पिछड़ा वर्ग जाति सर्वेक्षण, 42 प्रतिशत आरक्षण के साथ उदाहरण किया पेश: प्रभाकर

पिछड़ा वर्ग जाति सर्वेक्षण, 42 प्रतिशत आरक्षण के साथ उदाहरण किया पेश: प्रभाकर

हैदराबाद, 11 मई (एजेंसी)।तेलंगाना के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं परिवहन मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य ने पिछड़ा वर्ग जाति सर्वेक्षण सफलतापूर्वक आयोजित करके और राजनीतिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में पिछड़ा वर्ग (बीसी) के लिए आरक्षण को 42 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए एक ऐतिहासिक विधेयक पारित करके पूरे देश के लिए एक मिसाल कायम की है।

श्री प्रभाकर ने रविवार को यहां एक बयान में याद दिलाया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारत की वास्तविक सामाजिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए पूरे देश में जाति जनगणना का वादा किया था।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी, उपमुख्यमंत्री बट्टी विक्रमार्क और राज्य मंत्रिमंडल ने राज्य स्तर पर इस वादे को पूरा करते हुए तेलंगाना में कानूनी रूप से सुदृढ़ और व्यापक पिछड़ा वर्ग जाति सर्वेक्षण किया। बुसानी वेंकटेश्वर राव के नेतृत्व में एक समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग ने एक लाख सरकारी कर्मचारियों के समर्थन से पूरी पारदर्शिता के साथ सर्वेक्षण किया।

मंत्री ने पुष्टि की कि पिछड़ा वर्ग आरक्षण बढ़ाने वाला विधेयक तेलंगाना विधानमंडल के दोनों सदनों में पारित हो चुका है और राज्यपाल ने इसे मंजूरी दे दी है तथा अब राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए लंबित है। उन्होंने तेलंगाना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं से केंद्रीय स्तर पर इसे पारित कराने की जिम्मेदारी लेने का आह्वान किया।

श्री प्रभाकर ने तेलंगाना के प्रगतिशील प्रयासों की तुलना महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड जैसे अन्य राज्यों में राजनीतिक उथल-पुथल से की, जहां सरकारें गिर गईं या इसी तरह के पिछड़ा वर्ग कल्याण उपायों को शुरू करने के बाद मुख्यमंत्रियों को जेल जाना पड़ा।

उन्होंने कहा,“यह भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की वास्तविक सामाजिक न्याय के प्रति शत्रुता को दर्शाता है।”

कांग्रेस पार्टी की पिछड़ी जातियों से जुड़ी पहलों पर भाजपा नेता लक्ष्मण की टिप्पणी की आलोचना करते हुए मंत्री ने कहा,“अगर लक्ष्मण को संदेह है, तो हम स्पष्टीकरण देने के लिए तैयार हैं। हमने पहले ही प्रमुख पिछड़ी जातियों के संगठनों और बुद्धिजीवियों को अपनी कार्यप्रणाली के बारे में बता दिया है, जिन सभी ने हमारे काम की सराहना की है।”

श्री प्रभाकर ने भाजपा के आंतरिक प्रतिनिधित्व पर सवाल उठाते हुए पूछा,“क्या पिछड़ी जातियां भाजपा अध्यक्ष या विपक्ष के नेता के रूप में नेतृत्व करने के योग्य नहीं हैं? समाज तब तक प्रतीकात्मकता को स्वीकार नहीं करेगा, जब तक पिछड़ी जातियों को सर्वोच्च पदों से वंचित नहीं किया जाता।”

उन्होंने पिछड़ी जातियों की आर्थिक कमज़ोरी पर भी प्रकाश डाला और बताया कि बढ़ती कीमतें, नौकरियों में कटौती और कल्याण में कटौती उन्हें असंगत रूप से प्रभावित करती हैं। उन्होंने कहा,“अगर पिछड़ी जातियों का कल्याण वास्तव में प्राथमिकता है, तो ऐसे ऐतिहासिक प्रयासों को समर्थन दिया जाना चाहिए, न कि उन्हें कमतर आँका जाना चाहिए।”

श्री प्रभाकर ने 42 प्रतिशत आरक्षण के कदम को देश के लिए आदर्श बताते हुए केंद्र सरकार से तेलंगाना के नेतृत्व का अनुसरण करने और पहले की घोषणा के अनुसार राष्ट्रीय जाति जनगणना लागू करने का आग्रह किया।

उन्होंने भाजपा से जाति जनगणना का विरोध करने वाले सुप्रीम कोर्ट में अपने पिछले हलफनामे को वापस लेने की भी मांग की। उन्होंने तेलंगाना विधेयक को शीघ्र मंजूरी देने का आग्रह करते हुए कहा, “केवल ऐसी निर्णायक कार्रवाई के माध्यम से ही देश भर में पिछड़े वर्गों को सच्चा न्याय मिल सकता है।”