वो जिन्ना के चश्मे से वंदे मातरम को देखते हैं

संसद में बहस के दौरान राजनाथ सिंह का कांग्रेस पर अटैक

वो जिन्ना के चश्मे से वंदे मातरम को देखते हैं

नई दिल्ली, 8 दिसम्बर,(एजेंसियां)।लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सोमवार का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब वंदे मातरम के 150वें वर्ष पर विशेष चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस को सीधे निशाने पर लेते हुए तीखा हमला बोला। चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद वंदे मातरम को वह सम्मान नहीं मिला, जिसे देश की आज़ादी की लड़ाई में उसके योगदान के आधार पर मिलना चाहिए था।
राजनाथ सिंह ने कहा, “वंदे मातरम अपने आप में पूर्ण है, लेकिन इसे अपूर्ण बनाने के प्रयास लगातार किए गए। आज आवश्यकता है कि इसे वह गौरव लौटाया जाए, जिसका यह हकदार है।”

वंदे मातरम: क्रांति का आधार, प्रेरणा का स्रोत

रक्षा मंत्री ने लोकसभा में बोलते हुए कहा कि 1906 में भारत का पहला राष्ट्रीय झंडा तैयार किया गया था और उस समय उस झंडे के केंद्र में वंदे मातरम अंकित था। बंगाल में यह झंडा पहली बार फहराया गया था, जिसने उस दौर के आंदोलन में नई ऊर्जा भर दी। उसी वर्ष अगस्त में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए वंदे मातरम नाम से एक समाचार पत्र भी प्रकाशित होने लगा, जो क्रांतिकारियों की आवाज़ बन गया था।
राजनाथ सिंह ने कहा कि उस समय वंदे मातरम केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक भाव था—भारत माता के प्रति समर्पण, देशभक्ति और संघर्ष की प्रेरणा का प्रतीक। स्वतंत्रता सेनानी इसे एक मंत्र की तरह पढ़ते थे।

“जिन्ना के चश्मे से वंदे मातरम देखते हैं”

अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए रक्षा मंत्री ने कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि देश के कुछ राजनेता और बुद्धिजीवी वंदे मातरम को जिन्ना के चश्मे से देखते हैं।
उन्होंने कहा, “जिन लोगों को अखंड भारत से दिक्कत थी, वही लोग वंदे मातरम के छंदों पर सवाल उठाते थे। मेरा सवाल है—कांग्रेस ने ऐसे लोगों का समर्थन क्यों किया? क्या यह राष्ट्रगीत की गरिमा को ठेस पहुंचाने का प्रयास नहीं था?”

वंदे मातरम भारत की आत्मा का हिस्सा

इस चर्चा के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि वंदे मातरम सिर्फ बंगाल तक सीमित नहीं था। यह नारा भारत के उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम—सभी दिशाओं में गूंजता था। यहां तक कि विदेशों में भी भारतीय समुदाय इस मंत्र का जाप कर राष्ट्रीयता की लौ को प्रज्वलित रखता था।
उन्होंने याद दिलाया कि अंग्रेजों के दमन, लाठीचार्ज और गोलीबारी के बीच भी लाखों लोग “वंदे मातरम” बोलते हुए आगे बढ़ते थे। इसे रोकने के लिए अंग्रेजों ने कई बार प्रतिबंध लगाया, पर इसके प्रभाव को रोक नहीं पाए।

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अवमानना के प्रयास और कांग्रेस पर तीखा वार

राजनाथ सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद ऐसी कई परिस्थितियाँ बनीं जिनमें वंदे मातरम को जानबूझकर हाशिए पर रखा गया। उन्होंने कहा कि कई नेताओं ने राजनीतिक कारणों से राष्ट्रगीत के महत्व को कम करने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, “वंदे मातरम इस देश की आत्मा का हिस्सा है। इसे कमजोर करने का हर प्रयास राष्ट्र की भावना को कमजोर करने जैसा है। सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस ने ऐसे तत्वों का समर्थन क्यों किया, जो राष्ट्रगीत का सम्मान नहीं करते?”

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मोदी सरकार देशभर में शुरू करेगी वर्षगांठ का उत्सव

रक्षा मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पूरे देश में भव्य रूप से मनाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि देशभर में कार्यक्रम आयोजित होंगे और राष्ट्रगीत को वह सम्मान दिलाया जाएगा, जो इसके ऐतिहासिक महत्व और भावनात्मक मूल्य के अनुरूप है।

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सदन में तीखी लेकिन गरिमामयी बहस

सदन में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच कई बार तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली, लेकिन चर्चा पूरी तरह गरिमामयी रही। कांग्रेस सदस्य प्रियंका गांधी ने भी कहा कि “वंदे मातरम भारत की आत्मा का हिस्सा है।”
इसके बावजूद राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कुछ कांग्रेस नेताओं के ऐतिहासिक रुख पर सवाल उठाए और कहा कि अब समय आ गया है कि राष्ट्रगीत पर राजनीति बंद होनी चाहिए।

अंत में उन्होंने कहा, “वंदे मातरम मात्र गीत नहीं, बल्कि भारत के गौरव का प्रतीक है। हमें इसे मिलकर वह स्थान दिलाना चाहिए, जिसे यह योग्य और स्वाभाविक रूप से प्राप्त है।”