फिलिस्तीन हमास से प्रेम, पर टाटा से नफरत!

भारत के इस्लामी कट्टरपंथियों की मक्कारी उजागर

 फिलिस्तीन हमास से प्रेम, पर टाटा से नफरत!

टाटा के बहिष्कार अभियान में जमाते इस्लामी का हाथ

नई दिल्ली08 जून (एजेंसियां)। भारत के इस्लामी कट्टरपंथियों की मक्कारियां उजागर हो रही हैं। ये तत्व फिलिस्तीन और हमास से मोहब्बत का इजहार करते हैं, लेकिन टाटा जैसे देशभक्त औद्योगिक समूह के प्रति नफरत फैलाते हैं। कुछ खास तत्वों द्वारा देश में चलाए जा रहे टाटा के बहिष्कार अभियान में जमाते इस्लामी का सीधा हाथ और अन्य राष्ट्र विरोधी शक्तियों का परोक्ष हाथ पाया गया है। यह जमात फिलिस्तीन पर रुदालियां करती है, लेकिन पहलगाम में हिंदुओं को चुन-चुन कर मारे जाने पर शातिराना चुप्पी साधे रहती है।

इस्लामी कट्टरपंथी टाटा समूह के इजराइल के साथ व्यापारिक संबंधों का विरोध कर रहे हैं। वह टाटा समूह के उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से टाटा समूह के खिलाफ देशभर में इस्लामी कट्टरपंथी प्रदर्शन कर रहे हैं। इनका नेतृत्व इंडियन पीपुल इन सॉलिडेरिटी विद फिलिस्तीन (आईपीएसपी) नामका एक संगठन कर रहा है। यह विरोध प्रदर्शन हमास और फिलिस्तीन समर्थक कई इस्लामी संगठनों द्वारा आयोजित किए जा रहे हैं।

प्रदर्शनकारी टाटा समूह के इजराइल के साथ कथित व्यापारिक संबंधों का विरोध कर रहे हैं। वह टाटा समूह के उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील कर रहे हैं। ये आंदोलन पूरे देश में अलग-अलग जगह किए जा रहे हैं और इनका उद्देश्य फिलिस्तीन का समर्थन है। ऐसा ही एक प्रदर्शन केरल के कालीकट में 28 मई 2025 को जमात-ए-इस्लामी हिंद की छात्र शाखास्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन (एसआईओ) ने टाटा के स्वामित्व वाले फैशन ब्रांड ज़ूडियो के आउटलेट के बाहर किया। यहां इन प्रदर्शनकारियों ने फिलिस्तीन के समर्थन में तख्तियां उठाईंनारे लगाए और काफ़िया पहनकर ईद से पहले टाटा उत्पादों के बहिष्कार की अपील की।

आईपीएसपी और एसआईओ ने दिल्लीपुणेमुंबईपटनाविशाखापट्टनमचंडीगढ़रोहतक और विजयवाड़ा में टाटा समूह के स्वामित्व वाले ब्रांडों के स्टोर्स के बाहर सामूहिक विरोध प्रदर्शन आयोजित किए। इन प्रदर्शनों का उद्देश्य टाटा के इजराइल से संबंधों के विरोध में आवाज उठाना था। इसके अलावा फिलिस्तीन के समर्थन में इन उत्पादों का बहिष्कार करना भी था। एसआईओ ने एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया हैजिसमें मुस्लिमों से ईद के मौके पर टाटा के स्वामित्व वाले ब्रांड जैसे ज़ूडियो और वेस्टसाइड से खरीदारी न करने की अपील की गई। इसके साथ ही संगठन ने ज़ाराएडिडासएचएंडएमटॉमी हिलफिगरकैल्विन क्लेनविक्टोरिया सीक्रेटटॉम फोर्डस्केचर्सप्राडाडायर और शनेल जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के बहिष्कार करने की अपील की। इसके पीछे भी इनका इजराइली संबंध कारण बताया गया।

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एसआईओ ने टाटा समूह पर आरोप लगाया है कि वह इजराइल के साथ व्यापारिक संबंधों के जरिए गाजा में नरसंहार को बढ़ावा दे रहा है। एसआईओ कालीकट के अध्यक्ष मोहम्मद शफाक का दावा है कि टाटा समूह इजराइल को बख्तरबंद लैंड रोवर गाड़ियां देता हैजिनका इस्तेमाल न केवल गाजा में बल्कि कश्मीर के कब्जे वाले क्षेत्रों में भी गश्त के लिए किया जाता है। शफाक ने यह भी आरोप लगाया कि टाटा की फैक्ट्रियों में बनी मिसाइलें गाजा में इजराइल द्वारा इस्तेमाल की जा रही हैंजो एक भारतीय ब्रांड के लिए बेहद चिंताजनक है। उसने कहा कि एसआईओ अन्याय के खिलाफ सीमाओं की परवाह किए बिना खड़ा रहता हैचाहे वह गाजा हो या अमेरिका के गोरे समुदाय के लोग ।

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विचित्र किंतु सत्य यह है कि एसआईओ ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा पहलगाम में की गई 26 हिंदू पर्यटकों की हत्या या भारत विरोधी तुर्की के खिलाफ कोई बहिष्कार अभियान अभी तक नहीं चलाया। टाटा और अन्य ब्रांडों के खिलाफ यह राष्ट्रव्यापी बहिष्कार अभियान इजराइल के खिलाफ शुरू किए गए बीडीएस (बॉयकॉटडिसइन्वेस्टमेंट और सैंक्शन) आंदोलन से प्रेरित बताया जा रहा है। यह आंदोलन यहूदी विरोधी माना जाता है।

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मुस्लिम ब्रदरहुडजमात और अन्य इस्लामी संगठनों द्वारा चलाया जा रहा बीडीएस आंदोलन इजराइल के खिलाफ एक्शन की वकालत करता है। इसके तहत इजरायली उत्पादों का बहिष्कारनिवेश की वापसी और आर्थिक एवं राजनीतिक प्रतिबंध शामिल हैं। इस आंदोलन की स्थापना 2005 में कतर में जन्मे फिलिस्तीनी कार्यकर्ता उमर बरगौटी ने की थी और इसमें 100 से अधिक संगठन शामिल हैंजिनमें आतंकवादी संगठन अल-हक (जो मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़ा है) और पीएलएफपी शामिल हैं। 2009 में ब्रसेल्स में इस आंदोलन के तहत फिलिस्तीन पर रसेल ट्रिब्यूनल की स्थापना की गईजिसका उद्देश्य इजराइल के खिलाफ वैश्विक एजेंडा चलाना था। जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन ने अल-हक को 2009 में 2 लाख डॉलर (लगभग 1.70 करोड़) और 2016 से 2020 के बीच 2 मिलियन डॉलर (लगभग 18 करोड़) की फंडिंग दी थी।

2021 में बीडीएस आंदोलन भारत तक तब पहुंचा जब मुस्लिम ब्रदरहुडकतरअल-जजीरातुर्की और पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे के बहाने भारत के खिलाफ अभियान शुरू किया। इसके तहत इजराइल के खिलाफ स्थापित रसेल ट्रिब्यूनल की तर्ज पर बोस्निया में कश्मीर के लिए रसेल ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई। इसका पहला सत्र दिसंबर 2021 में सेराजेवो और हर्जेगोविना में हुआ। इसका आयोजन भारत विरोधी इस्लामी कट्टरपंथी संगठन कश्मीर सिविटास ट्रिब्यूनलवर्ल्ड कश्मीर अवेयरनेस फोरमइटली के परमानेंट पीपुल्स ट्रिब्यूनल और नाहला (सेंटर फॉर एजुकेशन एंड रिसर्च) एवं जाबिर बाल्कन के सहयोग से किया था।

इसके बाद मार्च 2022 में कश्मीर सिविटास ने एक 32 पेज का टूलकिट भी जारी किया इसमें भारत के खेलसांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थानों के बहिष्कारकंपनियों पर भारत से निवेश वापस लेने और व्यापारिक संबंध खत्म करने का दबाव बनानेभारत पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने और सैन्य समझौतों को समाप्त करने जैसी अपील शामिल थीं। अगस्त 2019 में मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद एएमपी नाम के इस्लामी संगठन ने इस पर प्रलाप किया और इसके संस्थापक हेटम बाजियन को बाद में कश्मीर के लिए रसेल ट्रिब्यूनल में जज नियुक्त किया गया। एएमपी को पाकिस्तान समर्थित संगठनों स्टैंड विद कश्मीर और साउंड विजन से समर्थन प्राप्त है। यह संगठन जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान से कनेक्शन रखते हैं। टाटा समूह और अन्य भारतीय ब्रांडों के खिलाफ इस्लामी संगठनों द्वारा चलाया जा रहा बहिष्कार अभियानइजराइल विरोधी रणनीति की हूबहू नकल है। हालांकिइन्हें आम जनता की कोई भी सहानुभूति हासिल नहीं है।

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