क्या सरकार बेबस है? इंडिगो संकट पर हाईकोर्ट का सख़्त प्रहार

क्या सरकार बेबस है? इंडिगो संकट पर हाईकोर्ट का सख़्त प्रहार

केंद्र से जवाब तलब—एयरलाइन को तुरंत आदेश

नई दिल्ली, 10 दिसम्बर,(एजेंसियां)। दिल्ली हाईकोर्ट ने इंडिगो एयरलाइन के लगातार उड़ान रद्द होने और घंटों लंबी देरी से यात्रियों के फंसने की घटनाओं पर कड़ी नाराजगी जताते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह निजी एयरलाइनों के सामने बेबस हो चुकी है। अदालत ने दो टूक कहा कि स्थिति को अराजक होने देने के बाद ही हस्तक्षेप क्यों हुआ, जबकि हजारों यात्री हवाईअड्डों पर बिना किसी सहायता के फंसे रहे और परेशान होते रहे।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि जिस तरह हालात बिगड़े, उससे यह भी साफ होता है कि प्रबंधन और निगरानी तंत्र ने समय पर कदम नहीं उठाए। अदालत ने केंद्र से पूछा कि जब संकट शुरू हो गया था तब तक इंतजार क्यों किया गया। कोर्ट ने कहा कि हम मंत्रालय और डीजीसीए के कदमों को सराहते हैं, लेकिन यह समझना जरूरी है कि ऐसी अव्यवस्था को रोकने के लिए प्रभावी व्यवस्था पहले से क्यों नहीं थी।

अदालत ने यह भी कहा कि लाखों यात्रियों का फंस जाना केवल असुविधा नहीं, बल्कि आर्थिक गतिविधि पर सीधा असर डालता है, क्योंकि हवाई यात्रा आज देश की आर्थिक रफ्तार का अहम हिस्सा है। कोर्ट ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि यात्रियों को बुनियादी सहायता तक नहीं दी गई—ना भोजन, ना आवास, ना वैकल्पिक उड़ानों की व्यवस्था।

इंडिगो को अदालत ने साफ निर्देश दिया कि वह डीजीसीए के परिपत्र के हर प्रावधान का पालन करे, जिसमें उड़ान रद्द या देरी होने पर यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं और मुआवज़े के नियम स्पष्ट रूप से लिखे हैं। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि किसी अन्य नियम में यात्रियों के मुआवज़े का बड़ा प्रावधान है, तो उसका भी अनुपालन अनिवार्य है।

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यात्री अधिकारों को लेकर अदालत ने कहा कि एयरलाइन और नियामक, दोनों की जिम्मेदारी है कि ऐसी स्थितियों में यात्रियों के साथ धोखा न हो। न्यायालय ने केंद्र सरकार से भी कहा कि वह यह सुनिश्चित करे कि डीजीसीए इस पूरे मामले की निगरानी करे और रिपोर्ट अदालत को प्रस्तुत करे।

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यह मामला तब उठा जब देशभर में इंडिगो की सैकड़ों उड़ानें रद्द हुईं और हजारों यात्री हवाईअड्डों पर फंस गए। खाने, पानी और सूचना तक की कमी ने यात्रियों को असहाय कर दिया। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा कर एयरलाइन और सरकार दोनों पर सवाल उठाए थे। हाईकोर्ट ने इन हालात को गंभीर माना और कहा कि भविष्य में ऐसी अराजकता दोबारा न हो, इसके लिए कठोर कदम उठाने होंगे।

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IndiGo संकट पर DGCA हुआ सख्त, CEO पीटर एल्बर्स को तलब—सभी विभागों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी

इंडिगो एयरलाइन के हालिया परिचालन संकट, उड़ानों के बड़े स्तर पर रद्द होने और सेवाओं में भारी देरी के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने कड़ा रुख अपनाते हुए इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स को 11 दिसंबर को पेश होने का आदेश दिया है। DGCA ने स्पष्ट किया है कि एयरलाइन से प्रत्येक विभाग का विस्तृत परिचालन डेटा, बाधाओं के कारण, स्टाफ की उपलब्धता और यात्रियों को हुई असुविधा पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी जाएगी।

नियामक के अनुसार, सीईओ एल्बर्स को सभी संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ DGCA के समक्ष उपस्थित होना होगा और यह बताना होगा कि इंडिगो का नेटवर्क किस तरह प्रभावित हुआ, उड़ानों की बहाली की क्या योजना है और आगे ऐसी गड़बड़ियां क्यों नहीं होंगी। DGCA ने यह भी कहा है कि एयरलाइन को अपनी पायलट और क्रू भर्ती योजना भी उपलब्ध करानी होगी, जिसमें वर्तमान संख्या, प्रशिक्षण प्रक्रिया, रोस्टर प्रबंधन और FDTL (फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट) के अनुपालन की स्थिति शामिल है।

नियामक ने उड़ानों के रद्द होने से प्रभावित यात्रियों के समायोजन पर भी रिपोर्ट मांगी है। इसमें बुजुर्ग यात्रियों, गंभीर रोगियों और बिना अभिभावक वाले बच्चों की प्राथमिकता व्यवस्था का विवरण शामिल है। DGCA ने यह सुनिश्चित करने को कहा है कि एयरलाइन नियमों के अनुरूप मुआवज़ा दे और रिफंड में किसी प्रकार की देरी न हो।

रद्द उड़ानों के रिफंड से संबंधित डेटा में यह स्पष्ट बताना होगा कि कितनी उड़ानें रद्द हुईं, कितने रिफंड संसाधित हुए, ऑनलाइन यात्रा पोर्टल (OTA) और सीधे बुकिंग दोनों में रिफंड का समय कितना रहा, और क्या यह CAR (Civil Aviation Requirements) के अनुसार था।

इसके अलावा DGCA ने इंडिगो से सामान की देरी या गलत मार्ग पर भेजे जाने के मामलों का विवरण भी मांगा है। एयरलाइन को यह बताना होगा कि ऐसी शिकायतों को ट्रैक करने, सामान की वापसी सुनिश्चित करने और मुआवज़ा देने के लिए क्या कदम उठाए गए।

DGCA ने एयरलाइन के SMS और ईमेल अलर्ट सिस्टम पर भी सवाल उठाया है। यात्रियों की शिकायत थी कि उड़ानें रद्द होने की जानकारी समय पर नहीं दी गई। नियामक ने कहा कि एयरलाइन को अपने संचार तंत्र में सुधार की जानकारी देनी होगी, ताकि भविष्य में यात्रियों को रियल-टाइम अपडेट मिलें।

उड़ानों के पुनर्मार्गन पर भी विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। DGCA ने यह सुनिश्चित करने को कहा है कि यात्रियों को बिना अतिरिक्त शुल्क के वैकल्पिक उड़ानों में समायोजित किया जाए और यह प्रक्रिया तेज और पारदर्शी हो।

इंडिगो एयरलाइन पर यह सख्ती ऐसे समय आई है जब हाल के दिनों में हवाई यात्रा व्यवस्था में भारी अव्यवस्था देखी गई है। DGCA ने संकेत दिया है कि यदि एयरलाइन स्थिति को सुधारने में असफल होती है, तो कठोर कार्रवाई भी की जा सकती है। संकट की गंभीरता को देखते हुए इस जांच को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।