राष्ट्रपति भवन में पुतिन के लिए सजी शाही डिनर टेबल में क्या-क्या परोसा गया
कश्मीरी कहवा से लेकर साग और मछली तक
नई दिल्ली, 6 दिसम्बर,(एजेंसियां)।रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा हमेशा से राजनीतिक और सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती रही है, लेकिन इस बार उनके सम्मान में राष्ट्रपति भवन में आयोजित राजकीय भोज ने भारत की सांस्कृतिक एवं पाक समृद्धि को भी अभूतपूर्व तरीके से दुनिया के सामने रखा। 4 और 5 दिसंबर को हुए 23वें इंडिया-रूस समिट के दौरान पुतिन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच कई अहम मुद्दों पर वार्ता हुई, जिसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित यह रात्रिभोज उनकी दो दिवसीय यात्रा का औपचारिक समापन बना। इस भोज में भारत के विविध राज्यों के व्यंजनों का ऐसा चयन किया गया, जो न केवल स्वाद से भरपूर था, बल्कि भारतीय मेहमाननवाजी की व्यापकता और गरिमा को भी दर्शाता था।
राष्ट्रपति भवन के भव्य अशोक हॉल में सजे इस राजकीय भोज में देश के वरिष्ठ मंत्रियों, संसदीय नेताओं और कई राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पुतिन के लिए तैयार मेन्यू पहले से ही विशेष तैयारी का हिस्सा था। सुरक्षा प्रोटोकॉल के कारण पुतिन का भोजन हमेशा अलग से पकाया जाता है, और हर डिश कई स्तर के परीक्षण से गुजरती है। इस बार भी रूस और भारत की टीमों ने साथ मिलकर मेन्यू को अंतिम रूप दिया, जिसमें स्वाद, परंपरा, स्वास्थ्य और सुरक्षा चारों तत्वों का संतुलन रखा गया।
डिनर की शुरुआत कश्मीरी मेहमाननवाज़ी के प्रतीक कश्मीरी कहवा से हुई, जिसे सूखे मेवों और केसर की सुगंध ने और भी खास बना दिया। इसके साथ मेहमानों को मुरुंगेलाई चारू सूप परोसा गया, जो दक्षिण भारत का पारंपरिक रसम है। हल्के मसालों और सहजन पत्ते के स्वाद से भरपूर यह सूप हल्का होने के बावजूद स्वाद में बेहद समृद्ध माना जाता है। इसके बाद काले चने के शिकमपुरी कबाब और वेजिटेबल झोल मोमो ने भोजन की शुरुआत को और भी रोचक बना दिया—एक ओर देसी मसालों से भरा कबाब, तो दूसरी ओर पहाड़ों की याद दिलाता हुआ मोमो भारतीय विविधता की झलक पेश कर रहा था।
मुख्य भोजन में पुतिन और मेहमानों के सामने भारतीय व्यंजनों का भव्य विस्तार सजाया गया था। राष्ट्रपति भवन की शाकाहारी मेन्यू नीति के तहत तैयार इस थाली में जाफरानी पनीर रोल, पालक मेथी मटर का साग और अचारी बैंगन जैसी विशेष डिशें शामिल थीं। जाफरानी पनीर रोल की खुशबू में केसर की हल्की मिठास थी, जबकि मेथी-पालक का साग उत्तर भारत की पारंपरिक घरैलू रसोई की याद दिलाता था। इसके साथ परोसा गया तंदूरी भरवां आलू भोज में मसालेदार गर्माहट ला रहा था।
इन व्यंजनों के साथ ड्राई फ्रूट और केसर पुलाव ने भोजन को पूरी तरह शाही स्वाद दिया। भारतीय रोटियों की लंबी सूची—लच्छा परांठा, मगज नान, मिस्सी रोटी, सतानाज रोटी और बिस्कुटी रोटी—ने रूसी राष्ट्रपति को भारतीय तंदूर और थाली की गहराई से परिचित कराया। भोजन के साथ परोसे गए पेय पदार्थ भी उतने ही खास थे। अनार, संतरा, गाजर और अदरक का ताजा मिश्रित जूस स्वास्थ्य और स्वाद दोनों का सुंदर मेल था।
राष्ट्रपति भवन के इस राजकीय भोज में मछली और कश्मीरी व्यंजनों को भी विशेष स्थान दिया गया था। कश्मीरी वाज़वान के छुए हुए स्वादों में रिच और सुगंधयुक्त तैयारी शामिल की गई, जिससे पुतिन भारत के उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों के भोजन की आत्मा को महसूस कर सकें। मछली की हल्की मसालेदारी और पारंपरिक साग की तैयारी ने भोज को भारतीय घरों की सादगी और हरे-भरे खेतों की सुगंध से भर दिया।
पुतिन के सम्मान में परोसे गए इस भोजन की खासियत यह रही कि इसमें भारत के विभिन्न भू-भागों के स्वाद को एक ही थाली में इस प्रकार सजाया गया, जिससे भारत की एकता में विविधता का संदेश स्पष्ट तौर पर उभरकर सामने आए। राष्ट्रपति भवन ने हमेशा की तरह इस बार भी भारतीय कूटनीति को संस्कृति के माध्यम से संप्रेषित किया—और भोजन की यह कूटनीति (culinary diplomacy) भारत-रूस संबंधों में स्नेह और विश्वास की एक और परत जोड़ती है। मेहमानों के बीच भोज के दौरान हुई अनौपचारिक चर्चाओं, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और मुस्कुराहटों ने इस शाम को और यादगार बनाया।
इस राजकीय भोज को सिर्फ एक भोजन कार्यक्रम नहीं बल्कि भारत और रूस के गहरे संबंधों का उत्सव माना गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित इस शाही भोजन में भारतीय स्वादों को जिस शालीनता और संतुलन के साथ प्रस्तुत किया गया, उसने न केवल पुतिन बल्कि पूरे रूसी प्रतिनिधिमंडल को भारत की आत्मा से रूबरू कराया। पुतिन की चार साल बाद की इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच विश्वास को और मजबूत किया है, और यह भोज इस संबंध में एक सांस्कृतिक दस्तावेज की तरह दर्ज हो गया है।

