महिला को मिली सरोगेट मां बनने की मंजूरी

अंधाधुंध चल रहा है सरोगेट मां बनने का धंधा 

 महिला को मिली सरोगेट मां बनने की मंजूरी

लखनऊ, 01 जून (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक महिला को सरोगेट मां बनने की अनुमति मिली है। उसे कुछ तयशुदा नियम मानने होंगे। स्वास्थ्य विभाग के परीक्षण में दंपति के अनफिट मिलने पर सरोगेट मां बनने की अनुमति मिली है। इससे पहले आए कई आवेदन में खामियां पाने के बाद उन्हें खारिज कर दिया गया था। सीएमओ और डीएम आफिस से सेरोगेट मां बनने की अनुमति मिली। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है सरोगेसी के लिए दिसंबर माह में आवेदन आया था। सभी औपचारिकताएं पूरी कराने बाद अनुमति दी गई है। जबकि असलियत है कि लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों में सरोगेट मां बनने का धंधा खूब फलफूल रहा है। स्वास्थ्य विभाग को इसकी पूरी जानकारी है, लेकिन कार्रवाई से अधिक प्राथमिक धंधेबाजों से मोटा धन वसूलना रह गया है।

लखनऊ में रहने वाले एक परिवार ने सेरोगेट मां बनने के लिए तैयार महिला को लेकर आवेदन किया था। आवेदक की पत्नी की बच्चेदानी निकाली जा चुकी है। ऐसी दशा में दंपति ने किराए की कोख लेने का निर्णय लिया। आवेदक ने अपने पत्र में कहा कि उनकी पत्नी गर्भधारण नहीं कर सकती है। लिहाजा सरोगेसी के लिए इजाजत दी जाए। डीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने दंपति के स्वास्थ्य परीक्षण करके उन्हें गर्भधारण के लिए अनफिट कर दिया था। दंपति ने सरोगेट मां का चयन कर लिया है। सेरोगेट मां के सभी दस्तावेज सीएमओ ऑफिस में जमा किए गए थे। स्वास्थ्य विभाग ने सरोगेट मां का स्वास्थ्य परीक्षण कराया था। सरोगेट मां के स्वस्थ पाए जाने पर उन्हें सरोगेसी की अनुमति लिए फाइल डीएम पास भेजी गई थी, जहां से औपचारिक अनुमति मिल गई।

सरोगेसी अधिनियम सख्ती से लागू करने के लिए डीएम की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित है। इसमें डीएम अध्यक्षसीएमओ सचिवकेजीएमयू के गायनेकोलॉजी विभाग के अध्यक्षरेडियोलॉजी विभाग के अध्यक्षसंयुक्त निदेशक अभियोजन शामिल होते हैं। यह कमेटी किराए की कोख लेने वाले आवेदक का दस्तावेज की जांच करती है। इसकी वीडियोग्राफी भी होती है। अंग प्रत्यारोपण की तर्ज पर ही किराए पर कोख लेने के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं। लेकिन यह तो नियम की बात हुई। जमीनी असलियत है कि सरोगेसी का धंधा खूब चल रहा है। राजधानी लखनऊ में ही ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें कई दंपतियों ने सरोगेसी के जरिए बच्चा प्राप्त किया और कानूनी प्रावधानों की ऊबाऊ प्रक्रिया से बच गए। इस धंधे के बारे में प्रशासन और स्वास्थ्य महकमे को भी पता है। यहां तक कि स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी-कर्मचारी ही सरोगेट मदर उपलब्ध कराते हैं।