इंडिगो की उड़ानें बाधित होने पर DGCA का सख्त रुख
एयरलाइन के जवाब पर टिकी कार्यवाही
नई दिल्ली, 7 दिसम्बर,(एजेंसियां)। देश की सबसे बड़ी निजी एयरलाइन इंडिगो इन दिनों गंभीर परिचालन अव्यवस्था के कारण विवादों में घिरी हुई है। बीते कुछ दिनों में देशभर के कई एयरपोर्टों पर इंडिगो की उड़ानें बड़े पैमाने पर बाधित हुईं, जिसके चलते हजारों यात्री घंटों फंसे रहे। उड़ानों की देरी, अंतिम समय में रद्दीकरण और यात्रियों को पर्याप्त जानकारी न देने जैसी शिकायतें लगातार बढ़ती रहीं। इन परिस्थितियों को देखते हुए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने एयरलाइन के अकाउंटेबल मैनेजर को कठोर शब्दों में कारण बताओ नोटिस जारी किया है और 24 घंटे के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है।
DGCA के नोटिस के बाद विमानन क्षेत्र में हलचल तेज हो गई है क्योंकि यह पहला अवसर है जब किसी प्रमुख निजी एयरलाइन को व्यापक परिचालन अव्यवस्था के लिए इतनी कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। DGCA ने साफ कहा है कि उड़ानों की बाधा इसलिए हुई क्योंकि एयरलाइन फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को लागू करने में विफल रही। FDTL वह प्रणाली है जो पायलटों और क्रू के कार्य घंटों को नियंत्रित करती है ताकि सुरक्षा बनी रहे। DGCA के अनुसार, इंडिगो ने FDTL प्रबंधन के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं नहीं कीं, जिसके परिणामस्वरूप पायलटों की उपलब्धता बाधित हुई और उड़ानों का संचालन चरमरा गया।
DGCA ने अपने नोटिस में यह भी कहा कि इतने बड़े पैमाने पर उड़ानों की रुकावट यह दर्शाती है कि एयरलाइन की योजना, निगरानी और संसाधन प्रबंधन में गंभीर कमियां हैं। नोटिस में यह भी उल्लेख है कि प्रारंभिक जांच में विमान नियम 1937 के नियम 42A सहित कई अन्य नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं का उल्लंघन सामने आया है। DGCA ने यह भी स्पष्ट किया कि एयरलाइन यात्रियों को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने में विफल रही, जबकि नियमों के अनुसार ऐसी स्थिति में यात्रियों को भोजन, आवास और सही समय पर जानकारी देना अनिवार्य है।
एयरपोर्टों पर फंसे यात्रियों ने सोशल मीडिया पर अपनी परेशानियों को लेकर आवाज उठाई, कई यात्रियों ने वीडियो साझा किए जिनमें लोगों को एयरलाइन काउंटरों पर जानकारी मांगते हुए देखा गया। कुछ यात्रियों ने आरोप लगाया कि उन्हें घंटों तक यह नहीं बताया गया कि उड़ान कब रवाना होगी या रद्द हो चुकी है। DGCA के अनुसार, यह स्थिति एयरलाइन की जिम्मेदारी को और भी भारी बनाती है क्योंकि नियमों में यात्रियों को समय पर सूचित करना और विकल्प उपलब्ध कराना अनिवार्य है।
नोटिस में इंडिगो के अकाउंटेबल मैनेजर को याद दिलाया गया है कि वह एयरलाइन के सभी परिचालन को स्वीकृत मैनुअल और नागरिक उड्डयन नियमों के अनुरूप बनाए रखने के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार हैं। DGCA ने स्पष्ट किया है कि यदि इंडिगो इस संबंध में संतोषजनक उत्तर देने में विफल रहती है, तो उसके खिलाफ सख्त प्रवर्तन कार्रवाई की जा सकती है। यह कार्रवाई जुर्माने से लेकर परिचालन प्रतिबंध तक किसी भी स्तर की हो सकती है।
नागरिक उड्डयन क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि यह मामला एयरलाइन की प्रबंधन क्षमता पर प्रश्नचिह्न लगाता है। इंडिगो देश के कुल घरेलू हवाई बाजार का लगभग 60% हिस्सा नियंत्रित करती है और उसके परिचालन में किसी भी तरह की बाधा राष्ट्रीय स्तर पर असर डालती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि एयरलाइन पायलटों के ड्यूटी आवर्स का प्रबंधन बेहतर तरीके से नहीं कर पा रही है, तो यह न केवल परिचालन विफलता बल्कि सुरक्षा के लिहाज़ से भी गंभीर चिंता का विषय है।
यात्रियों के बीच भी इस घटना ने इंडिगो के प्रति नाराज़गी को बढ़ाया है। कई यात्री इससे पहले भी इंडिगो की ग्राहक सेवा पर सवाल उठाते रहे हैं, लेकिन इस बार स्थिति अधिक गंभीर रही क्योंकि उड़ानों की रद्दीकरण संख्या एक साथ बहुत अधिक थी, जिससे हवाई यातायात पर व्यापक असर पड़ा। इसका प्रभाव विशेष रूप से दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे व्यस्त एयरपोर्टों पर देखा गया।
नोटिस में यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि निर्धारित 24 घंटे की अवधि में जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया, तो मामले पर एकतरफा निर्णय लिया जाएगा। यह DGCA की कड़ाई का संकेत है जो यह बताता है कि विमानन नियामक इस तरह की अव्यवस्था को गंभीरता से ले रहा है। DGCA ने यह भी कहा कि एयरलाइन को यह साबित करना होगा कि उसने यात्रियों को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने में कोई लापरवाही नहीं की, अन्यथा कड़ी कार्रवाई तय है।
वहीं इंडिगो की ओर से इस मामले में अभी तक कोई आधिकारिक व्यापक स्पष्टीकरण नहीं आया है। हालांकि, एयरलाइन सूत्रों के अनुसार, इंडिगो इस पूरे मामले की आंतरिक जांच कर रही है और DGCA को समय पर जवाब देने की तैयारी में है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि एयरलाइन इस नोटिस का क्या जवाब देती है और DGCA आगे क्या कदम उठाता है।

