असम में घुसपैठ पर सख्त हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा
लोगों से की अपील—अज्ञात लोगों को जमीन या काम न दें
नई दिल्ली, 10 दिसम्बर,(एजेंसियां)। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बुधवार को गुवाहाटी के बोरागाँव में आयोजित असम आंदोलन के शहीद दिवस कार्यक्रम के दौरान घुसपैठ के खिलाफ कड़ा संदेश दिया। उन्होंने असम आंदोलन के शहीदों की याद में बनाए गए शहीद स्मारक का उद्घाटन किया और इस अवसर पर राज्यवासियों से स्पष्ट अपील की कि वे किसी भी अज्ञात व्यक्ति को जमीन न बेचें और न ही अपने उद्योगों व प्रतिष्ठानों में उन्हें नौकरी पर रखें। मुख्यमंत्री ने कहा कि असम की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है और इसके लिए जागरूक नागरिक ही सबसे बड़ी शक्ति बन सकते हैं।
कार्यक्रम के दौरान हिमंता बिस्वा सरमा ने 1979 में बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ के खिलाफ उठाई गई आवाज़ को याद करते हुए कहा कि असम आंदोलन के शहीदों ने राज्य की अस्मिता और परंपरा की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने बताया कि इस शहीद स्मारक का निर्माण उन सभी वीरों की स्मृति में किया गया है, जिन्होंने राज्य की जनसांख्यिकी और सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने के लिए संघर्ष किया। मुख्यमंत्री ने यह भी याद दिलाया कि इसी दिन, 10 दिसंबर 2019 को इस स्मारक की आधारशिला रखी गई थी, जब सरबानंदा सोनोवाल मुख्यमंत्री थे और आज उसी सपने को मूर्त रूप देते हुए यह स्मारक जनता को समर्पित किया जा रहा है।
हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि 10 दिसंबर असम के लिए केवल एक स्मरण दिवस नहीं, बल्कि एक नए संकल्प का दिन है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अपनी जमीन या संपत्ति किसी भी बाहरी या संदिग्ध व्यक्ति को न बेचें। इसके साथ ही उन्होंने व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भी चेताया कि वे ऐसे लोगों को नौकरी न दें जिनकी पृष्ठभूमि स्पष्ट न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि अज्ञात लोगों से संबंध न रखना और उनका सत्यापन करना राज्य की सुरक्षा और सामाजिक संतुलन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में बताया कि बोरागाँव क्षेत्र में 150 बीघा से अधिक भूमि पर लगभग 170 करोड़ रुपये की लागत से यह स्मारक बनाया गया है, जिसमें एक भव्य शहीद स्तंभ और 500 सीटों वाला आधुनिक सभागार भी तैयार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि यहां एक डिजिटल पुस्तकालय का निर्माण किया जाएगा, जिसमें असम आंदोलन, असमी इतिहास और राज्य की 5,000 साल पुरानी सांस्कृतिक विरासत का व्यापक दस्तावेजीकरण होगा। उन्होंने कहा कि यह पुस्तकालय आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री सरबानंदा सोनोवाल, कैबिनेट मंत्री अतुल बोरा, केशव महंत, बिमल बोरा, पीयूष हजारिका और जयंत मल्लबारुआ सहित राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। एएएसयू के मुख्य सलाहकार डॉ. समुज्जल कुमार भट्टाचार्य, अध्यक्ष उत्पल शर्मा और महासचिव समीरन फुकन ने भी इस समारोह में भाग लिया।
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि असम आंदोलन के शहीद असम की आत्मा हैं और प्रदेश को घुसपैठ मुक्त बनाए रखना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

