नई दिल्ली, 4 दिसम्बर,(एजेंसियां)।भारत और रूस के बीच दशकों पुरानी रणनीतिक साझेदारी को नई ऊर्जा मिलने जा रही है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे, जहां वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक है—क्योंकि यह 2021 के बाद पुतिन की पहली भारत यात्रा है, और यूक्रेन संघर्ष के आरंभ (2022) के बाद दोनों राष्ट्राध्यक्षों की आमने-सामने महत्वपूर्ण बैठक भी।
25 साल की दोस्ती—मोदी-पुतिन संबंधों का नया अध्याय
यह यात्रा उन 25 वर्षों की दोस्ती को फिर से याद दिलाती है जिसकी शुरुआत वर्ष 2001 में हुई थी। उस समय नरेंद्र मोदी, गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मास्को गए थे, और पहली बार पुतिन से मिले थे। दोनों नेताओं के बीच वर्षों में व्यक्तिगत विश्वास और कूटनीतिक तालमेल उल्लेखनीय रूप से गहरा हुआ है।
आज यह तालमेल भारत-रूस के बीच “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी” का आधार बन चुका है, जिसे इस शिखर सम्मेलन के दौरान और मजबूत किए जाने की उम्मीद है।
कूटनीतिक एजेंडा—25 से अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर संभव
पुतिन की इस यात्रा के दौरान 25 से अधिक द्विपक्षीय समझौतों और समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर की संभावना जताई जा रही है। TASS की रिपोर्ट के अनुसार:
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10 प्रमुख अंतर-सरकारी दस्तावेज तैयार
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15 से अधिक वाणिज्यिक व गैर-वाणिज्यिक समझौते अंतिम चरण में
ये समझौते ऊर्जा, रक्षा, विज्ञान-तकनीक, व्यापार, सांस्कृतिक विनिमय और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में तेजी लाने वाले होंगे।
दोनों नेताओं की पिछली मुलाकात—तियानजिन में बना नया समीकरण
पुतिन और मोदी की पिछली मुलाकात सितंबर 2025 में चीन के तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। उस मुलाकात की यादें इसलिए भी चर्चा में रहीं क्योंकि दोनों नेता रूसी राष्ट्रपति की कार में एक साथ बैठक स्थल तक गए थे—जो दोनों के बीच सहजता और विश्वास का संकेत माना गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने उस बैठक के बाद कहा था कि दोनों नेताओं के बीच “गहन और सकारात्मक बातचीत” हुई थी।
यूक्रेन संघर्ष में भारत का संतुलित रुख—शांति का संदेश
रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद भारत ने सभी पक्षों के लिए शांति व संवाद का संदेश दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को कई बार यह संदेश दोहराया है कि
“आज युद्ध का समय नहीं है।”
भारत की चिंता वैश्विक स्तर पर बढ़ती खाद्य, ईंधन और उर्वरक सुरक्षा से जुड़ी है। इसी कारण भारत वैश्विक स्थिरता को प्राथमिकता देता है और शांति की दिशा में निरंतर संवाद का समर्थन करता है।
आर्थिक और तकनीकी सहयोग—कई नए प्रोजेक्ट्स पर चर्चा
रूसी प्रतिनिधिमंडल भारत के साथ बहुआयामी सहयोग बढ़ाने के एजेंडे के साथ दिल्ली आया है। चर्चा के प्रमुख क्षेत्र हैं:
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ऊर्जा व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला मजबूत करना
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परमाणु ऊर्जा सहयोग का विस्तार
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रक्षा उत्पादन और नई तकनीक का स्थानांतरण
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विज्ञान व तकनीक में संयुक्त परियोजनाएँ
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अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग—Gaganyaan और भविष्य की साझेदारी
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मानवीय और सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम
इनमें खास चर्चा भारतीय-रूसी रक्षा परियोजना BrahMos-NG के नए संस्करण पर होने की संभावना है। दोनों देशों की तकनीकी साझेदारी का यह नया चरण पाकिस्तान और अन्य क्षेत्रों की सुरक्षा पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
यूक्रेन संकट के बीच पुतिन की पहली यात्रा—कूटनीतिक संकेत बेहद अहम
2022 से जारी यूक्रेन संघर्ष को लेकर रूस की वैश्विक स्थिति चुनौतीपूर्ण रही है। ऐसे में भारत का पुतिन को आमंत्रित करना और उनका भारत आना, अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की “रणनीतिक स्वायत्तता” और रूस के साथ गहरे विश्वास को दर्शाता है।
इस यात्रा को भारत-रूस के बीच दीर्घकालिक भरोसे और व्यापक सहयोग की पुनर्पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है।
भारत-रूस संबंध—भू-राजनीतिक दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण?
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रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा साझेदार
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ऊर्जा सुरक्षा में रूस की बड़ी भूमिका
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ब्रिक्स और एससीओ जैसे बहुपक्षीय मंचों में करीबी सहयोग
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एशिया में शक्ति संतुलन बनाए रखने में दोनों देशों की साझेदारी
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वैश्विक दक्षिण (Global South) में साझा दृष्टिकोण
इसके अलावा, पश्चिमी देशों के साथ भारत के बढ़ते संबंधों के बावजूद, रूस भारत के लिए विश्वसनीय सहयोगी बना हुआ है।
साझेदारी का नया अध्याय
पुतिन की यह यात्रा भारत और रूस के संबंधों का भविष्य तय करने वाली साबित हो सकती है। 25 वर्षों की दोस्ती के इस पड़ाव पर दोनों देश न केवल अपने ऐतिहासिक संबंधों का जश्न मना रहे हैं, बल्कि नई वैश्विक चुनौतियों के अनुरूप अपनी रणनीतिक साझेदारी को भी पुनर्परिभाषित कर रहे हैं। आने वाले वर्षों में रक्षा, अंतरिक्ष, ऊर्जा और व्यापार समेत कई क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति देखने की उम्मीद है।
मोदी–पुतिन की अहम बैठक: ‘ब्रह्मोस-NG’ पर बड़ी सौदेबाज़ी
पाकिस्तान की नींद उड़ाने वाला नया वर्ज़न तैयार
भारत और रूस के बीच होने वाला 23वां वार्षिक शिखर सम्मेलन इस बार कई रणनीतिक एग्रीमेंट्स की वजह से ऐतिहासिक माना जा रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 5 दिसंबर से भारत की दो दिवसीय यात्रा शुरू करने वाले हैं, और इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मुलाकात में रक्षा क्षेत्र की सबसे बड़ी चर्चा नेक्स्ट जेनरेशन ब्रह्मोस मिसाइल—ब्रह्मोस-NG को लेकर होगी। यह वही मिसाइल प्रणाली है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान और PoK के महत्वपूर्ण ठिकानों को तबाह कर भारत की सैन्य क्षमता का लोहा मनवाया था। अब इसका अगला अपग्रेडेड वर्ज़न पाकिस्तान की “नींद उड़ाने” के लिए तैयार बताया जा रहा है।
रूस–यूक्रेन युद्ध के बीच अहम दौरा
यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद यह पुतिन का पहला भारत दौरा है, जो दोनों देशों के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी और डिफेंस कोऑपरेशन की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस यात्रा से उम्मीद है कि ब्रह्मोस-NG, Su-57 फाइटर जेट, एडिशनल S-400 यूनिट और कई अन्य रक्षा परियोजनाओं पर बड़ा फैसला हो सकता है।
पुतिन और मोदी इससे पहले सितंबर 2025 में तियानजिन SCO सम्मेलन में मिले थे, जहां दोनों नेताओं की एक “अनौपचारिक और गहन” बातचीत ने दुनिया का ध्यान खींचा था। अब यह मुलाकात औपचारिक और निर्णायक होने वाली है।
ब्रह्मोस-NG: भारत की अगली पीढ़ी की ‘स्ट्राइक पावर’
ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली भारत-रूस के संयुक्त सहयोग का सबसे सफल रक्षा उत्पाद माना जाता है। अब इसका नया वर्ज़न—BrahMos-NG (Next Generation)—ना सिर्फ पुरानी मिसाइल से अधिक तेज़ और घातक होगा, बल्कि इसकी तैनाती भी बेहद आसान होगी। यह भारतीय वायुसेना, नौसेना और थलसेना—तीनों के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है।
ब्रह्मोस-NG की प्रमुख खूबियां
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स्पीड: 4,322 किमी प्रति घंटा (पहले से तेज़ और प्रतिक्रिया समय कम)
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आकार: पुराने वर्ज़न की तुलना में छोटा
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वज़न: काफी हल्का, जिससे अधिक प्लेटफॉर्म पर फिट किया जा सकेगा
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एयरक्राफ्ट कैपेसिटी: एक फाइटर जेट 6–7 ब्रह्मोस-NG मिसाइलें ले जा सकेगा
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लॉन्च फ्लेक्सिबिलिटी: किसी भी दिशा से ज़्यादा तेज़ और आसान लॉन्च
इसका छोटा आकार इसे Su-30MKI, Tejas Mk-1A, Rafale, और भविष्य के पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स के लिए परफ़ेक्ट बनाता है। यह पाकिस्तान और चीन के खिलाफ “एक ही पल में स्ट्राइक करने वाली” क्षमता देने वाला हथियार है।
Su-57 और S-400 पर भी चर्चा
Su-57 फिफ्थ जेनरेशन जेट
रूस लंबे समय से भारत को अपने Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट ऑफर कर रहा है। भारत की नई एयर पावर ज़रूरतों को देखते हुए इस दौरे में इस पर निर्णायक बात हो सकती है।
S-400 एयर डिफेंस सिस्टम
भारत पहले ही S-400 की कुछ यूनिट तैनात कर चुका है और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसका प्रदर्शन बेहद प्रभावी रहा। अब भारत इसकी अतिरिक्त यूनिट खरीदने पर विचार कर रहा है, जो इस मुलाकात में बड़ी डील का रूप ले सकता है।
मोदी-पुतिन मीटिंग का बड़ा एजेंडा
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ब्रह्मोस-NG परियोजना को फाइनल मंजूरी
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Su-57 खरीद को लेकर प्रारंभिक सहमति
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अतिरिक्त S-400 यूनिट्स पर समझौता
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रक्षा प्रौद्योगिकी में साझा उत्पादन बढ़ाना
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रूस-यूक्रेन संघर्ष पर मध्यस्थता
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ऊर्जा सुरक्षा और व्यापारिक साझेदारी बढ़ाना
भारत लगातार रूस-यूक्रेन युद्ध को बातचीत से हल करने की बात करता आया है। मोदी कई बार पुतिन को संदेश दे चुके हैं कि “यह युद्ध का समय नहीं है”, क्योंकि इससे दुनिया की खाद्य व ईंधन व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
भारत-रूस गठबंधन की नई दिशा
रूस की यह यात्रा इसलिए भी अहम है क्योंकि चीन-पश्चिम तनाव के बीच रूस भारत के साथ अपनी खासी साझेदारी को और मजबूत करने की कोशिश में है। साथ ही, भारत भी बहुध्रुवीय दुनिया में अपनी रणनीतिक स्थिति को और मज़बूत करने में लगा है।
रूसी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार:
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10 बड़े अंतर-सरकारी दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं।
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15 से अधिक व्यावसायिक और टेक्निकल एग्रीमेंट्स फाइनल होने की तैयारी में हैं।
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डिफेंस और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर इससे बड़ा हिस्सा होगा।
ब्रह्मोस-NG इस पूरी यात्रा का सबसे बड़ा हाईलाइट माना जा रहा है, क्योंकि इसके आने से भारत की स्ट्राइक रेंज और ऑपरेशनल क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
पाकिस्तान और चीन की निगाहें इस मुलाकात पर टिकी होंगी। ब्रह्मोस-NG के आने से भारत की सैन्य रणनीति अगले स्तर पर होगी। मोदी-पुतिन मुलाकात रक्षा, ऊर्जा, कूटनीति और वैश्विक घटनाक्रम—हर मोर्चे पर निर्णायक बदलाव ला सकती है। आने वाले समय में ब्रह्मोस-NG को भारत की “अगली पीढ़ी की सबसे घातक स्ट्राइक पावर” कहा जाएगा।

