भारत-विरोधी गतिविधियों पर UK की सख्त कार्रवाई

बब्बर खालसा को फंडिंग भेजने वाले सिख व्यापारी और संगठन पर प्रतिबंध

भारत-विरोधी गतिविधियों पर UK की सख्त कार्रवाई

नई दिल्ली, 6 दिसम्बर,(एजेंसियां)।ब्रिटेन ने भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा माने जाने वाले खालिस्तान समर्थक आतंकवादी संगठनों पर पहली बार बड़े पैमाने पर वित्तीय कार्रवाई की है। ब्रिटेन ने बब्बर खालसा और उससे जुड़े कई संगठनों की आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगाते हुए एक सिख कारोबारी गुरप्रीत सिंह रेहल पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। यह कदम भारत और ब्रिटेन के बीच बढ़ते सुरक्षा सहयोग की दिशा में एक अहम संकेत माना जा रहा है।

यूके ट्रेज़री ने घोषणा की कि गुरप्रीत सिंह रेहल की सभी संपत्तियों को तत्काल प्रभाव से फ्रीज़ कर दिया गया है और उन्हें किसी भी कंपनी के निदेशक पद पर कार्य करने से अयोग्य घोषित किया गया है। ब्रिटिश सरकार का दावा है कि रेहल कई वर्षों से बब्बर खालसा और बब्बर अकाली लहर जैसे संगठन के लिए धन जुटाने, प्रचार करने और भर्ती अभियान चलाने में शामिल रहा है। ब्रिटिश वित्त सचिवालय के मुताबिक, रेहल की गतिविधियाँ ब्रिटेन की वित्तीय प्रणाली का दुरुपयोग कर भारत में आतंकवादी गतिविधियों को सहायता पहुंचा रही थीं।

यह पहली बार है जब ब्रिटेन ने बब्बर खालसा पर इस स्तर का वित्तीय प्रतिबंध लगाया है। ब्रिटिश सरकार ने माना कि बब्बर खालसा लंबे समय से भारत में हिंसक आतंकी गतिविधियों के लिए फ़ंडिंग हासिल करने के लिए ब्रिटेन आधारित नेटवर्क का इस्तेमाल करता रहा है। ब्रिटेन ने बब्बर अकाली लहर पर भी व्यापक कार्रवाई करते हुए उसकी संपत्ति जब्त कर ली है। दोनों संगठनों पर अब ब्रिटेन में संचालित किसी भी वित्तीय गतिविधि, लेनदेन या संसाधन पर पूर्ण रोक लगा दी गई है।

वित्त मंत्रालय के अनुसार, रेहल न केवल इन संगठनों का समर्थन करता था बल्कि हथियार खरीदने, सैन्य सामान जुटाने और विदेशी फंडिंग को अफगानिस्तान, पाकिस्तान और यूरोप में सक्रिय खालिस्तानी नेटवर्क तक पहुंचाने में भी शामिल था। ब्रिटेन की एजेंसियों का कहना है कि रेहल जैसे कारोबारी पश्चिमी देशों में बसे कुछ समूहों और संगठनों के साथ मिलकर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार चलाने, युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलने और अलगाववादी विचारधारा फैलाने में भूमिका निभाते रहे हैं।

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ब्रिटेन के गृह और वित्त मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि बब्बर अकाली लहर, बब्बर खालसा के साथ वर्षों से संगठित तरीके से काम कर रहा है। दोनों संगठन न केवल एक-दूसरे के लिए भर्ती अभियान चलाते थे, बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और विदेशों में रहने वाले सिख युवाओं के बीच भारत-विरोधी नैरेटिव भी फैलाते थे। ब्रिटेन ने इस पूरी गतिविधि को आतंकी वित्तपोषण और चरमपंथ को बढ़ावा देने की श्रेणी में रखा है।

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ब्रिटेन में मौजूद रेहल या बब्बर अकाली लहर के स्वामित्व वाली सभी संपत्तियाँ, आर्थिक संसाधन और बैंक खातों को अब पूरी तरह फ्रीज़ कर दिया गया है। रेहल पर लगाए गए ‘डायरेक्टर डिसक्वॉलिफिकेशन ऑर्डर’ के तहत वह यूके में किसी भी कंपनी के गठन, संचालन, प्रचार या प्रबंधन से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ नहीं सकेगा। ब्रिटिश कानून के अनुसार, यह प्रतिबंध लंबे समय तक प्रभावी रह सकता है और इसके उल्लंघन पर लंबी जेल और भारी जुर्माने का प्रावधान है।

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ब्रिटेन की वित्त मंत्री लूसी रिग्बी ने इस मामले पर कड़ा संदेश देते हुए कहा कि जब आतंकवादी गुट ब्रिटेन की वित्तीय व्यवस्था का उपयोग हिंसा और नफरत को बढ़ावा देने के लिए करते हैं, तो सरकार चुप नहीं बैठेगी। उन्होंने इसे ऐतिहासिक कार्रवाई बताते हुए कहा कि ब्रिटेन आतंकवादी संगठनों को फंडिंग रोकने के लिए अपने पास उपलब्ध हर संसाधन का उपयोग करेगा, चाहे वे किसी भी देश में सक्रिय हों। उन्होंने स्पष्ट किया कि ब्रिटेन अपने शांतिप्रिय समुदायों की सुरक्षा के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों के विरुद्ध कठोर रुख अपनाता रहेगा।

इस कार्रवाई को भारत-यूके सुरक्षा संबंधों में सकारात्मक प्रगति के रूप में देखा जा रहा है। भारत लंबे समय से ब्रिटेन से मांग करता रहा है कि वह अपने देश में सक्रिय खालिस्तानी नेटवर्क पर सख्त कार्रवाई करे जो असल में भारत के आंतरिक मामलों में दखल देते हुए हिंसा और उग्रवाद को उकसाते हैं। लंदन, बर्मिंघम और ग्लासगो में खालिस्तानी समूहों की सक्रियता को लेकर भारत लगातार चिंता जताता रहा है, खासकर भारतीय दूतावास पर हुए हमलों और धार्मिक स्थलों पर हुई हिंसक घटनाओं के बाद।

ब्रिटेन की यह ताज़ा कार्रवाई न केवल वित्तीय संरचनाओं पर प्रहार है बल्कि एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत भी है कि ब्रिटेन भारत-विरोधी आतंकी नेटवर्क को अब सहन नहीं करेगा। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम भविष्य में अन्य संगठनों और व्यक्तियों पर भी प्रभाव डालेगा जो ब्रिटेन की ज़मीन का इस्तेमाल विदेशी आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए करते हैं।

कुल मिलाकर, ब्रिटेन द्वारा उठाया गया यह कदम बब्बर खालसा और उससे जुड़े नेटवर्क के लिए गहरा झटका है। इससे न केवल उनकी विदेशी फंडिंग का रास्ता बंद होगा बल्कि उनके समर्थकों के लिए भी सख्त संदेश गया है कि पश्चिमी देशों में छिपकर चलाए जा रहे आतंकवादी तंत्र को अब ज्यादा समय तक संरक्षण नहीं मिलेगा। यह कार्रवाई भारत की सुरक्षा और वैश्विक आतंकवाद-रोधी सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखी जा रही है।