Good News! दीपावली UNESCO की सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल

भारत में खुशी की लहर

Good News! दीपावली UNESCO की सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल

नई दिल्ली, 10 दिसम्बर,(एजेंसियां)। भारत के लिए गर्व और आनंद का क्षण एक बार फिर इतिहास में दर्ज हो गया है। दुनिया भर में प्रकाश और आध्यात्मिक उत्सव के रूप में मनाई जाने वाली दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage) की सूची में शामिल कर लिया गया है। यह घोषणा भारत के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार को की, जिसे न सिर्फ भारत बल्कि वैश्विक हिंदू समुदाय ने बड़े उत्साह के साथ स्वीकार किया।

इस महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक्स (पूर्व ट्विटर) पर अपनी खुशी व्यक्त की और कहा कि “भारत और दुनिया भर के लोग आज रोमांचित हैं।” पीएम मोदी ने आगे लिखा कि दीपावली हमारी संस्कृति, लोकाचार और आध्यात्मिक परंपरा में अत्यंत गहराई से रची-बसी है। यह त्योहार केवल एक उत्सव नहीं बल्कि भारतीय सभ्यता की आत्मा, प्रकाश का प्रतीक, धार्मिकता का मार्ग और अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यूनेस्को के इस निर्णय से दीपावली की वैश्विक पहचान और सम्मान और अधिक मजबूत हुआ है।

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया कि दीपावली को यूनेस्को की सूची में शामिल किया जाना न सिर्फ भारत की सांस्कृतिक शक्ति को वैश्विक मंच पर स्थापित करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत की जीवंत परंपराएँ समय के साथ और अधिक प्रभावशाली रूप में उभर रही हैं। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश, अज्ञानता पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जिसे भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में करोड़ों लोग मनाते हैं।

यूनेस्को ने क्यों चुना दीपावली?

यूनेस्को ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर दीपावली का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह उत्सव केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और सामुदायिक एकता का प्रतीक है। चंद्र कैलेंडर के अनुसार, अमावस्या की तिथि पर पड़ने वाला यह त्योहार अक्टूबर या नवंबर में मनाया जाता है और कई दिनों तक चलता है।

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इस दौरान लोग न केवल अपने घरों की सफाई और सजावट करते हैं, बल्कि दीये और मोमबत्तियाँ जलाते हैं, आतिशबाजी करते हैं और माता लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा भगवान राम की पूजा-अर्चना करते हैं। यह नया वर्ष, नई शुरुआत और खुशहाली का संदेश देता है।

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यूनेस्को ने इस त्योहार को शामिल करते हुए उल्लेख किया कि दीपावली समाज में सामूहिकता, उत्साह, पारिवारिक एकता और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को मजबूत करती है। यह त्योहार भारत की आध्यात्मिक विरासत को जीवंत बनाता है और दुनिया को भारतीय दर्शन की ऊँचाइयों से परिचित कराता है।

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भारत के लिए बड़ा गौरव — सांस्कृतिक सूची में बढ़ती उपस्थिति

दीपावली के शामिल होने के बाद अब भारत की वैश्विक सांस्कृतिक उपस्थिति और अधिक समृद्ध हो गई है। इससे पहले भी कई भारतीय परंपराएँ यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल हो चुकी हैं—

  • 2008 में रामलीला

  • 2014 में ठठेरों की पारंपरिक कला

  • 2016 में योग

  • 2017 में कुंभ मेला

  • 2021 में कोलकाता की दुर्गा पूजा

  • 2023 में गुजरात का गरबा

  • 2024 में नवरोज़

दीपावली के जुड़ने से भारत की इस सूची में उपस्थिति और प्रभाव सबसे अधिक हो गया है।

पीएम मोदी की प्रतिक्रिया — “दुनिया में बढ़ेगी दीपावली की प्रतिष्ठा”

पीएम मोदी ने लिखा—
“दीपावली का UNESCO की अमूर्त विरासत सूची में शामिल होना भारत की आध्यात्मिक विरासत के लिए महान सम्मान है। यह त्योहार हमारी संस्कृति की आत्मा है। यह प्रकाश, सत्य और धर्म का मार्ग दिखाता है। इससे दीपावली की वैश्विक लोकप्रियता और भी बढ़ जाएगी। प्रभु श्री राम के आदर्श हमें सदा मार्गदर्शन करते रहें।”

भारत सरकार ने इस उपलब्धि को सांस्कृतिक कूटनीति (Cultural Diplomacy) की बड़ी जीत माना है।

यूनेस्को 2003 कन्वेंशन — सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा

यूनेस्को ने 2003 में पेरिस सम्मेलन के दौरान अपनी अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के लिए विशेष कन्वेंशन लागू किया था। इसका उद्देश्य था दुनिया की उन सांस्कृतिक परंपराओं को बचाना जो तेजी से बदलते समय, शहरीकरण, वैश्वीकरण और घटते संसाधनों के कारण खतरे में थीं।

दीपावली जैसे त्योहार अब न सिर्फ देश की पहचान हैं बल्कि विश्व संस्कृति के महत्वपूर्ण स्तंभ भी बनते जा रहे हैं।