अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को बड़ा झटका

हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत याचिका खारिज की

अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को बड़ा झटका

नई दिल्ली, 4 दिसम्बर,(एजेंसियां)।शिरोमणि अकाली दल (SAD) के वरिष्ठ नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया को गुरुवार को बड़ा कानूनी झटका लगा, जब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध धन हस्तांतरण से जुड़े मामले में उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि आरोप बेहद गंभीर हैं और जांच एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत एसआईटी रिपोर्ट में कई फर्जी कंपनियों के माध्यम से धन शोधन की पुष्ट जानकारी मिलती है, ऐसे में मजीठिया को राहत नहीं दी जा सकती।

अतिरिक्त महाधिवक्ता फेरी सोफत ने जानकारी देते हुए बताया कि मजीठिया को 25 जून को विभिन्न फर्जी कंपनियों के जरिए अवैध रूप से बड़े पैमाने पर धन हस्तांतरण के आरोपों के कारण गिरफ्तार किया गया था। एसआईटी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मनी लॉन्ड्रिंग की इस प्रक्रिया में विदेशों, खासकर साइप्रस से धन के हस्तांतरण के प्रमाण सामने आए हैं। इन्हीं तथ्यों को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी को ठुकरा दिया।

हाईकोर्ट में मजीठिया की ओर से पेश की गई दलीलों में कहा गया था कि उन्हें राजनैतिक प्रतिशोध का शिकार बनाया जा रहा है और उनकी हिरासत को अनावश्यक रूप से लंबा खींचा जा रहा है। बचाव पक्ष का कहना था कि जांच एजेंसियों ने छह महीने में कोई ठोस प्रगति नहीं की और उनके मुवक्किल को निशाना बनाया गया। हालांकि, अदालत ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों, बैंकिंग ट्रांजैक्शन, कंपनी रिकॉर्ड्स और अंतरराष्ट्रीय फंड ट्रांसफर के विवरणों को गंभीर मानते हुए जमानत देने से इंकार कर दिया।

एसआईटी की रिपोर्ट के अनुसार, कई शेल कंपनियों का उपयोग धन को सफेद करने और तीसरे देशों के जरिए ट्रांसफर करने में किया गया था। अमृतसर स्थित उनके आवास पर हुई तलाशी के बाद 25 जून को उन्हें हिरासत में लिया गया और अगले दिन मोहाली ले जाकर अदालत में पेश किया गया, जिसके बाद उन्हें सतर्कता ब्यूरो की रिमांड में भेज दिया गया था।

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इससे पहले 8 जुलाई को जब पहली बार उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी, तो अभियोजन ने बताया था कि आवेदन में तकनीकी त्रुटियाँ हैं। अदालत ने इसे सुधारकर फिर से दायर करने का निर्देश दिया था। लेकिन दूसरी बार भी हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि केस की गंभीरता को देखते हुए मजीठिया को फिलहाल कोई राहत नहीं दी जा सकती।

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मजीठिया की गिरफ्तारी के बाद अकाली दल ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया था। SAD नेता दलजीत एस. चीमा ने पंजाब सरकार की कार्रवाई की तुलना आपातकाल जैसी दमनकारी नीति से की थी। चीमा का कहना है कि सरकार विपक्ष को दबाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। हालांकि, राज्य सतर्कता ब्यूरो का कहना है कि मामला पूरी तरह सबूतों और वित्तीय लेन-देन पर आधारित है, जिसमें राजनीतिक कोण की कोई भूमिका नहीं।

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हाईकोर्ट के ताज़ा आदेश के बाद अब यह साफ हो गया है कि मजीठिया को अभी और समय तक हिरासत में रहना पड़ सकता है। आगे की सुनवाई में जांच एजेंसियाँ और भी दस्तावेज प्रस्तुत कर सकती हैं, जिससे केस और मजबूत होने की संभावना है।