नई दिल्ली, 10 दिसम्बर,(एजेंसियां)। पश्चिम बंगाल की राजनीति में नई हलचल शुरू हो गई है। निलंबित तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक हुमायूं कबीर ने बुधवार को घोषणा की कि वे 22 दिसंबर को अपनी नई राजनीतिक पार्टी लॉन्च करेंगे। 2026 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले यह ऐलान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के लिए राजनीतिक चुनौती के नए दौर की शुरुआत माना जा रहा है। कबीर ने साफ कहा है कि उनकी नई पार्टी ममता बनर्जी के खिलाफ सीधे मुकाबले में उतरेगी और वे हर उस सीट पर उम्मीदवार खड़ा करेंगे, जहां टीएमसी मजबूत मानी जाती है।
एएनआई से बातचीत में कबीर ने कहा कि 22 दिसंबर उनका राजनीतिक भविष्य तय करने वाला दिन होगा, क्योंकि इसी दिन वे नई पार्टी की घोषणा करेंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले चुनावों में जो भी मुख्यमंत्री बनना चाहेगा, उसे हुमायूं कबीर का समर्थन लेना ही होगा। उनकी इस घोषणा को पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बड़े मोड़ के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि कबीर लंबे समय तक टीएमसी का प्रमुख चेहरा रहे हैं और अब वे उसी नेतृत्व के खिलाफ बड़ी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं।
इससे पहले 6 दिसंबर को कबीर तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद के निर्माण की आधारशिला रखी। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के तहत उन्हें यह करने का पूर्ण अधिकार है। कबीर ने संविधान के अनुच्छेद 26(क) का उल्लेख करते हुए कहा कि हर धार्मिक समुदाय को धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संस्थाएँ स्थापित करने और उनका रखरखाव करने का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि जब मंदिर या चर्च बन सकता है, तो मस्जिद भी बन सकती है, और इसमें किसी तरह की असंवैधानिकता नहीं है।
मुर्शिदाबाद में लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण पर सवाल उठाना गलत है, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया था कि 1992 में बाबरी मस्जिद को भीड़ ने ध्वस्त किया था। उन्होंने कहा कि यदि किसी स्थान पर मंदिर निर्माण संभव है, तो संविधान के तहत मस्जिद निर्माण भी उतना ही वैध है, बशर्ते यह सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के दिशानिर्देशों के अनुरूप हो।
हुमायूं कबीर के इस कदम पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेजी से सामने आई। भाजपा ने ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि उन्होंने कबीर को मुसलमानों को ध्रुवीकृत करने की अनुमति देकर राज्य में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया। भाजपा ने कहा कि कबीर को निलंबित करने में देरी यह दिखाती है कि टीएमसी ने राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे को बढ़ावा दिया। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि कबीर पहले भी हिंदुओं के खिलाफ विवादित बयान दे चुके हैं, फिर भी उनके खिलाफ कोई निर्णायक कार्रवाई समय पर नहीं की गई।
भाजपा नेताओं ने चेतावनी दी कि ममता बनर्जी की निष्क्रियता राज्य में अस्थिरता पैदा कर सकती है। वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कबीर की नई पार्टी 2026 के चुनावों में राजनीतिक समीकरण बदल सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
कुल मिलाकर, हुमायूं कबीर की नई पार्टी की घोषणा ने बंगाल की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है और आने वाले दिनों में यह मुकाबला और दिलचस्प होने वाला है।
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निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने 22 दिसंबर को नई पार्टी लॉन्च करने की घोषणा कर ममता बनर्जी के लिए नई राजनीतिक चुनौती खड़ी कर दी है। कबीर ने टीएमसी के खिलाफ चुनाव लड़ने की बात कही, जबकि भाजपा ने ममता सरकार पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का आरोप लगाया।
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