नई दिल्ली, 4 दिसम्बर,(एजेंसियां)।देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो इस समय अपने अब तक के सबसे गंभीर परिचालन संकट से जूझ रही है। लगातार तीसरे दिन उड़ानों का रद्द होना और भारी देरी ने हजारों यात्रियों को परेशानी में डाल दिया है। गुरुवार को ही 300 से अधिक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे बड़े हवाई अड्डों पर उड़ानों के रद्द और विलंबित होने का असर व्यापक रूप से दिखा। दिल्ली में 95, मुंबई में 85, हैदराबाद में 70 और बेंगलुरु में 50 उड़ानें ठप रहीं। छह बड़े हवाई अड्डों के संयुक्त डेटा के मुताबिक, इंडिगो की ऑन-टाइम परफॉर्मेंस महज 19.7% पर पहुंच गई—जबकि सामान्य दिनों में यह 80–90% तक रहती है।
यह संकट अचानक नहीं आया। पायलटों की कार्य-समय सीमा तय करने वाले नए ‘एफडीटीएल’ नियम लागू होने के बाद से ही इंडिगो में पायलटों की भारी कमी सामने आने लगी। नए नियमों के तहत पायलटों को अधिक विश्राम और रात की उड़ानों में सीमाएं तय की गई हैं, जिससे एयरलाइंस को अधिक पायलटों की आवश्यकता पड़ती है। पायलट संगठनों का आरोप है कि कंपनी को दो साल पहले ही इसकी जानकारी दी गई थी, लेकिन इंडिगो ने न सिर्फ समय रहते भर्ती नहीं की बल्कि पायलट हायरिंग पर रोक लगाकर “प्रबंधन की गंभीर चूक” की।
फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने DGCA को लिखे पत्र में स्पष्ट कहा है कि आज जो स्थिति बनी है, वह इंडिगो के “दीर्घकालिक मानव संसाधन कुप्रबंधन” का नतीजा है। संगठन का कहना है कि कंपनी ने नए नियम लागू होने से पहले ही भर्ती रोक दी, जिससे आज चालक दल की भारी कमी हो गई है। FIP ने मांग की है कि जब तक इंडिगो पर्याप्त पायलट उपलब्ध कराने का प्रमाण नहीं देती, तब तक उसकी मौसमी उड़ान योजना को मंजूरी न दी जाए। साथ ही DGCA से आग्रह किया गया है कि यात्री हित में इंडिगो के स्लॉट का पुनर्मूल्यांकन किया जाए और आवश्यक होने पर अन्य सक्षम एयरलाइनों को स्लॉट दिए जाएं।
दूसरी ओर, इंडिगो प्रबंधन का दावा है कि परिचालन संकट के पीछे कई कारण एक साथ जिम्मेदार हैं—तकनीकी चुनौतियां, शीतकालीन उड़ान समय-सारणी में बदलाव, प्रतिकूल मौसम, हवाई अड्डों पर बढ़ती भीड़, और नए रोस्टरिंग नियम। एयरलाइन का कहना है कि शुक्रवार तक “संतुलित उड़ान समायोजन” लागू किया जाएगा ताकि सेवा को सामान्य किया जा सके। कंपनी ने यह भी स्वीकार किया कि समस्या का असर उसके शेयरों पर भी पड़ा है। गुरुवार को इंटरग्लोब एविएशन के शेयर 2.25% गिरकर 5,466.55 रुपये पर बंद हुए।
इस बीच DGCA ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए इंडिगो से विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है और जांच शुरू कर दी है। सवाल उठ रहा है कि भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन ने आखिर इतने महत्वपूर्ण नियामकीय बदलावों के लिए समय रहते तैयारी क्यों नहीं की।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला सिर्फ एक एयरलाइन के कुप्रबंधन का नहीं, बल्कि भारतीय विमानन क्षेत्र की उस पुरानी समस्या को उजागर करता है जिसमें तेजी से विस्तार की होड़, सीमित पायलट उपलब्धता और लागत-कटौती की प्रवृत्ति एक खतरनाक मिश्रण पैदा करती है। यात्रियों की सुरक्षा और भरोसा तभी बहाल हो सकता है जब एयरलाइंस दीर्घकालिक रणनीति के साथ मानव संसाधनों में निवेश बढ़ाएं।
अभी गेंद इंडिगो और DGCA दोनों के पाले में है। यात्रियों के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि कब उड़ानें पटरी पर लौटेंगी—क्योंकि उन्हें सफर चाहिए, बहाने नहीं।

