Sheikh Hasina का नाम लेकर ऐसा क्या बोले यूनुस, भारत ने कराई बोलती बंद

Sheikh Hasina का नाम लेकर ऐसा क्या बोले यूनुस, भारत ने कराई बोलती बंद

नई दिल्ली, 8 दिसम्बर,(एजेंसियां)। बांग्लादेश की राजनीति में चल रही उथल-पुथल के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के बीच तनाव एक बार फिर सुर्खियों में है। भारत पर आरोपों और बयानबाज़ी का सिलसिला पिछले कई महीनों से जारी है। लेकिन अब विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के एक सख्त बयान ने बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों की कथित “हवाबाज़ी” को शांत कर दिया है। यूनुस ने अपने हालिया बयानों में शेख हसीना के भारत में रहने को लेकर सवाल उठाए थे और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई को बहाना बनाते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की थी। अब जयशंकर के बयान के बाद यूनुस शिविर में स्पष्ट रूप से बेचैनी फैल गई है।

पिछले महीने बांग्लादेश की ट्रिब्यूनल कोर्ट द्वारा शेख हसीना को सजा सुनाए जाने के बाद यूनुस सरकार के समर्थकों ने दावा किया था कि हसीना को जल्द ही बांग्लादेश लौटना होगा। इस दौरान भारत पर भी तरह-तरह के आरोप लगाए गए। यूनुस के कुछ समर्थकों ने यह तक कहा कि भारत हसीना को “राजनीतिक सुरक्षा” देकर बांग्लादेश की न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहा है। ये बयान लगातार बांग्लादेशी मीडिया में सुर्खियां बने रहे। इसके बाद यूनुस सरकार ने कुछ तथाकथित आधिकारिक पत्र जारी कर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश भी की, लेकिन नई दिल्ली ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। अब जब विदेश मंत्री जयशंकर ने खुलकर इस विषय पर अपना पक्ष रखा है, तो यूनुस गुट की सारी रणनीति ध्वस्त हो गई है।

एक इंटरव्यू के दौरान जब जयशंकर से पूछा गया कि क्या शेख हसीना भारत में जितना चाहें, उतना समय रह सकती हैं, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि हसीना “विशेष परिस्थितियों” में भारत आई थीं और वे परिस्थितियां आज भी उनकी सुरक्षा को लेकर बेहद अहम हैं। जयशंकर ने कहा कि यह निर्णय पूरी तरह हसीना का है कि वे भारत में कितने समय तक रहना चाहती हैं। उन्होंने दोहराया कि भारत सरकार ने उन्हें मानवीय आधार पर शरण दी है और उनके सम्मान, सुरक्षा तथा सुविधा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। जयशंकर का यह बयान बांग्लादेश सरकार के उन सभी दावों को सीधे-सीधे चुनौती देता है, जिसमें कहा जा रहा था कि भारत शेख हसीना की मौजूदगी को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।

जयशंकर ने न सिर्फ हसीना को भारत में रहने की अनुमति को मजबूत किया, बल्कि बांग्लादेश सरकार और यूनुस समर्थकों के उन आरोपों को भी करीब-करीब खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि हसीना को जल्द ही बांग्लादेश लौटने पर मजबूर किया जाएगा। उनका बयान यह दर्शाता है कि भारत बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता, लेकिन मानवीय आधार पर हसीना की सुरक्षा सुनिश्चित करना उसका नैतिक दायित्व है।

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भारत-बांग्लादेश संबंधों पर बोलते हुए जयशंकर ने पड़ोसी देश में एक विश्वसनीय और पारदर्शी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के लोग, विशेषकर वर्तमान सत्ताधारी गुट, पिछले चुनावों की प्रक्रिया पर सवाल उठाते रहे हैं। इसलिए यदि वास्तविक मुद्दा चुनाव का है, तो सबसे पहले निष्पक्ष चुनावों को सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने बांग्लादेश के लिए शुभकामनाएं देते हुए यह भी कहा कि एक लोकतांत्रिक देश हमेशा यही चाहता है कि पड़ोसी देश में भी जनता की इच्छा लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से परिलक्षित हो।

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जयशंकर के इस बयान ने उन तमाम अटकलों को भी समाप्त कर दिया है, जिनमें कहा जा रहा था कि भारत हसीना को ज्यादा समय तक अपने यहां नहीं रख पाएगा। अब विदेश मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत हसीना को मानवीय आधार पर जितना चाहें, उतना समय रहने देगा। यह संदेश न सिर्फ ढाका, बल्कि इस मुद्दे का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान तक के लिए भी एक सख्त संकेत है।

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इस पूरे विवाद में यूनुस सरकार की वह बयानबाज़ी भी फीकी पड़ती दिखाई दे रही है, जिसमें उन्होंने बार-बार कहा कि हसीना को भारत छोड़कर बांग्लादेश लौटना पड़ेगा। लेकिन जयशंकर की स्पष्ट नीति और भारत की कूटनीतिक मजबूती ने यूनुस के दावों की हवा निकाल दी है। अब सारी गेंद बांग्लादेश के राजनीतिक नेतृत्व और वहां की न्यायिक प्रक्रिया के पाले में है कि वह इस मुद्दे को किस दिशा में ले जाती है।