अमरोहा में 23 दिन के मासूम की सोते हुए मौत

दम घुटने की आशंका से गांव में शोक

अमरोहा में 23 दिन के मासूम की सोते हुए मौत

लखनऊ, 10 दिसम्बर,(एजेंसियां)।उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में एक हृदयविदारक घटना ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया है। सिहाली जागीर गांव में मात्र 23 दिन के एक नवजात की सोते समय संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। बच्चे के माता-पिता ने चार साल के लंबे इंतजार के बाद बेटे का स्वागत किया था, लेकिन रविवार रात घटी इस त्रासदी ने पूरे परिवार और गांव को सदमे में डाल दिया है। सुबह जब माता-पिता की नींद खुली, तो उन्होंने अपने मासूम को बेजान अवस्था में पाया। आनन-फानन में उसे गजरौला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

सीएचसी के इंचार्ज डॉ. योगेंद्र सिंह के अनुसार, जांच में प्राथमिक रूप से यह आशंका सामने आई है कि नवजात की मौत गलती से दबने और फिर दम घुटने के कारण हुई होगी। उन्होंने बताया कि रात में माता-पिता अत्यधिक ठंड से बचने के लिए बच्चे को अपने बीच सुलाए हुए थे। ऐसे में संभव है कि नींद में बच्चे पर दबाव पड़ गया हो, जिससे उसकी सांसें रुक गई हों। डॉ. सिंह ने कहा कि ठंड के मौसम में जब परिवार गर्मी के लिए एक साथ सोते हैं, तो नवजात शिशुओं के साथ इस तरह की दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।

घटना के बाद माता-पिता गहरे सदमे में हैं और एक-दूसरे को दोषी ठहराते हुए पटरी पर लौटने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों ने किसी भी तरह की पुलिस शिकायत दर्ज कराने से इनकार कर दिया और अपने बच्चे को घर लेकर चले गए। गांव में बच्चे की मौत की खबर फैलते ही मातम छा गया, क्योंकि यह बच्चा परिवार में वर्षों बाद पैदा हुआ था।

इस घटना के बाद चिकित्सा विशेषज्ञों ने नवजात शिशुओं को सुरक्षित तरीके से सुलाने के महत्व पर एक बार फिर जोर दिया है। डॉक्टरों का कहना है कि छोटे बच्चों के लिए ठोस बिस्तर और अलग सोने की व्यवस्था अधिक सुरक्षित रहती है। उन्होंने यह भी बताया कि नवजात के साथ एक ही बिस्तर पर सोना, खासकर ठंड के दिनों में, माता-पिता की अनजानी हरकतों के कारण बड़े जोखिम का कारण बन सकता है।

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डॉ. योगेंद्र सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि इस प्रकार की अचानक मृत्यु कई बार सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) के कारण भी हो सकती है। एक साल से कम उम्र के बच्चों में यह सिंड्रोम बिना किसी स्पष्ट कारण के सोते समय मौत का कारण बन सकता है। यह सबसे अधिक 1 से 4 महीने की उम्र में देखा जाता है और सर्दियों में इसके मामले बढ़ जाते हैं। SIDS के मामलों में पोस्टमॉर्टम में भी मृत्यु का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिल पाता, जिससे यह और अधिक रहस्यमय बन जाता है।

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सिहाली जागीर गांव में इस घटना के बाद शोक का माहौल छाया हुआ है। ग्रामीण इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे को लेकर गहरी संवेदना प्रकट कर रहे हैं। हर घर में यही चर्चा है कि इतनी छोटी उम्र में मासूम की जान कैसे चली गई। परिवार को ढांढस बंधाने लोग लगातार पहुंच रहे हैं, जबकि डॉक्टर लगातार लोगों को नवजात की सुरक्षा के बारे में जागरूक करने की सलाह दे रहे हैं।

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