोस को मजबूत हथियार विकल्प के रूप में पेश कर रहा है। फिलीपींस को इन मिसाइलों की सप्लाई के बाद एशिया के कई अन्य देशों ने भी रुचि दिखाई है। ब्रह्मोस की सफलता इसकी सुपरसोनिक गति, कम ऊँचाई पर उड़ान भरने की क्षमता और लक्ष्य भेदने में अद्भुत सटीकता पर आधारित है, जिसे रोक पाना किसी भी दुश्मन के लिए लगभग असंभव है।

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रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि लॉन्ग रेंज ब्रह्मोस के विकास से भारत की रणनीतिक क्षमता में ऐतिहासिक वृद्धि होगी। इसे भारतीय नौसेना के विध्वंसक जहाजों, पनडुब्बियों, वायु सेना के फाइटर जेट्स तथा थल सेना की मोबाइल लॉन्च यूनिट्स पर लगाया जा सकेगा। इससे भारत की मारक क्षमता हिंद महासागर क्षेत्र से लेकर पूर्वी एशिया तक निर्णायक रूप से प्रभावी हो जाएगी।

पुतिन की आगामी यात्रा को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि वैश्विक भू-राजनीति नए मोड़ पर खड़ी है। पश्चिमी देशों के साथ रूस के तनावपूर्ण संबंधों के बीच भारत और रूस की दोस्ती और रक्षा साझेदारी गहरी होती जा रही है। भारत सामरिक स्वायत्तता बनाए रखते हुए रूस के साथ ऐसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा रहा है जो उसकी सैन्य श्रेष्ठता सुनिश्चित कर सके।

भारत–रूस रक्षा सहयोग की यह नई दिशा एशिया में सुरक्षा संतुलन पर दूरगामी असर डालेगी। ब्रह्मोस के उन्नत संस्करणों और नई मिसाइल प्रणालियों के विकास पर यह मंथन भारत को आने वाले वर्षों में सैन्य महाशक्ति के रूप में एक निर्णायक बढ़त दिला सकता है।