कलसा-बंदूरी परियोजनाओं के खिलाफ किसानों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने किया विरोध
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| विभिन्न किसान संगठनों और पर्यावरण संरक्षण समूहों के सदस्यों ने बेलगावी में महादयी बेसिन परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए ‘बेलगावी के लिए रैली’ निकाली| कार्यकर्ताओं ने भूमि अधिग्रहण नोटिस जारी करने और लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं के लिए बड़ी पाइपलाइन बिछाने सहित महादयी बेसिन में चल रहे सभी कार्यों को तत्काल रोकने की मांग की|
रैली सरकारी सरदार हाई स्कूल मैदान से शुरू हुई| प्रतिभागियों ने तख्तियां और पोस्टर पकड़े हुए थे, जिन पर लिखा था ‘पानी बचाओ, पश्चिमी घाट बचाओ, ‘महादयी बचाओ, मालाप्रभा बचाओ’, ‘महादयी बेसिन का काम बंद करो’, ‘हमारा पानी, हमारा अधिकार है| उन्होंने नारे लगाए कि ‘हमें महादयी नदी मोड़ परियोजना नहीं चाहिए| महादयी को बचाया जाएगा, तो मालाप्रभा बच जाएगी| उन्होंने रानी चेन्नम्मा सर्किल से होते हुए डिप्टी कमिश्नर के कार्यालय तक मार्च किया| उन्होंने डीसी मोहम्मद रोशन के माध्यम से कर्नाटक सरकार को महादयी बेसिन परियोजनाओं का विरोध करते हुए एक ज्ञापन सौंपा| ज्ञापन में कहा गया कि खानापुर तालुक में भीमागढ़ वन्यजीव अभयारण्य पश्चिमी घाट का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है| यह वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील स्थल है| यह बाघों, भालुओं, लकड़बग्घों और अन्य वन्यजीवों का घर है|
यह खानपुर क्षेत्र में वर्षा के लिए भी जिम्मेदार है, जो नदियों का उद्गम स्थल है| इस क्षेत्र में किसी भी परियोजना के लिए पेड़ों को काटना और वन क्षेत्रों को जलमग्न करना पड़ेगा| इससे जैव-विविधता को खतरा होगा| इससे नदियाँ सूख सकती हैं और उत्तरी कर्नाटक का रेगिस्तानीकरण हो सकता है| कलसा-बंदूरी नहर मोड़ परियोजनाएँ खानपुर में पश्चिमी घाट के जंगलों को नुकसान पहुँचाएँगी| परियोजनाओं को छोड़ दिया जाना चाहिए|
पर्यावरणविद सुरेश हेबलीकर ने कहा पश्चिमी घाटों ने दक्षिण भारत में बहुत बड़ा योगदान दिया है| इन्हें हर कीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए| ये सदाबहार जंगल कई तरह के पेड़ों और वन्यजीवों का घर हैं| अगर नहर मोड़ने की परियोजना लागू की गई तो पश्चिमी घाट पर नकारात्मक असर पड़ेगा और बारिश कम होगी| इससे कृषि क्षेत्र पर बुरा असर पड़ेगा| हमें खाने के लिए भीख मांगनी पड़ेगी|
इसलिए इस परियोजना को लागू नहीं किया जाना चाहिए| पर्यावरणविद दिलीप कामथ ने कहा मालप्रभा नदी पर बना नवीलुतीर्थ बांध पिछले ४० सालों में सिर्फ चार या पांच बार ही भरा है| इसकी वजह खानपुर तालुक में जंगलों का विनाश है, जिससे बारिश कम हुई है| सभी नदियां पश्चिमी घाट से निकलती हैं| अगर ऐसी जगहों पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली परियोजनाएं लागू की जाती हैं तो नदियां कैसे बचेंगी?