वक्फ इस्लाम का हिस्सा नहीं और न मौलिक अधिकार

वक्फ कानून पर भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

वक्फ इस्लाम का हिस्सा नहीं और न मौलिक अधिकार

सरकारी जमीन पर दावा करने का किसी को अधिकार नहीं

नई दिल्ली, 21 मई (एजेंसियां)। भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वक्फ इस्लामी अवधारणा हैलेकिन यह इस्लाम का आवश्यक हिस्सा नहीं हैइसलिए इसे मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता और न संविधान के तहत मौलिक अधिकार के रूप में इस पर दावा किया जा सकता है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ सम्पत्ति का अधिकार विधायी नीति के तहत दिया गया हैजिसे वापस लिया जा सकता है। 

भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहावक्फ एक इस्लामी अवधारणा हैजिसे नकारा नहीं जा सकतालेकिन जब तक इसे इस्लाम का आवश्यक हिस्सा नहीं मान लिया जातातब तक अन्य दलीलों का कोई मतलब नहीं है। 2025 के वक्फ (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह जवाब दिया है। मेहता ने अधिनियम का बचाव करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को सरकारी जमीन पर दावा करने का अधिकार नहीं हैभले ही वह जमीन वक्फ के रूप में घोषित की गई हो।

मेहता ने कहाकोई भी व्यक्ति सरकारी जमीन पर दावा नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला हैजो कहता है कि अगर सम्पत्ति सरकारी है और वक्फ के रूप में घोषित की गई हैतो सरकार उसे बचा सकती है। सॉलिसिटर जनरल ने कहावक्फ सम्पत्ति मौलिक अधिकार नहीं है। इसे कानून द्वारा मान्यता दी गई थी। अगर कोई अधिकार विधायी नीति के तहत दिया गया हैतो उसे हमेशा वापस लिया जा सकता है।

चीफ जस्टिस (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। वक्फ (संशोधन) विधेयक2025 को अप्रैल में संसद से पारित किया गया था और पांच अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे मंजूरी दे दी थी। जिसे बाद यह कानून बन गया। लोकसभा में इसके पक्ष में 288 और विपक्ष में 232 मत पड़े थेजबकि राज्यसभा ने समर्थन में 128 और विरोध में 95 मत पड़े थे।

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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट का इस तथ्य की ओर खास तौर पर रेखांकित करते हुए ध्यान दिलाया कि वक्फ एक इस्लामी विचार हैलेकिन यह इस्लाम का मूल या अनिवार्य हिस्सा नहीं है। यह केवल इस्लाम में दान देने की व्यवस्था है। जैसे ईसाई धर्म में चैरिटीहिंदू धर्म में दान और सिख धर्म में सेवा की परंपरा होती हैवैसे ही वक्फ है। तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि वक्फ-बाइ-यूजर (यानी लंबे समय तक धार्मिक उपयोग के आधार पर किसी जमीन को वक्फ घोषित करना) का प्रावधान अब नए कानून में हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि किसी को भी सरकारी जमीन पर स्थायी अधिकार नहीं मिल सकता। सरकार ऐसी जमीन को पुनः प्राप्त कर सकती हैचाहे वह वक्फ ही क्यों न घोषित कर दी गई हो। अगर कोई सम्पत्ति सरकारी हो और उसे वक्फ-बाइ-यूजर के तहत घोषित किया गया होतो सरकार उसे वापस लेने का कानूनी अधिकार रखती है। यह कोई मौलिक अधिकार नहीं है।

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 1923 से चली आ रही वक्फ से जुड़ी समस्याएं अब नए कानून से हल की गई हैं। लिहाजा अब हर पक्ष की बात सुनी गई है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमें 96 लाख सुझाव मिले। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसीकी 36 बैठकें हुईं। कुछ याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय की राय का दावा नहीं कर सकते।

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा था कि संसद से पारित किसी भी कानून को संवैधानिक माना जाता हैजब तक कि उसके खिलाफ कोई बहुत ही स्पष्ट और गंभीर मामला पेश न किया जाए। याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस कर रहे सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने जब अपनी दलीलें शुरू कींतो सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि हर कानून के पक्ष में संवैधानिकता की धारणा होती है। अंतरिम राहत के लिए आपको एक बहुत मजबूत और स्पष्ट मामला बनाना होगा।

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