Nobel नहीं, FIFA ही सही!
शांति पुरस्कार मिलते ही स्टेज पर नाच उठे ट्रंप
नई दिल्ली, 6 दिसम्बर,(एजेंसियां)। फुटबॉल की वैश्विक संस्था FIFA द्वारा शुरू किए गए नए ‘FIFA Peace Prize’ के पहले विजेता बनने का गौरव आखिरकार अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को मिला। वर्ल्ड कप ड्रॉ समारोह के दौरान जैसे ही फीफा अध्यक्ष जियानी इन्फेंटिनो ने ट्रंप का नाम घोषित किया, ट्रंप मंच पर आए और खुशी में झूमकर नाचने लगे। दुनिया भर में यह वीडियो तेजी से वायरल हो गया।
फीफा ने इस वर्ष यह नया पुरस्कार शुरू किया है, जिसका उद्देश्य उन हस्तियों को सम्मानित करना है जिन्होंने विश्व शांति, संवाद और वैश्विक एकता की दिशा में असाधारण प्रयास किए हों। यह पुरस्कार फीफा के सामान्य खेल-केन्द्रित दायरे से परे जाकर समाज और राजनीति के क्षेत्र में योगदान देने वालों को मान्यता देता है।
फीफा-ट्रंप संबंध और ‘पसंदीदा दावेदार’
डोनाल्ड ट्रंप के फीफा अध्यक्ष इन्फेंटिनो के साथ व्यक्तिगत संबंधों को देखते हुए यह पहले ही संकेत मिल रहे थे कि इस पुरस्कार के पहले विजेता ट्रंप ही हो सकते हैं। इन्फेंटिनो कई बार सार्वजनिक रूप से ट्रंप की प्रशंसा कर चुके हैं, खासकर गाज़ा युद्ध में युद्धविराम के प्रयासों में उनकी भूमिका को लेकर। उन्होंने कहा था कि “फुटबॉल दुनिया को जोड़ता है, और ट्रंप ने इसे राजनीतिक संवाद में भी साबित किया है।”
फीफा ने इस पुरस्कार को एक ऐसी पहल बताया है जो खेल को वैश्विक शांति और एकता के मंच के रूप में स्थापित करती है। संस्था का कहना है कि यह पुरस्कार उन लोगों के लिए है जो विभाजनों को पाटने और संवाद को बढ़ावा देने में भूमिका निभाते हैं।
समारोह में ट्रंप का भावनात्मक संबोधन
समारोह में पुरस्कार ग्रहण करते हुए ट्रंप ने कहा—
“यह मेरे जीवन के सबसे बड़े सम्मानों में से एक है। FIFA ने मुझे सिर्फ सम्मान नहीं दिया, बल्कि दुनिया को जोड़ने के मेरे प्रयासों को मान्यता दी है।”
ट्रंप ने अपनी पत्नी मेलानिया ट्रंप, अपने परिवार, और विश्व कप मेजबान देशों—
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कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी
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मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम
का भी विशेष आभार व्यक्त किया।
ट्रंप ने यह भी कहा कि वह लंबे समय से मानवता के लिए एकता और संवाद की वकालत करते आए हैं और फीफा का यह सम्मान उनके प्रयासों को नई ऊंचाई देता है।
ट्रंप की पुरानी ख्वाहिश: नोबेल शांति पुरस्कार
ज्ञात हो कि ट्रंप कई बार नोबेल शांति पुरस्कार की मांग कर चुके हैं और दावा करते रहे हैं कि उन्हें “अन्य नेताओं की तुलना में अधिक शांति-उन्मुख कार्य” करने के बावजूद नजरअंदाज किया गया।
इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया। उन्होंने अपने धन्यवाद भाषण में कहा कि उनके संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में ट्रंप का अप्रत्यक्ष सहयोग भी शामिल है।
हालांकि, आलोचकों का मानना है कि ट्रंप को फीफा शांति पुरस्कार दिए जाने का निर्णय राजनीतिक झुकाव और इन्फेंटिनो की व्यक्तिगत समीकरणों से प्रेरित हो सकता है।
आलोचना भी तेज: “विवादास्पद व्यक्तित्व को शांति पुरस्कार?”
जैसे ही ट्रंप को पुरस्कार मिला, कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और राजनीतिक विश्लेषकों ने आलोचना शुरू कर दी। उनका तर्क है कि—
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ट्रंप प्रशासन के दौरान कैरिबियन में ड्रग तस्करों पर घातक हमले,
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आव्रजन पर सख्त और भड़काऊ नीतियाँ,
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और वैश्विक राजनीति में उनके विवादों
को देखते हुए उन्हें "शांति" के नाम पर सम्मान देना विरोधाभासी है।
कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों ने सवाल उठाया कि क्या फीफा अपने मंच का उपयोग “राजनीतिक छवि सुधारने के लिए” कर रहा है।
इन्फेंटिनो का बचाव: “फुटबॉल शांति का माध्यम है”
विवाद बढ़ने पर फीफा अध्यक्ष इन्फेंटिनो ने सफाई देते हुए कहा—
“यह पुरस्कार राजनीति से ऊपर है। फुटबॉल पूरी दुनिया को जोड़ता है, और यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जो शांति की भावना को आगे बढ़ाते हैं। ट्रंप ने वैश्विक स्तर पर संवाद स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि फीफा वर्ल्ड कप को तीन देशों—अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको—में सफलतापूर्वक आयोजन करने में ट्रंप की भूमिका अहम थी।
फीफा की नई दिशा: क्या खेल अब राजनीति का क्षेत्र बनेगा?
फीफा द्वारा शांति पुरस्कार की शुरुआत ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है—
क्या खेल संस्थाएँ अब राजनीतिक या सामाजिक क्षेत्रों में भी पुरस्कार देती रहेंगी?
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम—
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फीफा को नए अंतरराष्ट्रीय प्रभाव क्षेत्र में ले जाता है
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लेकिन इससे खेल की पारंपरिक निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो सकते हैं
फुटबॉल प्रेमियों के बीच भी इस बात पर तीखी बहस हो रही है कि क्या खेल संगठनों को राजनीतिक हस्तियों का मूल्यांकन करने का अधिकार होना चाहिए।
ट्रंप का नाचना क्यों बना चर्चा?
पुरस्कार मिलते ही ट्रंप का मंच पर उत्साह में नाचना इंटरनेट पर चर्चा का विषय बन गया।
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समर्थकों ने इसे “उनकी सहज खुशी” बताया
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विरोधियों ने कहा कि “शांति पुरस्कार को हल्के में लिया गया”
लेकिन एक बात साफ है—
ट्रंप और फीफा का यह संयोजन अंतरराष्ट्रीय राजनीति, खेल और कूटनीति के बीच एक नई बहस को जन्म दे चुका है।

