IndiGo ने संकट से पहले नहीं दी कोई चेतावनी…

संसद में सरकार बोली— FDTL नहीं, आंतरिक गड़बड़ी है

IndiGo ने संकट से पहले नहीं दी कोई चेतावनी…

नई दिल्ली, 8 दिसम्बर,(एजेंसियां)। इंडिगो में हाल में उत्पन्न हुए परिचालन संकट और देशभर में हजारों यात्रियों को झेलनी पड़ी भारी असुविधा के बीच, केंद्र सरकार ने संसद में स्पष्ट कर दिया है कि यह समस्या उड़ान ड्यूटी समय सीमा (FDTL) नियमों से नहीं, बल्कि एयरलाइन की अपनी आंतरिक खामियों से पैदा हुई है। नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने राज्यसभा में इस मुद्दे पर विस्तृत बयान देते हुए बताया कि इंडिगो ने संकट से पहले न तो सरकार को कोई चेतावनी दी और न ही अपनी आंतरिक चुनौतियों की जानकारी साझा की।

मंत्री ने कहा कि एयरलाइन की समस्याओं की जड़ उसके क्रू रोस्टर और आंतरिक योजना प्रणाली में निहित है, जिसे इंडिगो को स्वयं दुरुस्त करना था। उन्होंने बताया कि सरकार पिछले एक महीने से एयरलाइन की स्थिति पर निगरानी रख रही थी और यह सुनिश्चित कर रही थी कि एफडीटीएल नियमों के कार्यान्वयन में किसी प्रकार का समझौता न हो। उन्होंने कहा कि “इंडिगो को अपने दैनिक कार्यों के दौरान क्रू रोस्टर का प्रबंधन करना था। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि एफडीटीएल का उचित अनुपालन हो रहा है और इस मोर्चे पर कोई समस्या नहीं मिली।”

नायडू ने जानकारी दी कि 1 दिसंबर को एयरलाइन की ओर से एफडीटीएल से जुड़े कुछ स्पष्टीकरण मांगे गए थे, जिसके बाद मंत्रालय ने इंडिगो के साथ बैठक की और सभी आवश्यक स्पष्टताएँ दे दीं। उस समय इंडिगो ने न तो किसी तकनीकी समस्या का ज़िक्र किया और न ही किसी परिचालन कठिनाई की बात उठाई। उन्होंने कहा कि “उन्होंने उस बैठक में कोई मुद्दा नहीं उठाया और सब कुछ सामान्य बताया। लेकिन इसके तीन दिन बाद—3 दिसंबर को—अचानक बड़े पैमाने पर उड़ानें रद्द होने लगीं और परिचालन में अव्यवस्था फैल गई।”

मंत्री ने बताया कि जैसे ही समस्या सामने आई, मंत्रालय ने तत्काल हस्तक्षेप किया। देश के कई हवाई अड्डों पर उत्पन्न अव्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय प्रशासन, एयरलाइन स्टाफ और एजेंसियों के साथ लगातार समन्वय किया गया। यात्रियों को घंटों लंबी देरी, कैंसिलेशन और बैगेज हैंडलिंग में गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई यात्रियों की शिकायत थी कि उन्हें आखिरी समय में रद्दीकरण की सूचना मिली और वैकल्पिक व्यवस्था की कोई स्पष्टता नहीं दी गई।

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नायडू ने संसद में कहा कि “आपने देखा होगा कि उन दो दिनों में क्या हुआ। यात्रियों को काफी कठिनाई झेलनी पड़ी और हम इस स्थिति को हल्के में नहीं ले रहे हैं। जाँच चल रही है और जो भी इसकी जिम्मेदारी या नियमों की अवहेलना का दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।” मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई केवल इंडिगो के इस मामले तक सीमित नहीं होगी, बल्कि नागरिक उड्डयन क्षेत्र में नियम उल्लंघन की किसी भी घटना के लिए एक ‘नज़ीर’ होगी जिसे भविष्य में भी लागू किया जाएगा।

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उन्होंने कहा कि “नागरिक उड्डयन क्षेत्र में किसी भी संगठन, ऑपरेटर या व्यक्ति द्वारा नियमों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह जरूरी है कि संपूर्ण उद्योग में अनुशासन और पारदर्शिता बनी रहे।” उन्होंने यह भी बताया कि सरकार यात्रियों की सुरक्षा और अधिकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और एयरलाइनों की परिचालन क्षमता की निगरानी लगातार की जा रही है।

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इंडिगो के हालिया संकट ने बाज़ार पर भी प्रभाव डाला। शेयर बाजार में इंडिगो की पैरेंट कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई और सेंसेक्स में भी 800 अंकों की गिरावट देखी गई, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भी इंडिगो उड़ान रद्दीकरण से जुड़े मामलों पर तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि पहले सरकार की जाँच और निष्कर्ष का इंतजार करना उचित होगा।

मौजूदा स्थिति में सरकार के सख्त तेवर और संभावित दंडात्मक कार्रवाई के संकेत से यह स्पष्ट हो गया है कि इंडिगो को अपनी आंतरिक प्रणालियों में कठोर सुधार करने होंगे। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की भूमिका अब सिर्फ नियामक नहीं, बल्कि यात्री अधिकारों और उद्योग की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने में निर्णायक हो गई है।