पुतिन के बाद अब अमेरिका की एंट्री!
भारत में तीन दिन की हाई-लेवल बैठक शुरू, क्या हटेगा रूसी तेल पर लगा भारी टैरिफ?
नई दिल्ली, 10 दिसम्बर,(एजेंसियां)। नई दिल्ली में भारत-अमेरिका संबंधों को सामान्य करने और व्यापारिक तनाव को कम करने के लिए तीन दिन की अहम वार्ता मंगलवार से शुरू हो गई है। अमेरिका के उप व्यापार प्रतिनिधि रिक स्विट्जर के नेतृत्व में आया उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर भारतीय टीम से विस्तृत चर्चा कर रहा है। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50% तक टैरिफ बढ़ाए जाने और रूसी तेल आयात पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खिंचाव बढ़ गया था। पुतिन के भारत दौरे के तुरंत बाद अमेरिकी टीम का यहां पहुंचना इसे और भी रणनीतिक बना देता है।
हाल के महीनों में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा भारत की रूस से ऊर्जा खरीद की लगातार आलोचना होती रही, जिससे तनाव और बढ़ा। इसी पृष्ठभूमि में अमेरिकी उप विदेश मंत्री एलिसन हुकर का हालिया भारत दौरा रिश्तों को रीसेट करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। उन्होंने विदेश सचिव विक्रम मिश्री से लंबी वार्ता की, जिसमें फरवरी में ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई मुलाकात में तय साझा विज़न को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया।
इस तीन दिवसीय वार्ता में अमेरिका की ओर से दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच भी हिस्सा ले रहे हैं। भारत की ओर से नेतृत्व संयुक्त सचिव दर्पण जैन कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक यह औपचारिक बातचीत नहीं है, बल्कि समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने की दिशा में महत्वपूर्ण कूटनीतिक प्रयास है। दोनों देशों का उद्देश्य है कि व्यापार, ऊर्जा और रणनीतिक साझेदारी को नए सिरे से मजबूती दी जाए, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक भू-राजनीति में तेजी से बदलाव हो रहे हैं।
अमेरिकी दल 10 से 12 दिसंबर तक दिल्ली में विचार-विमर्श करेगा। यह उस अमेरिकी टीम का दूसरा भारत दौरा है जो अगस्त में लगाए गए टैरिफ के बाद लगातार चिंता व्यक्त कर रही है। इससे पहले 16 सितंबर को अमेरिकी प्रतिनिधि भारत आए थे, जबकि 22 सितंबर को वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी व्यापार वार्ता के लिए अमेरिका गए थे। यह स्पष्ट संकेत है कि दोनों देशों के बीच मतभेदों के बावजूद बातचीत के चैनल खुले हुए हैं और दोनों रिश्तों को पटरी पर लाना चाहते हैं।
अमेरिकी दूतावास ने भी बयान जारी कर कहा कि एलिसन हुकर का भारत दौरा आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को नई ऊर्जा देने के लिए था। अमेरिकी निर्यात बढ़ाने और व्यापार के नए आयाम खोलने पर दोनों पक्ष सहमत नजर आए। बदलते वैश्विक हालात में यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और रणनीतिक स्वायत्तता पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहता, वहीं अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से तेल आयात में कमी करे। अब निगाहें टिकी हैं कि क्या इस बैठक से रूस से तेल खरीद पर लगे अमेरिकी टैरिफ में कोई नरमी आती है या नहीं।
भारत-अमेरिका संबंधों का भविष्य काफी हद तक इस वार्ता के नतीजों पर निर्भर करेगा। यह बैठक आने वाले महीनों में वैश्विक कूटनीति की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

