कुछ अच्छे, कुछ बुरे… पाक आर्मी चीफ मुनीर पर क्या बोले जयशंकर?

 पुतिन यात्रा और भारत की विदेश नीति पर बड़ा बयान

कुछ अच्छे, कुछ बुरे… पाक आर्मी चीफ मुनीर पर क्या बोले जयशंकर?

नई दिल्ली, 6 दिसम्बर,(एजेंसियां)।रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के बीच विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पाकिस्तान, आतंकवाद, भारत-रूस संबंध और अमेरिका की संभावित नाराज़गी पर विस्तार से अपनी बात रखी। शनिवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने साफ कहा कि भारत जैसे उभरते राष्ट्र के लिए अपने सभी महत्वपूर्ण साझेदारों के साथ संबंधों का संतुलन बनाए रखना अनिवार्य है।

पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर पर तीखी टिप्पणी

पाकिस्तान के रक्षा प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर और भारत-पाक मुद्दों पर पूछे गए सवाल के जवाब में जयशंकर ने बेबाक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि “जैसे अच्छे आतंकवादी और बुरे आतंकवादी होते हैं, वैसे ही अच्छे सैन्य नेता और अच्छे नहीं होते हैं। भारत के लिए पाकिस्तानी सेना की वास्तविकता हमेशा से वैसी ही रही है—हमारी ज्यादातर समस्याएँ वहीं से शुरू होती हैं।”

जयशंकर के इस बयान को पाकिस्तान की सैन्य सत्ता पर सीधा प्रहार माना जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया कि भारत की सुरक्षा चुनौतियों का मूल स्रोत पाकिस्तान की सेना की नीतियाँ रही हैं, जिनमें बदलाव की कोई वास्तविक उम्मीद नहीं दिखती।

क्या पाकिस्तान कूटनीतिक रूप से घिर गया है?

कूटनीतिक तौर पर पाकिस्तान के वर्तमान हालात पर पूछे गए सवाल पर जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान की स्थिति स्वयं उसकी कहानी बयान करती है।

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उन्होंने कहा—
“अगर आप उसकी क्षमताओं, उसकी प्रतिष्ठा और उसकी आंतरिक स्थिति को देखें, तो भारत को ज़रूरत से ज़्यादा जुनूनी होकर खुद को एक सूत्र में बाँधने की आवश्यकता नहीं है। कुछ मुद्दे हैं, और हम उनसे निपटेंगे।”

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यह बयान पाकिस्तान की गिरती आर्थिक स्थिति, बढ़ता वैश्विक अविश्वास और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलगाव की ओर इशारा करता है।

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ऑपरेशन सिंदूर पर बोले—भारत नियमों से चलता है

जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान कुछ अलग कर सकता था, तो विदेश मंत्री ने भारत की नैतिक और लोकतांत्रिक परंपरा का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा—
“कुछ चीजें हैं जो हम करते हैं और कुछ चीजें हैं जो हम नहीं करते। इसीलिए हम भारत हैं। हमारे नियम हैं, हमारे मानदंड हैं। अगर हम कोई कदम उठाते हैं, तो हम इस देश में जवाबदेह हैं—लोगों के प्रति, मीडिया के प्रति, नागरिक समाज के प्रति।”

उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में कोई भी फैसला आसानी से नहीं लिया जाता। लोकतंत्र में जवाबदेही सबसे महत्वपूर्ण तत्व है।


पुतिन की यात्रा पर बोले—भारत अपने संबंध खुद तय करेगा

पुतिन की दिल्ली यात्रा पर अमेरिकी असहजता और क्या इससे भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता प्रभावित होगी, इसपर जयशंकर ने स्पष्ट और सख्त शब्दों में जवाब दिया।

उन्होंने कहा—
“मैं असहमत हूं। हर कोई जानता है कि भारत दुनिया के सभी प्रमुख देशों के साथ मजबूत संबंध रखता है। कोई भी देश यह उम्मीद नहीं कर सकता कि उसके पास वीटो हो या वह बताए कि भारत को किससे कैसे संबंध रखने चाहिए। यह उचित प्रस्ताव नहीं है।”

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत एक उभरती वैश्विक शक्ति है और उसे अपनी पसंद चुनने की पूरी स्वतंत्रता है।


भारत-रूस संबंध: वैश्विक दबावों से परे

जयशंकर ने कहा कि पुतिन की भारत यात्रा यह दर्शाती है कि भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी ऐतिहासिक है और किसी तीसरे देश की राय से प्रभावित नहीं हो सकती।

उन्होंने कहा—
“हमारे जैसे बड़े और उभरते देश के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि हमारे ‘महत्वपूर्ण संबंध’ अच्छे हों। जितने अधिक देशों के साथ हम मजबूत सहयोग बनाए रखें, उतना ही बेहतर। यही भारत की विदेश नीति का मूल है।”

भारत-रूस रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और आर्कटिक सहयोग पर लंबे समय से साझेदार हैं। पुतिन की यात्रा को इस सहयोग के पुन: पुष्टिकरण के रूप में देखा जा रहा है।


भारत की स्वतंत्र विदेश नीति—विश्व मंच पर मजबूती

जयशंकर ने यह भी बताया कि भारत की विदेश नीति "मल्टी-अलाइनमेंट" पर आधारित है—यानी दुनिया के विभिन्न शक्ति केंद्रों के साथ संतुलित और स्वतंत्र संबंध।

उन्होंने कहा कि भारत न किसी के खेमे का हिस्सा है और न किसी से निर्देश लेने की स्थिति में है। चाहे अमेरिका हो, रूस हो, या यूरोप—भारत अपने हितों के आधार पर फैसले लेता है।

जयशंकर के बयान इस बात का संकेत हैं कि भारत न तो पाकिस्तान की उकसावे वाली राजनीति से विचलित होने वाला है और न ही किसी वैश्विक शक्ति के दबाव में अपने निर्णय बदलेगा।

पुतिन की यात्रा, अमेरिका की संभावित प्रतिक्रिया और पाकिस्तान की आलोचनात्मक स्थिति—इन सब पर भारत का रुख स्पष्ट है:
भारत अपनी विदेश नीति स्वयं तय करेगा, अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर।

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