नई दिल्ली, 9 दिसम्बर,(एजेंसियां)। भारत की सुरक्षा एजेंसियों में उस समय भूचाल आ गया, जब एक चीनी नागरिक द्वारा वीज़ा शर्तों की खुली अवहेलना करते हुए देश के सबसे संवेदनशील इलाकों—लद्दाख और कश्मीर—में घूमने की विस्फोटक जानकारी सामने आई। हू कोंगताई नाम का यह 29 वर्षीय चीनी नागरिक सिर्फ पर्यटन वीज़ा पर भारत आया था, लेकिन उसके कदम बिल्कुल किसी पर्यटक जैसे नहीं थे। जिस तरह उसने दिल्ली में उतरते ही भारतीय सिम कार्ड खरीदा, संवेदनशील सैन्य मुद्दों की इंटरनेट पर खोजें कीं और नियमों को रौंदते हुए सीधे लद्दाख-कश्मीर जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में प्रवेश कर गया—इसने सुरक्षा तंत्र में गहरी चिंता पैदा कर दी है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सेना ने इंटरनेट पर एक संदिग्ध “असामान्य बातचीत” इंटरसेप्ट की, जिसने हू की गतिविधियों का पर्दाफाश किया। यह कोई सामान्य पर्यटक नहीं था—बल्कि वह भारतीय सुरक्षा संरचनाओं, अनुच्छेद 370, CRPF की तैनाती और कश्मीर में सैन्य मौजूदगी जैसे मुद्दों पर गहराई से खंगालने में जुटा हुआ था। उसके फोन की फोरेंसिक जांच में यह भी मिला कि उसने कई बार अपनी ब्राउज़िंग हिस्ट्री मिटाने की कोशिश की थी, जो उसके इरादों को और ज्यादा संदिग्ध बनाता है।
हू कोंगताई चीन के शेनझेन क्षेत्र का निवासी है, जो 19 नवंबर को दिल्ली पहुँचा था। उसे एक सीमित दायरे वाला पर्यटन वीज़ा मिला था—जिसमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बौद्ध धार्मिक स्थलों तक यात्रा की अनुमति थी। लेकिन भारतीय नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए उसने सीधे लेह की उड़ान पकड़ी। 20 नवंबर को वह लेह पहुँचा और विदेशी यात्रियों की सामान्य जांच प्रक्रिया में भीड़ में घुल-मिलकर निकल गया। इस आसानी से उसका निकल जाना भारतीय हवाईअड्डा सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न उठाता है।
लेह में वह तीन दिनों तक ज़ांस्कर और आसपास के बेहद संवेदनशील क्षेत्रों में घूमता रहा। इसके बाद 1 दिसंबर को वह श्रीनगर पहुँचा और एक गैर-पंजीकृत गेस्ट हाउस में ठहर गया—जो स्वयं में एक गंभीर उल्लंघन है। वहाँ से उसने हारवान मठ, शंकराचार्य पर्वत, हजरतबल, डल झील क्षेत्र में मौजूद मुगल गार्डन और अवंतीपुरा के खंडहर जैसे स्थानों का दौरा किया। इन स्थानों की संवेदनशीलता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि इनमें से कई भारतीय सेना की विक्टर फ़ोर्स मुख्यालय के बेहद नज़दीक हैं। यह किसी भी स्थिति में संयोग नहीं माना जा सकता।
जांच में यह भी सामने आया कि हू कोंगताई बॉस्टन यूनिवर्सिटी से फिज़िक्स में स्नातक है और पिछले नौ साल से अमेरिका में रह रहा है। उसके पासपोर्ट पर अमेरिका, न्यूजीलैंड, ब्राजील, फिजी और हांगकांग जैसी जगहों की लगातार यात्राओं का रिकॉर्ड दर्ज है। पूछताछ में उसने खुद को “ट्रैवल लवर” बताया, लेकिन उसके घूमने का पैटर्न, चुने गए स्थान और डिजिटल गतिविधियाँ किसी पर्यटन प्रेमी के नहीं, बल्कि किसी प्रशिक्षित, उद्देश्यपूर्ण मिशन पर निकले व्यक्ति की तरह दिखती हैं।
हू कोंगताई को फिलहाल श्रीनगर एयरपोर्ट के पास हुहमां पुलिस पोस्ट में कड़े निगरानी में रखा गया है। प्राथमिक रूप से मामला वीज़ा उल्लंघन का है और उसे निर्वासित किया जा सकता है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां इसे सिर्फ एक तकनीकी उल्लंघन मानने को तैयार नहीं हैं। उसकी यात्रा का मार्ग, फोन में मिले डेटा और उसके गतिविधिक्रम ने एजेंसियों को यह समझने पर मजबूर कर दिया है कि शायद वह किसी गहरे मकसद के तहत भारत आया था।
इस घटना के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने श्रीनगर में होटलों, हाउसबोटों और होमस्टे ऑपरेटरों पर कड़ा शिकंजा कस दिया है। कई जगहों पर विदेशी नागरिकों के ठहराव की अनिवार्य रिपोर्टिंग—फ़ॉर्म-C—का पालन न करने पर पाँच प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी हैं। खास बात यह है कि हाल के महीनों में रूस, इज़राइल, रोमानिया और स्पेन से आए कई पर्यटकों को भी होटलों द्वारा बिना रिपोर्टिंग औपचारिकताओं के ठहराया गया था। यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि एक गंभीर सुरक्षा चूक है, जो भविष्य में बड़े खतरे को जन्म दे सकती है।
पूरे प्रकरण का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि हू कोंगताई लगभग दो सप्ताह तक लद्दाख और कश्मीर में घूमता रहा और किसी भी एजेंसी की निगाह में नहीं आया। यह भारत की सुरक्षा व पर्यटन निगरानी प्रणाली की कमजोरी को उजागर करता है। कश्मीर और लद्दाख जैसे क्षेत्रों में सेना की संवेदनशील मौजूदगी को देखते हुए किसी भी विदेशी नागरिक की गतिविधियों पर अत्यधिक सतर्कता जरूरी है। फिर भी, हू का इस तरह “निरीक्षण” घूमना और सैन्य-संवेदनशील स्थानों पर पहुंच जाना एक बड़ा खामी संकेत है।
वे तथ्य भी संदेह बढ़ाते हैं कि उसने संवेदनशील विषयों पर सर्च की, सिम कार्ड खरीदा, ब्राउज़र हिस्ट्री मिटाई, गैर-पंजीकृत गेस्ट हाउस में रुका और ऐसे स्थानों पर गया जो किसी पर्यटक के सामान्य मार्ग नहीं होते। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या उसकी यात्रा का मकसद भारत की सुरक्षा संरचना का मैपिंग करना था? क्या वह किसी विदेशी एजेंसी का हिस्सा था? क्या वह भविष्य में किसी ऑपरेशन की तैयारी में था?
यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगी कि वह किसी व्यापक साजिश का हिस्सा था या नहीं, लेकिन उसके इरादों की गहराई की जांच आवश्यक है। यह घटना भारत को यह सोचने पर मजबूर करती है कि विदेशी नागरिकों की गतिविधियों की निगरानी, वीज़ा नियमों का अनुपालन, और होटलों-हाउसबोटों की रिपोर्टिंग प्रणाली को तत्काल मजबूत किया जाए। भारत एक खुले समाज और समृद्ध संस्कृति वाला देश है, लेकिन सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
यदि इस मामले से सबक लिया गया, तो यह भारत की सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। नहीं तो ऐसी घटनाएं भविष्य में कहीं अधिक गंभीर रूप ले सकती हैं।

