चीनी सैन्य विमान ने जापानी लड़ाकू विमानों पर किया ‘रडार लॉक’
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नई दिल्ली, 7 दिसम्बर,(एजेंसियां)। पूर्वी एशिया में समुद्री और हवाई तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। ओकिनावा के पास जापानी वायुसेना के एफ-15 लड़ाकू विमानों पर चीन के जे-15 सैन्य विमान द्वारा ‘रडार लॉक’ किए जाने की घटना ने दोनों देशों के बीच सुरक्षा संबंधी चिंताओं को गहरा कर दिया है। जापान ने इसे अपने सैन्य विमानों के लिए ‘‘गंभीर खतरा’’ बताते हुए चीन के समक्ष आधिकारिक विरोध दर्ज कराया है। इस प्रकरण ने न सिर्फ क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरणों पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी संकेत दिया है कि चीन और जापान के बीच दक्षिण चीन सागर तथा पूर्वी चीन सागर को लेकर मौजूद संवेदनशीलता किस हद तक बढ़ चुकी है।
जापान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह घटना शनिवार को दो अलग-अलग समय पर हुई। पहली बार दोपहर में लगभग तीन मिनट तक चीनी विमान ने जापानी लड़ाकू विमानों को अपने रडार में लॉक कर लिया, जबकि दूसरी घटना शाम को करीब तीस मिनट तक चली। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ‘रडार लॉक’ होने का अर्थ यह है कि एक सैन्य विमान दूसरे विमान को अपने लक्ष्य के रूप में चिन्हित करता है, उसकी गति, दिशा और स्थिति को लगातार ट्रैक करता है, और इससे इस बात का संकेत मिलता है कि वह आवश्यक होने पर मिसाइल दागने की स्थिति तक भी जा सकता है। ऐसे में किसी भी विमान के लिए यह एक अत्यंत संवेदनशील और खतरनाक स्थिति मानी जाती है।
घटना के तुरंत बाद जापानी एफ-15 विमानों ने मानक प्रोटोकॉल के तहत प्रतिक्रिया दी, हालांकि जापानी हवाई सीमा का कोई उल्लंघन नहीं हुआ और न ही किसी प्रकार की भौतिक क्षति की कोई सूचना है। फिर भी यह घटना इस बात की पुष्टि करती है कि क्षेत्र में सैन्य गतिविधियां कितनी तेजी से तनावपूर्ण माहौल पैदा कर सकती हैं। यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि दोनों बार रडार लॉक करने वाला विमान वही एक जे-15 था या अलग-अलग विमान शामिल थे।
जापान के रक्षा मंत्री शिंजिरो कोइजुमी ने रविवार सुबह पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह घटना ‘‘सुरक्षित विमान संचालन के स्थापित नियमों के खिलाफ’’ है और ‘‘बेहद खतरनाक’’ है। कोइजुमी ने बताया कि जापान ने चीन के समक्ष कड़े शब्दों में विरोध दर्ज कराया है और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है। कोइजुमी ने कहा कि इन घटनाओं का होना अत्यंत निंदनीय है और इससे क्षेत्र में अनावश्यक तनाव बढ़ता है, जिसका असर शांति और स्थिरता पर पड़ सकता है।
रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना जापान के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ओकिनावा क्षेत्र की संवेदनशीलता को उजागर करती है। ओकिनावा न सिर्फ अमेरिकी सैन्य ठिकानों का मुख्य केंद्र है, बल्कि यह वह क्षेत्र भी है जहाँ चीनी और जापानी नौसैनिक तथा हवाई गतिविधियां अक्सर आमने-सामने आ जाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के लियाओनिंग विमानवाहक पोत से उड़ान भर रहे जे-15 विमान पहले भी इसी क्षेत्र के पास देखा जा चुका है, लेकिन इस बार रडार लॉक करने की कार्रवाई इसे सामान्य निगरानी उड़ान से कहीं आगे ले जाती है।
चीन की ओर से इस घटना पर अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, चीनी सैन्य रणनीति को समझने वाले विश्लेषकों का कहना है कि चीन पिछले कुछ वर्षों से जापान के प्रभाव क्षेत्र के नजदीक आक्रामक सैन्य अभ्यास कर रहा है। यह कार्रवाई बीजिंग की उस नीति का हिस्सा भी हो सकती है जिसके तहत वह अपने क्षेत्रीय दावों को मजबूत करने के लिए दबाव की रणनीति अपनाता है। चीन का दावा है कि क्षेत्र में उसकी गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार हैं, जबकि जापान और अमेरिका इसे क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती मानते हैं।
यह घटना ऐसे समय हुई है जब जापान अपनी सुरक्षा नीतियों को लेकर अधिक सतर्क रुख अपना रहा है। हाल के वर्षों में जापान ने रक्षा बजट में बढ़ोतरी की है और चीन तथा उत्तर कोरिया से संभावित खतरे को ध्यान में रखते हुए अपनी सैन्य क्षमताओं को आधुनिक रूप दे रहा है। इसी के साथ जापान ने अमेरिका और अन्य सहयोगी देशों के साथ रक्षा सहयोग को भी मजबूत किया है।
दूसरी ओर चीन लगातार अपने नौसैनिक और वायुसेना के विस्तार में जुटा हुआ है। विशेष रूप से विमानवाहक पोत लियाओनिंग और उससे संचालित जे-15 विमानों का उपयोग चीन की सैन्य शक्ति प्रदर्शन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। यह भी माना जा रहा है कि चीन की इन गतिविधियों का लक्ष्य सिर्फ निगरानी और प्रशिक्षण ही नहीं है, बल्कि यह पड़ोसी देशों की रणनीतिक प्रतिक्रिया को परखने का भी माध्यम है।
जापान की ओर से दर्ज विरोध और ‘कड़े कदमों’ की मांग के बाद क्षेत्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर चर्चाएं तेज हो सकती हैं। यह भी संभव है कि जापान इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उठाए, ताकि चीन पर दबाव बनाया जा सके। फिलहाल अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस घटना पर नजर बनाए हुए है क्योंकि यह क्षेत्र पहले से ही कई समुद्री विवादों के कारण अत्यधिक संवेदनशील माना जाता है।
रडार लॉक की यह घटना सिर्फ दो देशों के बीच सैन्य तनाव का मामला नहीं है, बल्कि यह व्यापक एशियाई सुरक्षा ढांचे की जटिलताओं को भी सामने लाती है। यदि ऐसे घटनाक्रमों पर कड़ी निगरानी और कूटनीतिक संवाद के जरिए नियंत्रण नहीं रखा गया, तो भविष्य में किसी भी प्रकार की छोटी गलती बड़े सैन्य संघर्ष का कारण बन सकती है। इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि जापान और चीन दोनों को संयम बरतते हुए संवाद के जरिए तनाव को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे।

